हुलहुल (HulHul)

हुलहुल या हुरहुर, एक छोटा झाड़ीनुमा पौधा है। यह पौधे बरसात के दिनों में बहुत पैदा होते हैं। यह पौधा डेढ फुट से ढाई फुट तक ऊँचा होता है। यह पौधा नीचे से सीधा चढ कर ऊपर झूमर के समान अनेक शाखाओं से युक्त हो जाता है।

इसके पत्तों में एक प्रकार की हींग के समान उम्र और असह्य गन्ध आती है। इसके फूल पीले रंग के होते हैं। इसकी फलिया आधे से लेकर साढ़े तीन इश्व तक लम्बी होती है।

हुलहुल का आयुर्वेदिक गुण धर्म (Ayurvedic Properties of HulHul)

आयुर्वेदिक मत से हुलहुल खारी, कडवी, शीतल, अग्निवर्द्धक, मूत्रल, मृदुविरेचक, कृमिनाशक, कफ को दूर करनेवाली, पित्त को बढानेवाली और रूक्ष होती है। यह अर्बुद और सूजन को घटाती है। चर्मरोग, खुजली, व्रण, कुष्ठ, मलेरिया ज्वर, अपचन की वजह से होनेवाले ज्वर, रक्तरोग और पेशाब सम्बन्धी रोगों में यह उपयोगी होती है। यह खून को बढाती है तथा कर्णरोग, और कफ रोगों को दूर करती है ।

हुरहुर के विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Hurhur in various diseases in Hindi)

आतों के कीडे: इसके बीजों के चूर्ण में शकर मिला कर खिलाने से आर्तो के कीड़े मर जाते हैं।

आधाशीशी: हुलहुल के पत्तो के रस में हुलहुल के बीजों को खरल करके कपाल पर दो तीन दिन करने से आधाशीशी की वेदना मत्रशक्ति की तरह बन्द हो जाती है।

हलका ज्वर: इसकी जड़ का क्याप पिलाने से मन्द उपर छूट जाता है।

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