Newborn Baby Massage: शिशु की मालिश कब और कैसे करें?

Baby Massage

Everything You Need to Know About Newborn Baby Massage- हम सभी जानते हैं कि नवजात शिशु के लिए मालिश कितनी जरूरी है। मालिश से शिशु न केवल स्‍वस्‍थ रहता है बल्कि इससे उसे दुलार का भी एहसास होता है। लेकिन बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ होते हैं कि शिशु के मालिश कब शुरू करनी चाहिए और मालिश करने का सही तरीका क्‍या है।


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नवजात शिशु की मालिश कब शुरू करें? (When should I start massaging my newborn?)

when to start baby massage-साधारणतः एक माह के बाद से शिशु की मालिश का उचित समय माना जाता है। दरअसल, जन्म के बाद के पहले माह में बच्चे की त्वचा में संवेदनशीलता अधिक होती है। यदि इस समय मालिश करने के दौरान तेल शिशु के नाभि से शरीर के अंदर चला जाए तो इससे संक्रमण होने का भी खतरा रहता है। जन्म के एक महीने बाद बच्चें की नाभि पूरी तरह से सही स्थिति में आ जाती है। साथ ही जन्म के समय के मुकाबले बच्चे की त्वचा में संवेदनशीलता कम हो जाती है। इसलिए ये मालिश करने के लिए उप्युक्य समय है।


नवजात शिशु की मालिश के फायदे (Infant Baby Massage Benefits in Hindi)

मालिश से बच्चों को कई फायदे मिलते हैं, इसके कुछ फायदों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

  1. इससे शारीरिक विकास जल्दी होता है।
  2. इम्युनिटी पॉवर बड़ती है।
  3. तनाव कम होता है मांसपेशियों और हड्डियों मजबूत होती है।
  4. तंत्रिका तंत्र को उत्तेजित करता है।
  5. बच्चे की बेहतर नींद में मदद करती है।
  6. मसाज एक अच्छी एक्सरसाइज़ भी है।
  7. इससे बच्चे को भावनात्मक सुरक्षा मिलती है।
  8. छोटी-छोटी हेल्थ समस्याएं भी दूर होती हैं, जैसे- गैस, सुस्त रहना, नींद न आना, पाचन क्रिया आदि।

शिशु की मालिश कैसे करें? (Baby Massage Step By Step Guide in Hindi)

स्टेप 1: मालिश की शुरुआत पैरों से करें। जांघों, पैरों और एड़ियों पर तेल लगाएं। एक पैर को ऊपर की ओर उठाएं जांघ से लेकर एड़ियों तक हल्के हाथों से मालिश करें। फिर पैरों को दाई और बाईं ओर घुमाएं। पैरों की उंगलियों पर भी धीरे-धीरे मालिश करें।

स्टेप 2: कंधे से मालिश शुरू करते हुए नीचे की तरफ उंगलियों तक मालिश करें अपने अंगूठे और पहली दो उंगलियों की सहायता से शिशु की उंगलियों को धीरे-धीरे खींचें और मालिश करें।

स्टेप 3: शरीर के ऊपरी भाग की मालिश के लिए दोनों हाथों को गोलाई में घुमाते हुए छाती से बाहर की तरफ मालिश करें। फिर हल्के हाथों से मसाज करते हुए छाती से जांघों तक आएं।

स्टेप 4 : पीठ की मालिश करने के लिए शिशु को एक तरफ लिटाएं। सिर और गर्दन को सहारा देते हुए पीठ की मालिश करें। एक बार शिशु अपनी गर्दन को संभालने लग जाए, तो उसे पेट के बल लिटाकर दोनों हाथों से गोलाई में मालिश करें। रीढ़ की हड्डी पर मालिश करते हुए गर्दन से कूल्हे पर ऊपर से नीचे की तरफ मालिश करें।

स्टेप 5: अगर आपका शिशु मालिश के दौरान सकारात्मक प्रतिक्रिया देता है, तो उसके चेहरे पर भी हल्के हाथों से गोलाई में मालिश करें। माथे से शुरू करते हुए गाल और कमर पर मालिश करें।


मसाज करते समय निम्न सावधानी बरतें

  • मालिश के समय सफ़ाई का विशेष ख़याल रखें।
  • दूध पिलाने के तुरंत पहले या तुरंत बाद मालिश न करें।
  • हाथ ठंडे न हों और हमेशा हल्के हाथों से मसाज करें।
  • मसाज के बाद यदि ठंड का मौसम हो, तो गरम पानी से, गर्मी के मौसम में सादे पानी से और बारिश में गुनगुने पानी से स्नान कराएं।
  • मसाज करते समय बच्चे को अपनी बातों से लोरी-गाने आदि से व्यस्त रखें, ताकि शिशु मसाज का पूरी तरह से आनंद उठा सके।
  • आपकी उंगलियां बच्चे के मुंह या आंखों के अंदर स्पर्श न करने पाएं।
  • यदि आप चाहें, तो बच्चे को 2-3 साल तक मसाज कर सकती हैं, इससे वह शारीरिक रूप से और भी मज़बूत होगा।

मालिश से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)