Insomnia: अनिद्रा के कारण, लक्षण और उपचार
अनिद्रा (Insomnia) एक नींद से सम्बन्धित समस्या है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित करती है।
संक्षेप में, अनिद्रा से पीड़ित व्यक्तियों के लिए नींद आना या सोते रहना मुश्किल होता है। अनिद्रा के प्रभाव बहुत भयंकर हो सकते हैं।
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अनिन्द्रा क्या है? (What is Insomnia in Hindi)
आयुर्वेद में, नींद न आने को ‘अनिद्रा’ (Insomnia) कहा जाता है। अनिद्रा में रोगी को पर्याप्त और अटूट नींद नहीं आती, जिससे रोगी को आवश्यकतानुसार विश्राम नहीं मिल पाता और स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। आयुर्वेदिक उपचार व सही जीवन शैली अपनाकर अनिद्रा का उपचार संभव है।
Insomnia, also known as sleeplessness, is a sleep disorder in which people have trouble sleeping.
अनिन्द्रा के प्रकार (Types of Insomnia in Hindi)
अनिद्रा को स्टेज के अनुसार तीन भागो विभाजित किया जाता है –
- अस्थायी अनिद्रा – यह तब होती है, जब लक्षण तीन रातों तक रहते हैं।
- एक्यूट अनिद्रा – इसे अल्पकालिक अनिद्रा भी कहा जाता है। लक्षण कई हफ्तों तक जारी रहते हैं।
- क्रोनिक अनिद्रा – यह आमतौर पर महीनों और कभी-कभी सालों तक रहती है।
अनिद्रा रोग किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। यह वयस्क पुरुषों की तुलना में वयस्क महिलाओं में अधिक आम है।
नींद न आने का कारण (Insomnia Causes in Hindi)
अनिद्रा के अनेक कारण हो सकते हैं, जिन्हें मुख्य रूप से तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है।
- शारीरिक कारण
- मानसिक कारण
- अन्य कारण
मानसिक कारण- दूसरा, मानसिक कारणों से नींद खराब हो जाती है जैसे चिन्ता, ईर्ष्या, द्वेष, आतुरता, व्याकुलता, भय आदि।
शारीरिक कारण- इसमे गैस, अपज, ज्वर, हृदय रोग से श्वास संबंधी बीमारियां, अपच, अधिक भोजन कर लेना आदि शारीरिक कारण आते है।
अन्य कारण- अन्य कारणों में चाय, कॉफी, बीड़ी-सिगरेट का अधिक सेवन, दवाई का दुष्प्रभाव आदि कारण आते है। कुछ लोगों को स्थान बदलने से भी अनिद्रा हो जाती है।
अच्छी नींद आने के उपाय (Insomnia Treatment in Hindi)
आपको अच्छी नींद लाने में मददगार यहाँ कुछ प्राकृतिक सुझाव दिए गए हैं।
मानसिक तनाव से दूर रहे- अगर आपका दिमाग सोच-विचार में लगा है या आपकी मांसपेशियां तनाव में हैं। ऐसे में आपको सोने में मुश्किल आ सकती है।
शाम के वक्त या रात को अधिक मानसिक परिश्रम करना नुकसानदेह होता है। अक्सर ऐसा करने से विद्यार्थियों को अनिद्रा रोग हो जाता है।
अधिक शारीरिक थकावट से बचे- अधिक शारीरिक थकावट भी नींद में बाधक हो सकती है। लोग समझते हैं कि परिश्रम करने के बाद नींद अच्छी आती है। लेकिन यह बात उस समय लागू नहीं होती, जब आदमी शक्ति से बाहर परिश्रम करता हो।
दिन में करे भारी काम- दोपहर के समय ही अपने दिमाग से सबसे अधिक काम लें। शाम को जब दिमाग काफी थक चुका हो। फिर ज्यों-ज्यों लेटने का वक्त पास आए, क्रियाकलाप बिलकुल धीमा करके मन और शरीर एकदम स्थिर कर लेना चाहिए। इससे गहरी नींद आती है।
रात को अधिक भोजन न करें– रात का खाना हमेशा हल्का और सुपाच्य होना चाहिए। शाम का खाना 7 बजे तक अवश्य कर लें। रात को खाने औऱ सोने के बीच कम से कम दो घंटे का गेप अवश्य होना चाहिए। खाना हमेशा अच्छी तरह चबा-चबाकर खाएं अपना हाजमा दुरूस्त रखें।
सोने से पहले दिमाग को उलझाने वाले खेल न खेले– सोने से पहले ऐसे खेल न खेले जिसमें दिमाग को अधिक उलझाना पड़ता हो जैसे शतरंज, सुडोकू, ताश आदि। अगर आप ये खेल कभी रात को खेलें भी, तो अपने दिमाग को शांत होने का मौका दें। कम से कम आधा घंटा बैठे रहे।
अपने आपको खाली न रहने दे- जिस समय हम खाली बैठे होते हैं, उस समय ज्यादा झल्लाहट आती है। इसलिए हर समय स्वयं को किसी उपयोगी काम में लगाए रहना चाहिए।
रात को सोने से पहले दुध ले- रात को सोने से पहले बादाम के साथ गर्म दूध पीना नींद आने का आसान उपाय है। इससे मेलाटोनिन (वह हार्मोन जो निद्रावस्था /जागृतवस्था चक्र को नियंत्रित करने में मदद करता है) के निर्माण में मदद मिलती है।
नींद की दवाई– नींद की गोलियां डॉक्टर की सलाह से ही लें। इसका अधिक समय तक खाने से आदत पड़ सकती है।
अनिंद्रा और आयुर्वेद- आयुर्वेदिक मालिश और शिरोधारा जैसी चिकित्सा मन को विश्राम देने में मदद कर सकते हैं।
जीवनशैली सम्बंधी अन्य सिफारिशें:
- रात में देर तक टीवी देखने या कंप्यूटर पर काम करने से बचें।
- चाय, काफी का सेवन न करें अथवा कम से कम करें। संध्याकाल के बाद कॉफी, चाय या अन्य वातित पेय का पान करने से बचें।
- शाम के वक्त नाराजगी और चिढ़ से बचने की कोशिश करें। जब आदमी बहुत अधिक क्रोध में होता है,उस वक्त रक्तचाप लगभग पचास प्रतिशत बढ़ जाता है।
- दीन में अधिक सोने से भी रात्रि को नींद नही आती।
- रोजाना 30 मिनट तक योग अथवा कसरत करें। इससे गहरी नींद आएगी। रात को टहलने से भी गहरी नींद आती है।
- दैनिक जीवन में बहुत व्यस्तता और हड़बड़ी से बचें। शांत और सुस्थिर रहकर हर काम करने की आदत डाल लें।
अपनी समस्या का पता लगाकर (जैसे कि तनाव, बीमारी, दवाइयां) या ऊपर दिए गए छोटे मोटे उपाय अपनाकर अधिकांश लोगों की आरामदायक नींद को वापस लाया जा सकता है। यदि ये उपाय काम नहीं करते हैं, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।