Alternative Therapies: वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की सूची
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प्रमुख वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की सूचि | List of Alternative Therapy in Hindi
Alternative Therapy: संसार में आजकल लगभग 200 ऐसी वैकल्पिक चिकित्सा-पद्धतियाँ हैं, जिनका पूर्ण या आंशिक रूप से प्रयोग करके बहुत से सरल और जटिल रोगों का निदान किया जा रहा है और इनके परिणाम भी संतोषप्रद हैं। रोगी का रोग की पद्धति से कोई सरोकार नहीं होता। वह तो कम-से-कम समय में और कम खर्च करके ठीक होना चाहता है। उसे साधन से नहीं, साध्य से मतलब है। पेश है कुछ प्रमुख वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों की सूची-
आयुर्वेद (Ayurveda)
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। आयुर्विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसका सम्बन्ध मानव शरीर को निरोग रखने, रोग हो जाने पर रोग से मुक्त करने तथा आयु बढ़ाने से है।
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होमियोपैथी (Homeopathy)
होम्योपैथी चिकित्सा के जन्मदाता सैमुएल हैनीमेन है। यह चिकित्सा के ‘समरूपता के सिंद्धात’ पर आधारित है जिसके अनुसार औषधियाँ उन रोगों से मिलते जुलते रोग दूर कर सकती हैं, जिन्हें वे उत्पन्न कर सकती हैं। होम्योपैथी अनुसार जितना अधिक डाईल्यूशन होगा, औषधिकी शक्ति उतनी बढ़ेगी। बायोकेमिक (Biochemic) भी होमियोपैथी जैसी लोकप्रिय विधि है, जो रसायन-यौगिकों का प्रयोग करती है ।
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प्राक्रतिक चिकित्सा (Naturopathy)
इसमें प्राकृतिक ढंग और विधियों से उपचार करते हैं- स्नान, गीली पट्टी, मिट्टीका लेप, वस्ति, उपवास, ताजा आहार, हरी शाक-सब्जी, फल, वाष्प स्नान आदि का उपयोग होता है।
जड़ी-बूटी से इलाज (Herbalism)
आजकल हर्बलका फैशन चल रहा है। बाजार में हर्बलके नामसे साबुन, तेल, सौन्दर्य प्रसाधन, शैम्पू, लेप और दवाएँ बिक रही हैं। आयुर्वेद में यह गम्भीर विषय है, वे जड़ी को आमन्त्रित एवं अभिमन्त्रित करते थे, शुभ घडी देखकर देखकर तोड़ते थे और शास्त्रानुसार उपयोग करते थे।
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तिबत्ती / चिकित्सा (Tibetan-medicine)
सोवा रिग्पा तिब्बत सहित हिमालयी क्षेत्रों में प्रचलित प्राचीन उपचार पद्धति है। भारत के हिमालयी क्षेत्र में ‘तिब्बती’ या ‘आमचि’ के नाम से जानी जाने वाली सोवा-रिग्पा विश्व की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है।
योग ध्यान से जुडी चिकित्सा पद्धति
योगा (Yoga)– वर्तमान युग में बाजारीकरण के चलते योग में वर्णित प्राणायाम और आसन का उपचार के लिये उपयोग होने लगा है। यम-नियम विहीन योग ‘योगा’ बन गया है।
हठयोग चिकित्सा (Hath Yoga) – हठयोग, योग के कई प्रकारों में से एक है। इसमें विभिन्न योगासन द्वारा रोगों का उपचार किया जाता है।
ध्यान चिकित्सा (Meditation)– मन की विक्रति ही शारीरिक व मानसिक रोगों का कारण है। यदि मन को स्थिर एवं शांत करके शरीर के केमिकल्स बदल दिए जाएँ तो शरीर को अनेक बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।, मन को स्थिर करके दिव्यचेतना के साथ सम्पर्क साधकर व्यक्ति दूसरों का इलाज भी कर सकता है। ऐसी ही ‘विपश्यना विधि’ भी है ।
सम्मोहन चिकित्सा (Hypnotherapy)– हिप्नोथेरेपी या सम्मोहन या एक विशुद्ध मनोचिकित्सा प्रक्रिया है। सम्मोहन में एक प्रशिक्षित हिप्नोटिस्ट द्वारा निर्देशित तकनीकों का प्रयोग मनोस्थिति और आदतों में परिवर्तन लाया जाटा है इसे मेसमेरिज्म (mesmerism) भी कहता है।
