Yoga Asanas: 84 योगासन व उनका संक्षिप्त विवरण
योग ग्रंथो में 84 योगासन (84 Yogasana) का जिक्र मिलता है, जिसका उल्लेख यहां किया जा रहा है। यह लेख 2 भागों में विभाजित है-
1- 84 योगासन
2- वर्तमान में प्रसिद्ध 32 योगासन
84 प्रकार के योगासन (How many asanas in yoga)
योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का काम होता है।
समय के साथ योग भारत से चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्री लंका तक फैल गया और इस समय सारे सभ्य जगत् में लोग इससे परिचित हैं।
(1) सिद्धासन: सिद्धासन से सब नाड़ियाँ शुद्ध होकर उनमें नवीन रक्त का संचार होता है व ईश्वर चिन्तन में मन लगता है तथा मोक्ष प्राप्ति होती है। और पढ़ें: सिद्धासन (Adept Pose)
(2) प्रसिद्ध सिद्धासन: इससे से सब रोग दूर होते हैं व विनम्रता बढ़ती हैं।
(3) पद्मासन: पद्मासन से सब प्रकार की इष्टसिद्धि होती हैं व परमात्मा में मन लगता है। और पढ़ें: पद्मासन (Lotus Pose)
(4) वद्धासन: वद्धासन से शांति मिलती है।
(5) उत्थितासन: उत्थितासन से दिव्य दृष्टि होती है, हृदयकमल खिलता है, श्वासव्याधि मिटती है।
(6) ऊर्ध्वासन- ऊर्ध्वासन से मेरुदंड मज़बूत होता है व शरीर में रक्त का संचार होता है।
(7) सुप्तासन: सुप्तासन से उदर रोग दूर होते हैं।
(8) भद्रासन: भद्रासन से सब कामों में मन लगता है।
(9) स्वस्तिकासन: यथा नाम तथा गुण है।
(10) योगासन: योगासन से चित्त स्थिर होता हैं, निंद्रा रोग दूर होकर सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
(11) प्राणासन: प्राणासन या प्राणायामासन से मन, रक्त और नाड़ियाँ शुद्ध होती है।
(12) मुक्तासन: मुक्तासन से सिद्धि प्राप्त होती है।
(13) पवन मुक्तासन: पवन मुक्तासन से अधोवायु निकलता है।
(14) सूर्यासन: सूर्यासन से अग्नि बढ़ती है।
(15) सूर्यभेदनासन: सूर्यभेदनासन से नेत्ररोग दूर होते हैं।
(16) मस्तिकासन: मस्तिकासन से ज्वर मिटते हैं, पाचन शक्ति बढ़ती है व रुधिर शुद्ध होता है।
(17) सावित्री समाधि आसन: इस आसन से ओज, तेज व मेधा की वृद्धि होती है।
(18) अचिन्तनीयासन: अचिन्तनीयासन से चेतनता होती है।
(19) ब्रह्म जरांकुशासन: ब्रह्म जरांकुशासन से बीमारी मिटती है।
(20) उद्धारकासन: उद्धारकासन से गुह्य स्थान सबल होते हैं।
(21) मृत्युभंजकासन: मृत्युभंजकासन से वायु शांत होती हैं।
(22) आत्मारामासन: आत्मारामासन से चिन्ता मिटती है अलोप व अध्यात्म आसन भी इसी को कहते हैं।।
(23) भैरवासन: भैरवासन से कुंडलिनी व्याकुल होती है, कमल खिलता है। ताप, तिल्ली, जिगर वायुगोला अच्छा होता है।
(24) गरुड़ासन: गरुड़ासन से मनुष्य गमनशील होता हैं।
(25) गोमुखासन: गोमुखासन से मुखरोग मिटते हैं।
(26) वातायकासन: वातायकासन से प्रगति होती है।
(27) सिद्ध मुक्तावली: सिद्ध मुक्तावली से हर्ष उत्पन्न होती है।
(28) नेति: नेति आसन से मनुष्य निर्मल होता है।
(29) पूर्वासन: पूर्वासन से प्राचीन स्मृति प्राप्त होती है।
(30) पश्चिमोत्तानासन: पश्चिमोत्तानासन से पेट के कीड़े मरते हैं, वायु बदल जाती है।
(31) महामुद्रा: महामुद्रा से रस विष पथ्यापथ्य पच जाते हैं, क्षय, कुष्ठ, गुल्म, उदावर्त मिटते हैं। मृत्यु के क्लेशक्षय होते हैं।
(32) वज्रासन: वज्रासन से क्षुद्र व्याधियाँ मिटती हैं व आयु बढ़ती है।
(33) चक्रासन: चक्रासन से कुण्डलिनी कुठित होती है।
(34) गर्भासन: गर्भासन से कष्ट सहने की शक्ति बढ़ती है।
(35) शीर्षासन: शीर्षासन से स्वास्थ्य, सुन्दरता, बल, बीर्य व महाशक्ति बढ़ती है।
(36) हस्ताधार शीर्षासन: हस्ताधार शीर्षासन से मस्तिष्क मजबूत होता है।
(37) उर्ध्वं सर्वांगांसन: उर्ध्वं सर्वांगांसन से स्वाधीनता आती है।
(38) हस्तपदांगुष्ठासन: हस्तपदांगुष्ठासन से कमर, गर्दन, नासिका व उदर में बल बढ़ता है।
