Malaria: मलेरिया के लक्षण, कारण और उपचार
जानें, मलेरिया क्या है, कैसे होता है, इसके लक्षण और इससे जुड़ी अन्य विशेष जानकारियां जो आपको शायद पता न हों।
- मलेरिया मादा मच्छर एनाफिलीज के काटने से फैलता है।
- मलेरिया प्रतिवर्ष 51.5 करोड़ लोगों को प्रभावित करता है तथा 10- 15 लाख लोगों की मृत्यु का कारण बनता है
- मलेरिया गर्म देश में अप्रत्याशित रूप से फैल रहा है।
- यह रोग भूमध्य रेखा के आस-पास उष्णकटिबंधीय (Tropical) और उपोष्णकटिबंधीय (Subtropical) क्षेत्रों में अधिक पाया जाता है जिसमें अफ्रीका और एशिया के ज्यादातर देश शामिल हैं।
- यदि इसकी रोकथाम के लिए ही कारगर कदम नहीं उठाए गए, तो यह इसी तेजी से फैलता जाएगा।
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मलेरिया क्यो होता है? | Malaria causes In Hindi
मलेरिया मादा मच्छर एनाफिलीज के काटने से फैलता है। इस मच्छर में प्लास्मोडियम (Plasmodium) नाम का परजीवी (प्रोटोजोआ) पाया जाता है। मलेरिया फैलने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है-
जब किसी हेल्दी पर्सन को मादा एनाफिलीज मच्छर काटता है तो उसके खून में मलेरिया के जर्म्स चले जाते हैं। मलेरिया का कोई भी प्रोटोजोआ खून में पहुंचते ही हीमोजॅाइन टॅाक्सिन बनाने लगता है।
ये टॉक्सिन एक तरह का जहर है जो मानव शरीर के लिए काफी खतरनाक है। जैसे ही प्रोटोजोआ लिवर में पहुंचता है ये कई गुना तेजी से बढ़ने लगता है। इनकी संख्या इतनी अधिक हो जाती है कि ये इंसान के रेड ब्लड सेल (लाल रक्त कोशिका) में भी घुस जाते हैं।
जिसके कारण मच्छर के काटने से ये रक्त में कई गुणा बढ़ता है और फिर इंसान के शरीर को बीमार कर देता है।
एक के बाद एक रेड ब्लड सेल पर ये हमला करते हैं। इस वजह से इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता इस लड़ नही पाता। और फिर इंसान के शरीर को बीमार कर देता है। मनुष्य में मलेरिया के लक्षण तुरंत नहीं आते, ये छह से आठ दिन बाद लक्षण देता है।
मलेरिया परजीवी के प्रकार | Types of Malaria Parasite in Hindi
मलेरिया, प्लासमोडियम (Plasmodium) नामक परजीवी (Parasite) के कारण होता है। जिनका वाहक मच्छर (मादा एनाफिलीज) होता है। प्लासमोडियम पैरासाइट के पांच प्रकारों की वजह से ही हमारे शरीर में मलेरिया फैलता है। लेकिन इनमें से मुख्यत: तीन प्रकार मलेरिया के ज्यादातर मामलों में उत्तरदायी होते हैं-
प्लाज़मोडयम फाल्सीपैरम (Plasmodium falciparum)– यह सबसे आम प्रकार का मलेरिया परजीवी है और दुनिया भर में अधिकांशत मलेरिया रोगी की मौत इसी परजीवी के कारण होती है।
प्लाज़मोडयम विवाक्स (Plasmodium Vivax)– यह परजीवी प्लाज़मोडयम फाल्सीपैरम की तुलना में मलेरिया के हल्के लक्षणों का कारण बनता है।लेकिन यह तीन साल तक लीवर में रह सकता है।
प्लाज़मोडयम ओव्युल (Plasmodium Ovale)- यह परजीवी असामान्य है तथा आमतौर पर पश्चिम अफ्रीका में पाया जाता है। यह मलेरिया के कोई लक्षण दिखाए बिना ही कई वर्षों तक व्यक्ति के लीवर में रह सकता है।
प्लाज्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae) – यह परजीवी काफी दुर्लभ है और आमतौर पर केवल अफ्रीका में पाया जाता है।
प्लास्मोडियम नाउलेसी (Plasmodium knowlesi) – यह परजीवी बहुत दुर्लभ है और दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में पाया जाता है।
मलेरिया के लक्षण | Symptoms of Malaria in Hindi
मलेरिया का बुखार सामान्य बुखार से अलग होता है, इसमें रोगी को प्रतिदिन या एक दिन छोड़कर तेज बुखार आता हैं। संक्रमित मच्छर के काटने एवं बुखार चढ़ने के बीच 7 से 10 दिन का अंतर रहता है। इस अवधि में रोगी को भूख नहीं लगती, सिरदर्द रहता है और थकावट बनी रहती है। मलेरिया के कुछ अन्य लक्षण निम्न है-
- ठण्ड लगना और काँपना।
- सिर दर्द, उल्टी होना या जी मिचलाना।
- शरीर में खून की कमी।
- मांसपेशियों, जोड़ो में दर्द, डायरिया होना।
- दौरे पड़ना
- मूत्र में खून आना।
मलेरिया बुखार कितने दिन तक रहता है?
