पश्चिमोत्तानासन (Seated Forward Bend Pose)
पश्चिमोत्तानासन शब्द संस्कृत के मूल शब्दों से बना है “पश्चिम” जिसका अर्थ है “पीछे” या “पश्चिम दिशा”, और “तीव्र खिंचाव” है और आसन जिसका अर्थ है “बैठने का तरीका”।
पश्चिमोत्तासन करने की विधि (How to Do Paschimottanasana In Hindi)
Step 1: आसन पर बैठकर सामने दोनों पैर लम्बे फैलाकर एक दूसरे से सटाकर कड़े रखिए।
Step 2: इसके पश्चात् साँस को निकाल आगे झुक कर दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे पकड़िए।
Step 3: धीरे-धीरे अभ्यास करने से माथा घुटनों में लगने व चेहरा घुटनों के बीच में जाने लगेगा। धड़ को झुकाते समय पेट को अन्दर खींचना चाहिए, कुछ दिन पश्चात् हाथ की कुहनियाँ जमीन से लगने लगेंगी। साँस को उस समय तक रोके रहना चाहिए जब तक सीधा न बैठ जायें।
समय: पन्द्रह-बीस सैकिन्ड से आरम्भ करके धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। शारीरिक लाभ के लिए पाँच-सात मिनिट का अभ्यास काफ़ी है।
विशेष: जो लोग मोटापे आदि के कारण इसे न कर सकें उनको पहले अर्ध पश्चिमोत्तानासन करना चाहिए। इसमें एक पैर फैलाकर दोनों हाथों से उस पैर का अंगूठा पकड़कर माथे को घुटने से लगाना चाहिए। एक पैर के बाद दूसरे पैर का, पश्चात् दोनों पैरों का अभ्यास करना चाहिए।
पश्चिमोत्तासन से लाभ (Benefits of Paschimottanasana in Hindi)
इस आसन से पेट और पैरों के स्नायुओं का खूब खिंचाव होता है और वे फैलते हैं जिससे पेट के विकार, कोष्ठबद्धता नहीं रहती। बढ़ा हुआ पेट पिचक जाता है।
बवासीर, बहुमूत्र मेदारोग, पांडुरोग, ताप, तिल्ली, कृमि, श्वास, खाँसी कमर दर्द व आँतों के रोग दूर होते हैं।