(39) पादांगुष्ठासन: पादांगुष्ठासन से दृष्टि तेज होती है।
(40) उत्तानपादासन: उत्तानपादासन से प्राण वायु शुद्ध होती है।
(41) हस्तासन: हस्तासन से उदर शुद्ध होता है।
(42) एकपाद शिरासन: एकपाद शिरासन से शरीर निर्दोष होता है।
(43) द्विपाद शिरासन:- द्विपाद शिरासन से सुख प्राप्त होता है।
(44) एकहस्तासन: एकहस्तासन से पार्श्वशूल नहीं होती।
(45) पाद हस्तासन – से बल बढ़ता है।
(46) कर्णपीड मूलासन – से जठराग्नि बढ़ती है।
(47) कोणासन से उदर शुद्ध होता है।
(48) त्रिकोणासन: से कटि-पीड़ा मिटती है।
(49) चतुष्कोणासन से बुद्धि बढ़ती है।
(50) कन्द पीड़ासन: से मज्जाग्रन्थि खुल जाती है।
(51) तुलितासन: से स्थिरता होती है।
(52) लोल, ताड़ या वृक्षासन: ताड़ासन से स्नायु सबल होते हैं।
(53) धनुरासन: धनुरासन से वीरता बढ़ती है, त्राटक का अभ्यास होता है व आलस्य मिटता है। और पढ़ें: धनुरासन (Bow Pose)
(54) वियोगासन: वियोगासन से ताप तिल्ली मिटती है।
(55) विलोमासन: विलोमासन से दीर्घ रोग दूर होते हैं।
(56) योन्यासन: योगन्यास से मूत्र-द्वार शुद्ध होता है।
(57) गुप्तांगासन: गुप्तांगासन से प्रच्छन्न रोग मिटते हैं।
(58) उत्कटासन: उत्कटासन से पाँवों में बल बढ़ता है।
(59) शोकासन: शोकासन मृगी दूर होती है।
(60) संकटासन: से कमर दर्द दूर होता है।
(61) अंधासन: अंधासन से राज्यवंधादि रोग मिटते है।
(62) संडासन: संडासन से निर्भयता बढ़ती हैं।
(63) शवासन: से अधोवायु खुल जाता है।
(64) गोपुच्छासन: से पाप मिटते हैं।
(65) उष्ट्रासन: उष्ट्रासन से शीतोष्ण सहे जा सकते हैं।,
(66) वृक्षासन: वृक्षासन से वीर्य स्तंभन होता है
(67) मर्कटासन: मर्कटासन से नाभि की नाड़ी ठीक होती है।
(68) मत्स्यासन: मत्स्यासन से स्थिरता होती है।
(69) मत्स्येन्द्रासन: मत्स्येन्द्रासन से वीर्य बढ़ता है।
(70) मकरासन: मकरासन से शक्ति बढ़ती है।
(71) कच्छपासन: कच्छपासन से मन स्थिर होता है।
(72) मंडूकासन: मंडूकासन से शरीर सूक्ष्म हो सकता है।
(73) उत्तान मंडूकासन: उत्तान मंडूकासन से तरण शक्ति बढ़ती हैं।
(74) हंसासन: हंसासन से शांति बढ़ती है।
(75) चक्रासन: चक्रासन से जलाघात सहा जा सकता है।
(76) मयूरासन: मयूरासन से गुल्म, प्लीहा व उदर व्याधि मिटती है तथा दूर श्रवण बढ़ता है। और पढ़ें : मयूरासन (Peacock Pose)
(77) कुक्कुटासन: कुक्कुटासन से काम इच्छा कम होती है।
(78) फोद्यासन: फोद्यासन से रक्तपित्त व पिस्ती दूर होती है।
(81) शल्यासन: शल्यासन से वायु बल बढ़ता है।
(82) वृश्चिकासन: वृश्चिकासन से उग्रता आती है।
(83) हस्तासन: हस्तासन से मनुष्य बलवान् होता है।
(84) सूर्यासन: सूर्यासन से मंदाग्नि मिटती है।
वर्तमान में प्रसिद्ध 35 योगासन (Yoga Asanas With Pictures)
35 Yoga Asanas: वैसे तो पूर्व लिखे अनुसार आसन चौरासी हैं। वर्तमान योगाचार्यो के मतानुसार मुख्य मुख्य आसन जिनका कि आजकल अधिक प्रचार है व जिनका अधिकतर लोग अभ्यास करते हैं वह इस प्रकार है-
1 | पद्मासन | 21 | वृश्चिकासन |
2 | सिद्धासन | 22 | द्विपाद शिरासन |
3 | सर्वांगासन | 23 | वकसान |
4 | हलासन | 24 | पवन मुक्तासन |
5 | मत्स्यासन | 25 | द्विहस्त भुजासन |
6 | पश्चिमोत्तानासन | 26 | वातापनासन |
7 | मयूरासन | 27 | गुल्फ जंघासन |
8 | अर्धमत्स्येन्द्रासन | 28 | गुप्तासन |
9 | शलभासन | 29 | स्वस्तिकासन |
10 | भुजंगासन | 30 | सुखासन |
11 | धनुरासन | 31 | काम दहनासन |
12 | गौमुखासन | 32 | त्रिकोणासन |
13 | पाद हस्तासन | 33 | योगासन |
14 | चक्रासन | 34 | शवासन |
15 | गरुणासन | 35 | लोलासन |
16 | जानुशिरासन | ||
17 | गर्भासन | ||
16 | कुक्कुटासन | ||
19 | कंदपीड़ानासन | ||
20 | शीर्षासन |