अगर मरीज समय रहते डॉक्टरी इलाज अपनातें हैं तो मलेरिया में रिकवरी बहुत तेजी से होती है। इसमें रोगी को ठीक होने में कम से कम 2 सप्ताह का समय लग सकता है।
मलेरिया का घरेलू उपचार | Home Remedies for Malaria
आम तौर पर मलेरिया के बुखार के परेशानी से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से बुखार को कम किया जा सकता है।
मलेरिया में क्या खाये क्या न खाएं?
अगर किसी व्यक्ति को मलेरिया हो जाता है तो उसे डॉक्टरी इलाज के साथ-साथ सही खानपान पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए। इससे रोगी को शीघ्र रिकवर होने में मदद मिलती है।
- रोगी को ऐसे भोज्य पदार्थ खाने के लिए देने चाहिएं जो आसानी से पच सकें।
- फलों में सेब, पपीता, चीकू और अमरूद का सेवन करना चाहिए। फलों के अलावा रोगी को अंकुरित बीज अनाज और हरी पत्तेदार सब्जियां खानी चाहिए।
- रोगी को उबली दाल, चावल, खिचड़ी, दलिया भी दिया जा सकता है।
- इसमें रोगी को तुलसी के पत्ते और पिसी कालीमिर्च को पानी में उबालकर पीना चाहिए।।
- रोगी दूध में भी तुलसी के पत्ते और काली मिर्च को उबालकर पी सकता है।
- इसमें रोगी नींबू पर सेंधा नमक और पिसी काली मिर्च छिड़ककर उसे चूसें।
- मलेरिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए चाय बनाते समय उसमें अदरक, काली मिर्च और तुलसी पत्ता जरूर डालें।
- रोगी व्यक्ति को ना तो ठंडे पानी का सेवन करना चाहिए और ना ही ठंडे पानी से नहाना चाहिए।
- मिर्च मसालेदार व तैलीय पदार्थों का सेवन न करें।
- ठोस, मसाले दार, तेल का सेवन करने से बचना चाहिए।
- फलों में आम, अनार, संतरा, अनन्नास, लीची का सेवन नहीं करना चाहिए।
- गाजर, मूली, दही नहीं खाएं।
मलेरिया से ग्रसित व्यक्ति की जीवनशैली
- रोगी के आस-पास अधिक से अधिक सफाई रखें।
- रोगी के कमरे में पंखा, कूलर या ए.सी. नहीं चलाना चाहिए।
- मलेरिया में बुखार आने पर रोगी को बहुत तेज सर्दी लगती है, इसलिए रोगी को हमेशा पूरे ढके हुए और गर्म कपड़े पहनने चाहिए।
- ठण्डा पानी तथा ठण्डी चीजों को न खाएं।
मलेरिया से बचाव | Prevention of Malaria in Hindi
- मच्छरों को पनपने से रोकें।
- अपने आसपास के वातावरण को साफ रखे।
- घर के आसपास पानी इकट्ठा नहीं होने दें। खासकर बरसात के दिनों में।
- पोखर, नालों इत्यादि में नगरपालिका की सहायता से मच्छरमार दवा का छिड़क कराना चाहिए।
- Mosquito Repellent, मच्छरदानी का प्रयोग करें।
- घर के दरवाजे और खिड़कियों पर जाली लगा कर रखें।
- पीने के पानी को हमेशा ढक कर रखें।
- ऐसी जगह ना जाएं जहां झाड़ियां हो।
- ऐसे कपड़े पहने जो शरीर के ज्यादा भाग को ढकता हो।
मलेरिया का परीक्षण | Diagnosis and treatment Malaria in Hindi
डॉक्टर मलेरिया के लक्षण मिलेने पर पुष्टि के लिए रक्त की जांच करवाते है। रक्त की जांच से मलेरिया रोगाणुओं का पता चल जाता है। रक्त के सैंपल से ब्लड स्मीयर (blood smear) तैयार किया जाता है। यदि पहले ब्लड स्मीयर में मलेरिया परजीवी की उपस्थिति की जांच की जाती है। अगर रक्त में परजीवी की उपस्थिति नहीं दिखती है। लेकिन डॉक्टर को संदेह होता है, तो वे अगले 36 घंटों तक हर 8 से 12 घंटे में दोबारा परीक्षण करवा सकते है।