तालमखाना (कोकिलाक्ष)
आयुर्वेद में तालमखाना (Talmakhana) या कोकिलाक्ष का कई तरह के बीमारियों के लिए उपचार स्वरुप औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-
तालमखाना (कोकिलाक्ष) का विभिन्न भाषाओं में नाम (Talmakhana Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | हीयोफिला आउरीकुलाटा (Hygrophila auriculata) |
अंग्रेज़ी नाम | लॉन्ग लीव्ड बारलेरिया (Long leaved barleria), तालमखाना (Talmakhana) |
हिंदी नाम | तालमखाना, कोकिला आँख गोकुलकाँटा, जुलीआकाण्टा, तालमखाना, ऊँटकटरू |
संस्कृत | कोकिलाक्ष, काकेक्षु, इक्षुर, क्षुर, भिक्षु, काण्डेक्षु, इक्षुगन्धा और इक्षुबालिका |
गुजराती | एखरो (Ekharo), आखो (Aakho) |
मराठी | तालीमखाना (Talimakhana), कोलसुन्दा (Kolsunda) |
कन्नड़ | कोलावलिके (Kolavalike), बलिकेल (Balikel) |
नेपाली | तालमखाना (Talamkhana) |
बंगाली | कुलियाखारा (Kuliakhara), कण्टकलिका (Kantakalikaa) |
तेलगू | कोकिलाक्षी (Kokilakshi), कोकिलाक्षमु (Kokilaksamu), नीरुगुब्बी (Neerugubbi) |
तमिल | निरमुल्ली (Nirmulli) |
तालमखाना का सामान्य परिचय (Introduction of Talmakhana)
यह प्रायः सड़क के किनारे की सूखी नालियों में उथले सूखे तालाबों में और गड्ढों में उग आता है। तालमखाना का पौधा 60-150 सेमी ऊंचा होता है, इसके तने चौकोर होते हैं। एक पौधे में प्राय: एक सीधा तना होता है, शाखाएं नहीं होतीं।
तना (विशेषकर गांठ के पास) रोमिल होता है। प्रत्येक गांठ पर 6 पत्ते चक्राकार लगते हैं और पत्तों के कक्ष में फूल होते हैं। फूल नीले या बैगनी रंग के लगभग 3 सेमी लंबे होते हैं। प्रत्येक पत्ते के कक्ष में एक नोकीला कांटा भी होता है।
कोकिलाक्ष या तालमखाना के फायदे (Benefits and Uses of Talmakhana in Hindi)
तालमखाना का मूल सहित समूचा पौधा औषधि में काम आता है। यह जलोदर, पीलिया, गठिया और मूत्र एवं जननेंद्रियों के रोगों में काम आता है। तालमखाना के पत्ते खांसी, एवं मूत्र में धातु जाने के रोग में उपयोगी है।
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