मनोचिकित्सा (Psychotherapy)- यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों उसके भावनात्मक बदलाव और विभिन्न मानसिक रोगों के इलाज़ का तरीका है. साइकोथेरेपी का उद्देश्य मानसिक उलझनों से ग्रस्त व्यक्ति के मानसिक समस्याओं में होने का कारण ढूढ़ना या उसकी वजहें पता करना और उसका हल ढूढ़ना होता है।
स्पर्श चिकित्सा (Hand Healing)– यह उपचार आदिकालसे प्रचलित है। संत महात्मा तथा राजपुरुषका स्पर्श होनेसे रोग दूर हो जाते हैं। भारत के महात्माओंने तो अनेक बार यह चमत्कार किया है। महान् चिकित्सक सुश्रुतने अपनी संहितामें शल्यमें काम आने वाले उपकरणों की सूची दी है और इनमें प्रथम नाम ‘हाथ’ का। हाथ का कमाल हर जगह दीखता है।
क्रिस्टल हीलिंग (Crystal Therapy)- इस थेरेपी में शरीर के कुछ निश्चित हिस्सों पर क्रिस्टल रखा या शरीर पर घुमाया जाता है। कहते हैं शरीर में सात चक्र होते हैं जहां पर पूरे शरीर की ऊर्जा एकत्रित रहती है। जब भी किसी चक्र की ऊर्जा असंतुलित होती है, तब शरीर के उस हिस्से में दर्द होने लगता है। क्रिस्टल थेरेपी के जरिए चक्रों को संतुलन में लाया जा सकता है। इससे शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलता है।
रेकी चिकित्सा (Reiki)- वर्तमान समयमें काफी प्रचलित विधि। शरीर में हो रहे शक्ति प्रवाहको स्पर्शद्वारा सन्तुलित करते हैं।
आत्म सुझाव (Auto-suggestion) – ऑटो सजेशन हमारे अवचेतन मन को पुन: प्रोग्राम करने का सबसे आसान तरीका है। हम में से अधिकांश लोग सकारात्मक चीजों के बजाय नकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए ऑटो-सुझाव का उपयोग करते हैं। उदाहरण के लिए हम कहते हैं, “मैं थक गया हूं”, “मैं बेकार हूं”, और फिर आश्चर्य होता है कि हम वास्तव में ऐसा क्यों महसूस करते हैं।
टेलीपैथी चिकित्सा (Telepathy) – दूरसंवेदन (Telepathy), एक ऐसी शक्ति है, जिससे दूर बैठे व्यक्ति की मानसिक स्थिति से सम्पर्क किया जा सकता है। प्राचीनकाल में इसके माध्यम से सिद्ध लोग एक दूसरे से वार्तालाप किया करते थे। इसी प्रकार की पैथी ‘टेली मेडिसीन’ या ‘टेलीपैथी’ है।
अन्य चिकित्सा पद्धति | Some other Therapies
एक्यूप्रेशर चिकित्सा (Acupressure)- चीन में विगत चार हजार वर्षों से प्रचलित, जिसमें चीन के ‘यिंग यांग’ दर्शन के आधार पर सुइयाँ (बहुत छोटी) चुभोते या दबाव डालते हैं। और पढ़े- एक्यूप्रेशर चिकित्सा का रहस्य
चुम्बक चिकित्सा ( Magnetic Therapy) – चुम्बक चिकित्सा में रोगी का इलाज उसके शरीर में चुम्बक लगाकर किया जाता है।
जल चिकित्सा (Water)- जल चिकित्सा अत्यंत प्राचीन विधि है। जल चिकित्इसा अनुसार जल में रोगहारी शक्ति होती हैं और कई रोग तो मात्र जल पिने से ठीक किए जा सकते हैं। जापान में जल-चिकित्सा विशेषज्ञों का तो यहाँ तक कहना है कि इस चिकित्सा को अपनाकर उच्च-रक्तचाप, एनीमिया, मधुमेह, श्वेतप्रदर, अनियमित मासिक-स्राव, सिरदर्द, मोटापा, गठिया, पेचिश और मूत्र संबंधी अनेक रोगों से निजात पाई जा सकती है। और पढ़े- मटके में पानी पीने के फायदें | पानी से जुड़े सवाल-जवाब
सुगंध चिकित्सा (Aromatherapy)– बहुत पुराने समयमें नीम की धुनी या मिर्चे की बुकनीकी धुनीका प्रयोग करते थे।
