Homeopathy: जानें, होम्योपैथी की ABCD

Homeopathy Antagonistic Medicine

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होमियोपैथिक क्या है और कैसे काम करता है ? | What is homeopathy and how does it work?

‘होमियोपैथी’ (Homeopathy) दो शब्दों से मिलकर बना है- ‘होमियोज’ और ‘पैथीज’। ‘होमियोज’ का अर्थ है- ‘सदृश’ या ‘समान’ और ‘पैथीज’ का अर्थ है- ‘विधान’। इस प्रकार ‘होमियोपैथी’ से तात्पर्य उस विद्या से है जो ‘सदृश विधान’ पर आधारित है।

होमियोपैथी एक लाक्षणिक चिकित्सा पद्धति है। इसमें रोग का उपचार न करके रोगी के लक्षणों की सिद्धान्त के अनुसार चिकित्सा की जाती है। इसीलिये इस चिकित्सा पद्धति के द्वारा अनेक कष्टसाध्य और असाध्य रोगों का बड़ी आसानी से इलाज हो जाता है।

होमियोपैथिक चिकित्सा का सिद्धान्त | Principles of Homeopathic Medicine

होमियोपैथी के सिद्धान्त के अनुसार- “जिन वस्तुओं का सेवन करने से जो लक्षण कृत्रिम रूप से शरीर में उत्पन्न होते हैं, यदि वही लक्षण प्राकृतिक रूप से शरीर में उत्पन्न हो जायें तो वैसे ही लक्षणों को उत्पन्न करने वाली वस्तु (दवा) ही उन लक्षणों की प्रधान दवा होगी।”

उदाहरण के लिए आप किसी ऐसे व्यक्ति को तम्बाकू खिला दें जो तम्बाकू खाने का आदी न हो तो ऐसे व्यक्ति में जो लक्षण (घबराहट, चक्कर के साथ पसीना, उल्टी की इच्छा, हिचकी आदि) उत्पन्न होते हैं, वैसे ही स्वाभाविक लक्षण किसी रोगी को प्राकृतिक रूप से उत्पन्न हो रहे हों, तो यही तम्बाकू से बनी दवा (टैबेकम) ही उसके रोग की प्रधान दवा होगी। यही इस पद्धति का मूल सिद्धान्त है। इसी कारण इस पद्धति को ‘सदृश विधान चिकित्सा’ या ‘सम से सम की चिकित्सा’ कहा जाता है।

होमिओपेथी दवाई कैसे बनाई जाती है | How is homeopathy medicine prepared?

होमियोपैथी के आविष्कार के समय प्रारम्भ में दवाओं को मूल रूप (मदर टिंक्चर) में दिया जाता था परन्तु बाद में अनुभव किया गया कि दवाओं को मूल रूप में देने पर उनका उतना असर नहीं होता था जितना उन्हें Dilute करके देने से होता था। इस आधार पर दवाओं को शक्तिकृत करने का सिद्धान्त खोजा गया।

होम्योपैथिक औषधियों के स्केल- होमियोपैथिक दवाओं के नाम के आगे जो गिनतियाँ जैसे- Q, 3,6,12, 30, 200, 1M, 10M, 50M, 1CM आदि लिखा रहता हैं, उन्हें उस दवा की ‘पोटेन्सी’ (Power) कहते है। यह ‘पोटेन्सी’ दवा की शक्ति की प्रतीक होती हैं। यह क्रम से शक्तिशाली होती है, जैसा कि सूची में दिया गया है। Q का अर्थ है मूल अर्क या मदरटिंक्चर।

होमियोपैथिक दवा बनाने की विधि बड़ी ही विचित्र है। इस विधि में औषधि के स्थूल रूप को इतने सूक्ष्मतम रूप में परिवर्तित कर दिया जाता है कि दवा की 6 पोटेंसी से ऊपर की दवा में दवा का स्थूल अंश तो क्या, दवा के सूक्ष्म अंशका भी पता नहीं लगाया जा सकता।

