Yoga For Immunity: इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए योगासन

Yoga For Immunity: यह बात सच है कि अगर हमारी इम्यूनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता ठीक नहीं रहती तो हमारा शरीर बीमारियों की चपेट में जल्दी आ जाता है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी इम्यूनिटी मजबूत रहे तो नीचे बताई गई इन क्रियाओं को करने से आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता काफी मजबूत हो जाएगी।

Yoga fot immunity

Contents

पश्चिमोत्तानासन

• समतल जमीन पर बैठें और दोनों पैर सीधे रखते हुए कमर सीधी रखें और गहरी लंबी सांस भरते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं।

• श्वास भरते हुए आगे की ओर झुकें और पंजों को हाथों से पकड़ने की कोशिश करें और माथे को घुटने से छूने का प्रयास करें।

• इस स्थिति में दो-तीन मिनट तक रुकें। श्वास सामान्य रखें तथा ध्यान शरीर के खिंचाव तथा दबाव पर रखें।

• अब जिस प्रकार से आसन आरंभ किया था, उसी विपरीत क्रम से आसन को समाप्त करें।

वज्रासन

• अपने पैरों को ज़मीन पर फैलाकर बैठ जाएं और हाथों को शरीर के बगल में रखें।

• फिर आप अपने बाएं पैर को पीछे की तरफ मोड़कर बैठें, जिससे आपका पंजा ऊपर और पीछे की तरफ हो जाए।

• अब दाएं पैर को भी इसी आकार में करके ऐसे बैठें कि आपकी दोनों एड़ियां आपके हिप्स से जुड़ी हों।

• इसके बाद दोनों पैरों के अंगूठे को एक-दूसरे से जोड़कर रखें।

• इसके बाद दोनों एड़ियों में अंतर बनाकर रखें।

• अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी रखें।

• शरीर को ढीला छोड़कर आंखों को बंद करें। इसके बाद सांस अंदर और बाहर छोड़ें।

• पहली पोज़िशन में आने के लिए पहले अपने दाहिने पैर को आगे लेकर आएं फिर बाएं को।

धनुरासन

• पेट के बल मैट पर लेटकर पीछे से दाएं पैर के टखने को दाएं हाथ से तथा बाएं पैर के टखने को बाएं हाथ से पकड़ें।

• गहरी और लंबी श्वास भरते हुए आगे से छाती और कंधों को तथा पीछे से दोनों पैरों और जांघों को ऊपर उठाएं।

• पैरों को आकाश की दिशा में ले जाएं और सांस को सामान्य छोड़ दें। 3 से 5 मिनट तक इस आसन का अभ्यास करें।

• आसन में ध्यान नाभि केंद्र पर रखें और हृदय की तरह नाभि में भी धड़कन महसूस करें।

मत्स्यासन

दोनों हथेलियों को जमीन पर खुला हुआ रखें।

• अब अपने दोनों हाथों को शरीर के नीचे लाएं और उन्हें अपने कूल्हों के नीचे रखें और दोनों कोहनी एक-दूसरे से अधिक दूरी पर नहीं होनी चाहिए।

• अब अपने सीने को ऊपर की ओर उठाएं और सिर और गर्दन को पीछे की ओर झुकाएं और सिर जमीन से छूने दें।

• अपने पैर और कूल्हे को जमीन पर ही स्थिर रखें और कोहनी से बल लगाते हुए सीने को ऊपर उठाने की कोशिश करें, न कि सिर को।

• अंत में अपने हाथों की उंगलियों से दोनों पैरों के अंगूठे को पकड़ें और कोहनी को ढीला न होने दें। इसी मुद्रा में बने रहें और धीरे-धीरे सांस लें।

• 15 से 30 सेकेंड तक इसी पोजिशन में रहें और फिर थोड़ी देर आराम करें।

मत्स्यासन मुद्रा से वापस निकलने के लिए पहले अपने दोनों पैरों को बड़े आराम से ऊपर उठाएं और फिर धीरे-धीरे इन्हें फर्श पर सीधे फैलाएं।

• कुछ मिनट तक गहरी सांस लें, अपनी मांसपेशियों एवं मस्तिष्क को पूरी तरह आराम दें।

सर्वांगासन

• पीठ के बल लेट जाएं, उसके बाद अपने दोनों हाथों की सहायता से अपने दोनों पैरों और कमर को ऊपर की ओर उठाएं।

• इस स्थिति में सिर और गर्दन को एक सीध में रखें, दाएं या बाएं मोड़ने का प्रयास बिल्कुल न करें। 3 से 5 मिनट तक इस आसन का अभ्यास करें।

हलासन

• इसमें आप सर्वांगासन की स्थिति में रहते हुए दोनों पैरों को सिर के पीछे जमीन पर सटाने की कोशिश करें। श्वांस की गति सामान्य रखें।

• इस स्थिति में लगभग 3 से 5 मिनट तक खुद को रोकने का प्रयास करें। फिर धीरे-धीरे वापस पूर्व स्थिति में आएं।

• पूर्व स्थिति में आने के लिए दोनों हाथों को जमीन पर रखते हुए सहारा लें और धीरे-धीरे कमर, नितंब तथा दोनों पैरों को जमीन पर ले आएं।

• 5 से 10 बार गर्दन को दाएं से बाएं मोड़ें, जिससे गर्दन में कोई खिंचाव या दबाव न आए।

कपालभाति प्राणायाम

• इस प्राणायाम में कमर सीधी रखते हुए दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रखें।

• धीरे-धीरे श्वास को नाक से बाहर छोड़ने की कोशिश करें।

भस्त्रिका प्राणायाम

• इस प्राणायाम में श्वास को तीव्र गति से अंदर और बाहर करना होता है।

• श्वास अंदर लेते हुए पेट बाहर तथा श्वास छोड़ते समय पेट अंदर रखें।

• इस प्राणायाम से फेफड़ों की शुद्धि होती है तथा उसे काफी शक्ति भी प्राप्त होती है।

उज्जाई प्राणायाम

• नाक से गहरी व लंबी श्वास भीतर लेते हुए अपनी ग्रीवा की अंतरंग मांसपेशियों को सख्त रखें।

• श्वास लेते व छोड़ते समय कंपन महसूस करें। ध्यान रहे कि श्वास-प्रश्वास की क्रिया नाक से ही पूरी करनी है।।

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