कलर थेरेपी (Chromotherapy)– कलर थेरेपी (colour therapy) में शरीर, मन और आत्मा को स्वस्थ करने के लिए प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। कलर थेरेपी के अनुसार रंग और स्वास्थ्य का गहरा सम्बन्ध है। हमारा शरीर कई रंगों से मिलकर बना है। शरीर के समस्त अवयवों का रंग अलग-अलग है जब कोई बीमार होता है तो उसके रासायनिक द्रव्यों के साथ-साथ रंगों का भी असंतुलन हो जाता है। कलर थेरेपी यानी रंग चिकित्सा उन रंगों को संतुलित कर देती है जिससे रोग का उपचार हो जाता है।
घास चिकित्सा (Grass Therapy)- इस चिकित्सीय पद्धति में विभिन्न घासों (गेहू, कुश आदि) द्वारा उपचार किया जाता है वर्तमान में Wheat grass Therapy थेरपी काफी प्रचलन में हैं।
स्वमूत्र चिकित्सा (Urine therapy) – स्वमूत्र चिकित्सा या ‘स्वाम्बु चिकित्सा’ की मान्यता है कि ह्मारे पेशाब में इलाज करने की क्षमता होती है वह और किसी दवा से कम नहीं है। अर्थात हम अपने पेशाब के द्वारा बहुत से रोग है जिन्हें हम दूर कर सकते है।
इलेक्ट्रोकॉनवल्सिव थेरेपी (Electroconvulsive therapy)- ECT को पहले इलेक्ट्रोशॉक थेरेपी के रूप में जाना जाता था. ये एक मनोरोग उपचार है, जिसमें मानसिक विकारों से पीड़ित रोगियों को विद्युत तरंगों के जरिये ठीक किया जाता है।
ज्वर चिकित्सा (Pyrotherapy)- पायरोथेरेपी (कृत्रिम बुखार) में शरीर के तापमान को बढ़ाकर या बुखार का उपयोग करके शरीर के ऊंचे तापमान को बनाए रखने की एक विधि है। सामान्य तौर पर, शरीर का तापमान 41 डिग्री सेल्सियस (105 डिग्री फारेनहाइट) पर बनाए रखा जाता था। सामान्य तौर पर, यह रोगी को गर्म स्नान, गर्म हवा, या विद्धुत, कंबल से किया जाता था।
फिजियो थिरैपी (Physiotherapy)- शरीरका मालिश, व्यायाम आदि से उपचार और रोग न होने देने का उपचार। इसके अन्तर्गत सौर चिकित्सा, फोटो थिरैपी (प्रकाश उपचार), ताप चिकित्सा, वैलनियो थिरैपी (खनिजयुक्त प्राकृतिक जलोंसे), विद्युत् चिकित्सा सभी शामिल हैं।
फोटो थिरैपी (Phototherapy)- फोटोथेरेपी इलाज में बच्चे के कपड़े निकाल के उसे रेडियंट वार्मर बेड पर लिटाया जाता है, उसकी आँखें कवर करके सारे शरीर पर फोटोथेरेपी का प्रकाश डाला जाता है।
ऑस्टियोपैथी (Osteopath)- ऑस्टियोपैथी का उपयोग मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम और अन्य अंग प्रणालियों के विकारों में किया जाता है और इसमें विशेष रूप से विशेष हाथों और मालिश तकनीकों के साथ विभिन्न शिकायतों का इलाज किया जाता है। अमेरिका में, ऑस्टियोपैथी व्यापक है – जहां ऑस्टियोपैथ और डॉक्टर व्यावहारिक रूप से बराबर होते हैं।
एसेंशल ऑयलथिरैपी (Essential Oil) – सुगन्धित तेलों से उपचार। एसेंशियल ऑइल्स थेरेपी में प्लांट्स, हब्र्स, पेड़ों, फूलों आदि के सत्व से उपचार किया जाता है दवाओं के साइड इफेक्ट्स जैसा कोई खतरा इसमें नहीं होता। इस थेरेपी में खुशबूदार तेलों से हीलिंग की जाती है। तकलीफों को दूर करने के साथ-साथ ये तनाव को भी कम कर मूड को बेहतर बनाने में मददगार है।
लेसर थिरैपी (Laser Therapy)- लेसर किरणों से उपचार, इसका प्रयोग विशेष रूप से नेत्र रोगों में किया जाता हैं।
कॉपर थेरेपी –आयुर्वेद में ताम्र पात्र में पानी के विभिन्न गुण बताएं गये है। मॉडर्न मॉडर्न रिसर्च द्वारा भी यह सिद्ध हो चुका है कि तांबा यानि कॉपर सीधे तौर पर आपके शरीर में कॉपर की कमी को पूरा करता है और बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं से आपकी रक्षा कर आपको पूरी तरह से स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होता है।
प्रसाधन चिकित्सा (cosmetic therapy)– कॉस्मेटिक थेरेपी में सौन्दर्य प्रसाधन और सर्जरी के माध्यम से झुर्बरिया, बढती उम्र के लक्षण, हेयर ट्रांसप्लांट आदि का उपचार किया जाता है। यह महिलाओ में अधिक प्रचलित है। और पढ़े- सुन्दरता से जुड़े लेख