होमियोपैथीकी शक्तीकृत दवा 6 शक्ति के बाद 30, 200, 1000,10000, 50000 तथा 1 लाख पावर (पोटेन्सी) वाली होती है। इन उच्चतर शक्तीकृत दवाओं में दवाका नामोनिशान ही नहीं रहता, जबकि ये सूक्ष्मतम अदृश्य शक्तिरूपा होमियोपैथिक दवाइयाँ पुराने, जटिल तथा असाध्य कहे जाने वाले रोगों को जड़ मूल से नष्ट कर देने का सामर्थ्य रखती है।

एकल औषधि | Single Medicine

हैनिमन ने अनुभव के आधार पर एक बार में केवल एक औषधि का विधान निश्चित किया था, किंतु अब इस मत में भी पर्याप्त परिवर्तन हो गया है। आधुनिक चिकित्सकों में से कुछ तो हैनिमन के बताए मार्ग पर चल रहे हैं और कुछ लोगों ने अपना स्वतंत्र मार्ग निश्चित किया है और एक बार में दो, तीन औषधियों का प्रयोग करते हैं।

होमियोपैथिक चिकित्सा का इतिहास | History of Homeopathy in Hindi

होमियोपैथी का आविष्कार 10 अप्रैल सन् 1755 को जर्मनी के माइसेन नामक नगर में जन्मे डॉ० क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनिमन ने किया था।

डॉ० हैनिमन प्रारम्भ में स्वयं एलोपैथिक चिकित्सक थे परन्तु वह इस चिकित्सा से कभी सन्तुष्ट नहीं हुये क्योंकि उन्होंने देखा था कि ‘एलोपैथिक चिकित्सा’ (विपरीत विधान चिकित्सा) से रोगी के रोग का शमन तो हो जाता है लेकिन बाद में इसका दुष्प्रभाव अन्य रोगों के रूप में प्रकट होता है।

एक बार उन्होंने अंग्रेजी की एक ‘एलोपैथिक मेटेरिया मेडिका’ में पढ़ा कि ‘सिनकोना’ नामक औषध ठण्ड लगकर आने वाले बुखार को दूर करती है लेकिन यदि कोई स्वस्थ व्यक्ति ‘सिनकोना’ खा ले तो उसे ठण्ड लगकर बुखार आ जाता है । उन्होंने ‘सिनकोना’ के इस गुण का परीक्षण अपने ऊपर किया और इसी दृष्टि से अन्य औषधियों का भी परीक्षण किया। इस प्रकार होमियोपैथी का जन्म हुआ।

लेकिन डॉ० हैनिमन की इस प्रणाली का तत्समय में घोर विरोध हुआ जिसके फलस्वरूप उन्हें अन्य देशों में जाकर शरण लेनी पड़ी थी । डॉ० हैनिमन की मृत्यु 2 जुलाई सन् 1843 में फ्रांस के पेरिस नामक नगर में हुई थी ।

होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली के बारे में कुछ व्यावहारिक जानकारी | Some practical information about homeopathy

(1) होम्योपैथी दवा के कोई साइड इफ़ेक्ट (दुष्प्रभाव) नहीं होते हैं। इसका अर्थ यह नही कि मनमाने ढंग से दवाई लेने भी दुष्प्रभाव नही होगा।

(2) होमियोपैथिक चिकित्सा पद्धति सरल है, सस्ती है। और पुराने रोगोंमें स्थायी लाभ देनेका सामर्थ्य रखती है।

(3) होमियोपैथी चिकित्सा प्रणाली में रोगी के लक्षणों के आधार पर उपचार किया जाता है। इसी लिए सामान्यतः भारी भरकम खर्चीली जाँचें नहीं करायी जाती।

(4) होम्योपैथी दवा में कोई विशेष परहेज नहीं होता है। इसमें केवल तेज गन्धवाली वस्तुओंसे परहेज करना है।

(5) दवाको हाथ नहीं लगाना चाहिये, शीशीके ढक्कन से या सफेद कागज के टुकड़े पर लेकर सीधे मुँह में डालकर चूस लेना चाहिये।

(6) दवा लेने के 30 मिनिट पहले तथा दवा लेनेके 30 मिनिट बाद तक कुछ खाना / पीना नही चाहिए।

(7) चाय काफी-तंबाकू-पान-प्याज-लहसुन- इनपर कोई बंदिश नहीं है, परंतु ध्यान रखें दवा लेनेके आधा घंटा पहले तथा दवा लेनेके आधा घंटा बाद तक इनका उपयोग नहीं करें।