Male Hormones: मर्द वाले हार्मोन्स का यूं रखें ख्याल
Mal Harmons: टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) एक हॉर्मोन है जो पुरुषों के अंडकोष में पैदा होता है, आमतौर पर इसे मर्दानगी के रूप में देखा जाता है. इस हार्मोन का पुरुषों की आक्रामकता, चेहरे के बाल, मांसलता और यौन क्षमता से सीधा संबंध है. शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए यह हॉर्मोन सभी पुरुषों के लिए ज़रूरी है।
टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन उम्र के साथ कम होने लगता है. एक अनुमान के मुताबिक 30 और 40 की उम्र के बाद इसमें हर साल दो फीसदी की गिरावट आने लगती है. इसमें क्रमिक गिरावट सेहत से जुड़ी कोई समस्या नहीं है, लेकिन कुछ खास बीमारियों, इलाज या चोटों के कारण भी ये सामान्य से कम हो जाता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन में कमी को Hypogonadism (हाइपोगोनडिज़म) कहा जाता है।
ब्रिटिश पब्लिक हेल्थ सिस्टम के मुताबिक 1000 में से पांच पुरुष इससे पीड़ित हैं। लंबे समय तक हाइपोगोनडिज़म से हड्डियों को नुकसान पहुंचने का जोखिम रहता है. इससे हड्डियां कमज़ोर होती हैं और फ्रैक्चर की आशंका बढ़ जाती हैलंबे समय तक हाइपोगोनडिज़म से हड्डियों को नुकसान पहुंचने का जोखिम रहता है. इससे हड्डियां कमज़ोर होती हैं और फ्रैक्चर की आशंका बढ़ जाती है।
टेस्टोस्टेरोन सामान्य से कम है होने पर निम्न लक्षण दिख सकते है-
- थकान अथवा सुस्ती
- अवसाद, चिंता, चिड़चिड़ापन
- संभोग की इच्छा में कमी होना
- नपुंसकता की शिकायत
- दाढ़ी और मंछों का बढ़ना कम होना
- पसीना ज़्यादा निकलना
- यादाश्त और एकाग्रता में कमी
हाइपोगोनडिज़म क्या है | What is Hypogonadism in Hindi
हाइपोगोनडिज़म (सेक्स हार्मोन के उत्पादन में कमी) एक खास तरह की मेडिकल परिस्थिति है जो उम्र बढ़ने के साथ पैदा होने वाली सामान्य स्थिति से अलग है आप अपने टेस्टोस्टेरोन का मूल्यांकन खून की जांच से करा सकते हैं. इसका स्तर हर दिन सामान्य नहीं होता है। यदि इसमें गिरावट दर्ज की जाती है तो मरीज़ को एन्डोक्राइन स्पेशलिस्ट के पास भेजा जाता है।
हाइपोगोनैडिज्म दो प्रकार के होते है, सेंट्रल और प्राइमरी हाइपोगोनैडिज्म।
- प्राइमरी हाइपोगोनैडिज्म (Primary Hypogonadism)
- सेंट्रल हाइपोगोनैडिज्म (Central Hypogonadism / secondary Hypogonadism)
हाइपोगोनडिज़म (टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन की कमी) क्यों होता है | What causes Hypogonadism in Hindi
टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के अंडकोष में विकसित होता है जो पिट्यूटरी ग्रंथि और हाइपोथैलेमस से नियंत्रित होता है। अगर किसी भी बीमारी से पिट्यूटरी ग्रंथि और हाइपोथैलेमस प्रभावित होता है तो यह हाइपोगोनडिज़म का कारण बनता है। इसका सीधा संबंध मोटापा और टाइप 2 डायबिटीज से है।
इसका अंडकोष से भी सीधा संबंध होता है। अंडकोष में चोट, उसकी सर्जरी, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम और आनुवांशिकी गड़बड़ी से पिट्यूटरी ग्रंथि और हाइपोथैलेमस प्रभावित होता है, जिससे हाइपोगोनडिज़म के हालात पैदा होते हैं। इन्फेक्शन, लीवर और किडनी में बीमारी, शराब की लत, कीमोथेरपी या रेडिएशन थेरपी के कारण भी टेस्टोस्टेरोन हॉर्मोन में कमी आती है।