हलासन (Plow Pose)
इस आसन में शरीर का आकार खेत को जोतने वाले हल जैसा बनता है इसलिए इसको ‘हलासन’ कहा जाता है। इसे अंग्रेज़ी में Plough Posture or Plow Pose कहते हैं।
हलासन हमारे शरीर को लचीला बनाने के लिए महत्त्वपूर्ण है। इससे हमारी रीढ़ सदा जवान बनी रहती है।
हलासन करने की विधि (Halasana step by step Guide in Hindi)
Step 1: सर्वप्रथम भूमि पर बिछे हुए आसन पर पीठ के बल लेट जाएं।
Step 2: अपने हाथों को शरीर से सटा लें। हथेलिया जमीन की तरफ रहेंगी।
Step 3: सांस भीतर की और खींचते हुए दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊपर उठाते जाए, अपने हाथों से कमर को सहारा दें।
Step 4: पैरों को आकाश की और पूरे उठाकर फिर सिर के पीछे ले जाएं। पैर बिल्कुल तने हुए रखकर पैरों के अंगूठे से जमीन को छुएं। ठोड़ी छाती से लगी रहे।
Step 5: अब हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें। हथेली नीचे की तरफ रहेगी।
Step 6: सासों पर ध्यान केंद्रित करें, सांस छोड़ते हुए टोगों को वापस जमीन पर ले आएं। इस आसन को 15 सेकिंड से प्रारम्भ करके 1-2 मिनट तक करें।
विशेष: आसन को छोड़ते हुए जल्दबाजी न करें। टागों को एक समान गति से ही सामान्य स्थिति में वापस लाना है। और पढ़ें: चक्रासन (Wheel Pose)
हलासन से लाभ (Benefits of Halasana)
हलासन के अभ्यास से अजीर्ण, कब्ज, अर्श, असमय वृद्धत्व, दमा, कफ, रक्तविकार आदि दूर होते हैं। यदि आप सुंदर और कांतिमय चेहरा चाहते हैं तो आपको हलासन का नियमित अभ्यास जरूर करना चाहिए। यह आसन वजन कम करने के लिए भी कारगर है इससे बैली फैट कम होता है। और पढ़ें: मोटापा कैसे कम करें
हलासन करने से कमर, पीठ एवं गर्दन के रोग नष्ट होते हैं। शरीर बलवान और तेजस्वी बनता है। मेरुदण्ड सम्बन्धी नाडियों के स्वास्थ्य की रक्षा होकर वृद्धावस्था के लक्षण जल्दी नज़र नहीं आते।
रीढ़ में कठोरता होना यह वृद्धावस्था का चिह्न है। हलासन करने से रीढ़ लचीली बनती है, इससे युवावस्था की शक्ति, स्फूर्ति, स्वास्थ्य और उत्साह बना रहता है। इस आसन को करने से लिवर अच्छा रहता है। लिवर और प्लीहा बढ़ गए हो तो हलासन से सामान्य अवस्था में आ जाते हैं।
श्वसन क्रिया तेज होकर रक्त शुद्ध बनता है। सिर दर्द दूर होता है। हलासन करने से कामशक्ति बढ़ती है, वीर्य का स्तंभन होता है। यह आसन अण्डकोष की वृद्धि पेन्क्रियास अपेन्डिक्स आदि को ठीक करता है थायराइड ग्रन्थि की क्रियाशीलता बढ़ती है। और पढ़ें: त्रिकोणासन (Triangle Pose)
सावधानी (Limitation)
गर्भिणी स्त्रियों को यह आसन नही करना चाहिए। आर्थराइटिस, तिल्ली व जिगर, उच्चरक्तचाप, सर्वाइकल स्पॉण्डलाइटिस, स्लिप डिस्क, मेरुदण्ड व क्षयरोगी भी इस आसन का अभ्यास न करें।