WHO Salt Guidelines: सेहत के लिए क्यों और कितना जरूरी हैं नमक?
नमक (Salt) रसोई घर की सबसे महत्वपूर्ण चीजों में से एक है। नमक के बिना खाने के स्वाद की कल्पना भी नहीं की जा सकती। नमक किसी भी खाने के जायके को बना या बिगाड़ सकता है। नमक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। बशर्ते सही मात्रा में खाया गया हो।
Contents
नमक के प्रकार (Types of Salt)
सामान्यतः नमक के 5 प्रकार होते है-
- सामान्य नमक (Table Salt)
- काला नमक (Black Salt)
- सेंधा नमक (Himalayan Pink Salt)
- लो सोडियम नमक (Low sodium Salt)
- समुद्री नमक (Sea Salt)
टेबल सॉल्ट या सादा नमक (Table Salt)
इस नमक में सोडियम की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। टेबल सॉल्ट में आयोडीन भी पर्याप्त मात्रा में होता है, जो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। लेकिन इसका ज्यादा मात्रा में सेवन हमारी हड्डियां को कमजोर कर सकता है।
सेंधा नमक (Himalayan Pink Salt)
इसे रॉक सॉल्ट या व्रत वाले नमक के नाम से भी जाना जाता है। इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और मैग्नीशियम की मात्रा सादे नमक की तुलना में काफी ज्यादा होती है। यह नमक हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है।
काला नमक (Black Salt)
काला नमक खाने से कब्ज, बदहजमी, पेट दर्द, चक्कर आना, उल्टी आना और जी घबराने जैसी समस्याओं से छुटकारा मिलता है। लेकिन इसमें फ्लोराइड अधिक होता है और इसके अधिक सेवन से शरीर को नुकसान हो सकता है।
लो-सोडियम सॉल्ट (Low sodium Salt)
इस नमक को बाजार में पौटेशियम नमक भी कहा जाता है। जिन लोगों को ब्लड प्रेशर या हृदय रोग की समस्या हैं उन्हें लो सोडियम सॉल्ट का सेवन करना चाहिए।
सी सॉल्ट (समुद्री नमक (Sea Salt)
यह नमक वाष्पीकरण के जरिए बनाया जाता है यह नमक भी सादा नमक की तरह नमकीन नहीं होता है। इसका सेवन पेट फूलना, तनाव, सूजन, आंत्र गैस और कब्ज जैसी समस्याओं के वक्त सेवन करने की सलाह दी जाती है।
क्यों ज़रूरी है नमक ?
नमक शरीर में पानी के स्तर को नियंत्रित करने के अलावा पांचन तंत्र व किडनी को भावनात्मक समस्याओं से भी राहत दिलाता है। शरीर में नमक की मात्रा कम होने से थकान, मांसपेशियों में जकड़न, चक्कर आना, भूख न लगना और लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो सकती है।
- हमारे शरीर में कुल नमक का 24 प्रतिशत हड्डियों में होता है।
- नमक में 50 प्रतिशत सोडियम और 60 प्रतिशत क्लोरीन होता है।
- आयोडिन की कमी से होने वाले रोग को दूर करने के लिए 1924 से आयोडिन युक्त नमक का प्रचलन शुरू हुआ।
नमक की ज़्यादा मात्रा भी है हानिकारक
नमक सोडियम का सबसे अच्छा और सीधा स्रोत है। सोडियम खाना पचाने के साथ ही हमारे पाचन तंत्र को भी सही बनाए रखता है। मगर इसकी अधिक मात्रा कई बीमारियों को न्योता भी दे सकती है।
B.P और हार्ट की समस्या– नमक के अधिक सेवन से हाइपर टेंशन, हाई ब्लड प्रेशर का ख़तरा बढ़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी बढ़ जाती है।
एसिडिटी की समस्या- ज़्यादा नमक से खून में आयरन की मात्रा कम हो जाती है जिससे एसिटिडी बढ़ जाती है।
वाटर रिटेंशन- शरीर में नमक की मात्रा ज्यादा होने पर पानी जरूरत से ज्यादा जमा हो जाता है. यह स्थिति वाटर रिटेंशन या फ्लूड रिटेंशन कहलाती है। ऐसी स्थिति में हाथ, पैर और चेहरे में सूजन हो जाती है
गुर्दे की पथरी- ज्यादा नमक खाने से पेशाब में कैल्शियम का स्तर बढ़ जाता है और गुर्दे में पथरी हो सकती है।
शरीर मे सूजन की समस्या- ज्यादा नमक के सेवन से शरीर में बेवजह सूजन आ सकती है। इसे इडिमा (edema) कहते हैं।
उम्र के मुताबिक प्रतिदिन नमक का सेवन (WHO Salt Guidelines: How Much Salt Should You Eat?)
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, हर व्यक्ति को उम्र के अनुसार नमक का सेवन करना चाहिए-
आयु | नमक की मात्रा |
---|---|
0-12 महीने | 1 ग्राम |
1-3 साल | 2 ग्राम |
4-6 साल | 3 ग्राम |
7-10 साल | 5 ग्राम |
11 से ऊपर | 5 ग्राम |
भोजन में नमक को कैसे नियंत्रित करें?
- खाने में जरूरत अनुसार नमक मिलाए।
- बिना नमक मिला सलाद और फल खाएं।
- नमकीन स्नैक्स का कम से कम सेवन करें।
- तला हुआ भोजन कम खाएं।
- पापड़, चटनी, चिप्स, सॉल्टेड पीनट, सॉस और प्रोसेस्ड फूड का कम सेवन करें।
- सोडिमय क्लोराइड की मात्रा संतुलित करने के लिए अपनी डायट में ज़्यादा पोटैशियम वाली चीजें जैसे- फल, सब्जियां आदि शामिल करें।