हरित मंजरी (कुप्पी)
हरित मंजरी या कुप्पी (Acalypha indica) का पौधा भारत के लगभग सभी मैदानी भागों में पाया जाता है। यह प्राय: उद्यानों व खेतों में तथा सड़कों व मकानों के आसपास स्वतः ही उग जाया करता है।
कुप्पी का विभिन्न भाषाओं में नाम (Kuppi Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Acalypha indica (आकालिफ़ा ईंडिका) |
अंग्रेज़ी नाम | Indian Acalypha |
हिंदी नाम | कुप्पी |
संस्कृत | हरित्तमंजरी |
गुजराती | वेंछिकांटो, चररजो-झाड़, रुंछाडो-दादरो |
मराठी | खोकली |
कन्नड़ | कुप्पीगिडा |
बंगाली | मुक्तझूरि, मुक्तबर्सी |
मलयालम | कुप्पामणि |
तेलगू | कुप्पेमणि |
तमिल | कुप्पेमणि |
कुप्पी के पेड़ का सामान्य परिचय (introduction of Kuppi Plant)
कुप्पी लगभग 75 सेमी ऊँचा पौधा होता है। इसके पत्ते 3-8 सेमी लंबे, अंडाकार अथवा चतुर्कोण-अंडाकार से होते हैं। पत्तों में प्राय: तीन शिराएं होती हैं और उनके किनारे दंतुर होते हैं, पत्तों को डंठल पत्तों से भी लंबे होते हैं।
फूल छोटे-छोटे होते हैं तथा पत्तों के कक्ष में, स्पाइक जैसे, सीधे गुच्छों में लगते हैं। मादा पुष्प के नीचे एक तिकोना-सा सहपत्र होता है। नरपुष्प अत्यंत छोटे होते हैं, तथा स्पाइक के ऊपरी भाग में लगते हैं। फल रोयेंदार होते हैं तथा सहपत्रों में ढके रहते हैं।
हरित मंजरी या कुप्पी के फायदे (Benefits and Uses of Kuppi in Hindi)
पेट में कीड़े: आंत्र कृमियों को शरीर से निष्कासित करने के लिए हरित मंजरी की पत्तियों का 10 मि०ली० रस बच्चों को और 15-30 मि०ली० रस वयस्कों को प्रातःकाल 15 दिनों तक औषधि के रूप में पिलाएँ ।
कीट दंश: हरित मंजरी की पत्तियों को हल्दी के साथ घिसकर अल्सर, कीट- दंश (कीड़े के काटने) पर लगाया जाता है।
गठिया: हरित मंजरी की पत्तियों को तिल के तेल में हल्के से तलकर उस तेल को दर्दनाक गठिया पर लगाया जाता है।
बलगम: हरित मंजरी के पत्तों का रस और नीम के तेल को एक समान मात्रा में मिलाकर छोटे बच्चों की अलिजिह्वा पर लगाया जाता है। यह वमन को उत्प्रेरित करेगी और बलगम को आंत से निष्कासित करेगी।
उदर संक्रमण: उदर संक्रमण में हरित मञ्जरी की पत्तियों को लहसुन की कलियों के साथ पीसकर, 3 ग्राम की मात्रा में भोजन के पहले ग्रास निवाले के साथ लें।