कपिंग थेरेपी (Cupping therapy) – कप्पिंग थेरेपी में त्वचा पर एक स्थानीय सक्शन बनाया जाता है।
स्पाथिरैपी (Spa Therapy)- एक प्रकारकी स्नान चिकित्सा।
कणछेदन चिकित्सा (Ear Piercing)- कणछेदन या कर्णवेध चिकित्सा एक प्राचीन थेरेपी है, इमसे रोगीं की कानो का छेदन करके विभिन्न रोगों का उपचार किया जाता है।
ज्योतिष चिकित्सा (Medical astrology)- चिकित्सा ज्योतिष में इन्हीं विधाओं के सहारे रोग निर्णय करते हैं तथा उसके आधार पर उसके ज्योतिषीय कारण को दूर करने के उपाय भी किये जाते हैं। इसलिए चिकित्सा ज्योतिष को ज्योतिष द्वारा रोग निदान की विद्या भी कहा जाता है। अंग्रेजी में इसे मेडिकल ऐस्ट्रॉलॉजी कहते हैं।
ग्रहशान्ति (Planets Remedies)- ज्योतिष अनुसार ग्रहों के शुभाशुभ प्रभाव के कारण व्यक्ति को रोग होते हैं, यदि समय रहते ग्रह शांति करवा दी जाए तो रोग की जटिलता मे कमी आती है यह शांति पूजा, मन्त्र जाप, दान आदि विभिन्न उपायों द्वारा किया जाता हैं।
रत्न चिकित्सा (Gems / stones )– रत्न धारण करनेसे रोग दूर हो सकते हैं, इसका अब पूरा शास्त्र बन गया है।
रुद्राक्ष चिकित्सा (Rudraksha)- रुद्राक्ष द्वारा चिकित्सा।
टोटका पैथी (Occult Science)- आज भी समाज का एक बहुत पड़ा वर्ग टोटको में विश्वास करता है, और विभिन्न रोगों के लिए टोटकों से रोग निवारण का दावा करते हैं।
बीज चिकित्सा (Seed therapy)- विभिन्न प्रकार के बीजो से चिकित्सा।
वेगन उपचार (Vegan Therapy)– विशुद्ध शाकाहार- दूध, घी भी वर्जित।
रिफ्लेक्सोलॉजी (Reflexology)- भारत और चीनकी प्राचीन-विद्याओं से और ‘हठयोग’ से सम्बन्धित यह विधि दबाव और मालिशद्वारा उपचार करती है।
पिरामिड थिरैपी (Pyramid Therapy)- मिस्र देशके पिरामिड आश्चर्यके साथ ही रहस्यमय भी रहे हैं। इस विधिके उपचारक मानते हैं कि पिरामिड आकारके कक्ष या तंबूमें रोगी लेटे तो अच्छा हो जाता है। और पढ़े- पिरामिड चिकित्सा से स्व उपचार
टाई ची चुआन (tai chi therapy)- ताई ची चुआन (Tai Chi Chuan या Taijiquan) एक बहुत पुराना चाइनीज “इंटरनल” या “सॉफ्ट” मार्शल आर्ट है, जिसे अक्सर ही इसके स्वास्थ्य से जुड़े लाभ और आध्यात्मिक लाभों के लिए इस्तेमाल किया जाता है; ये गैर प्रतिस्पर्धी, सौम्य, और आम तौर पर धीमी गति का होता है।
आदिम चिकित्सा (Adim Chikitsa)- विश्वभर के आदिवासी अपनी चिकित्सा विधि से उपचार करते आए हैं। आज भी आदिवासी इलाकों में जड़ी बूटी और टोटके आदि से उपचार करते देखे जाते है।
रोगस्थानान्तरण चिकित्सा (Disease transfer)- इस विधिमें लोग विश्वास करते हैं कि रोग दूसरे प्राणीको दिये जा सकते हैं और इस प्रकार रोग दूर होता है। इसमें मेढक, बत्तख आदिको रोग ट्रान्सफर करते हैं।
संगीत चिकित्सा (Music therapy)- ध्वनि चिकित्सा के जितने भी रूप है, उनमें संगीत चिकित्सा सर्वाधिक लोकप्रिय है। स्वास्थ्य संवर्द्धन हेतु संगीत का किसी भी रूप में उपयोग संगीत चिकित्सा के अन्तर्गत आता है।
हास्य चिकित्सा (Laughter therapy) – एक इंग्लिश कहावत के अनुसार- “Laughter is the best medicine” शरीर में नि:श्वास के साथ विजातीय तत्वों को विसर्जित करने का सरलतम उपाय है हास्य योग अर्थात् मुस्कुराना, खुलकर हँसना।
ध्वनि चिकित्सा (Sound therapy)- अतिस्वन ध्वनि (अल्ट्रा साउण्ड) से दवा। ऐसी ही ‘सोनोथिरैपी’ है।
नृत्य चिकित्सा (Dance therapy)- नाचसे भी लाभ होता है। इसके अन्तर्गत बेली, डांसिंग, हूलाहूला नृत्य भी आते हैं।
आर्ट थिरैपी (Art therapy)- चित्रकला द्वारा उपचार।