Herbal Medicine: विश्व की दृष्टि हमारी जड़ी-बूटियों पर

Challenges and future prospects of herbal medicine: ईश्वर बड़ा दयालु है। उसने मनुष्य के प्रादुर्भाव के पहले ही विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियाँ एवं वनस्पतियाँ पैदा कर दीं थी। इन जड़ी-बूटियों में वे सारे गुण विधमान हैं, जो रोगी होने से बचाने तथा रोग को ठीक करने के लिये आवश्यक हैं।

Herbal Medicine

मनुष्यों ने भी पेड़ पौधों के इस औषधीय गुण को पहचाना और प्रयोग में लाया। मनुष्य ने सबसे पहले कब और किस पौधे का उपयोग औषधि के रूप में किया था, ये तो नही बताया जा सकता। लेकिन प्राचीनतम ग्रन्थ ‘वेद’ द्वारा पता चलता है कि आर्य मनीषी प्राचीन काल से ही पेड़-पौधों का औषधिय रूप में प्रयोग करते आये है।

महर्षि चरक ने ‘चरकसंहिता’ में पेड़-पौधों के औषधीय महत्त्व की गहन विवेचना की है। इसमें प्रत्येक पेड़ पौधों की जड़ से लेकर पुष्प, पत्ते और अन्य भागों के औषधीय गुणों और उनसे रोगों के उपचार की विधियाँ वर्णित हैं।

आयुर्वेद की जड़े हर जगह फैली है। गाँवों से शहरों तक नीम के औषधीय गुणों से कौन अपरिचित है? मनुष्य ने रोग ग्रस्त होते ही पहले उन पौधों का औषधि के रूप में उपयोग किया जो उन्हें अपने नजदीक सरलता से मिल जाते थे। जब हम आस-पास उगने वाली जड़ी-बूटियों से ही ठीक हो सकते है। तो जड़ी-बूटियों की खोज में व्यर्थ ही दूर देश तक भटकने की क्या आवश्यकता हैं? इसलिए पुराने समय से ही क्षेत्र अनुसार जड़ी बूटियों का प्रचलन भी भिन्न भिन्न रहा है।

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आयुर्वेद पर बढ़ता झुकाव | Why People Use Herbal Medicine

आयुर्वेदिक दवाओं का प्रचलन भारत के देहातों, कस्बों और छोटे शहरों तक सिमित नही है। अब विश्व भर में जड़ी-बूटी द्वारा निर्मित परम्परागत दवाओं की तरफ लोगों का झुकाव बढ़ने लगा है। महानगरों का सम्पन्न वर्ग भी एलोपैथिक दवाओंके दुष्प्रभावों से घबराकर आयुर्वेद की ओर लौटने लगा है। अनेक बडी कम्पनियां जड़ी बूटी (हर्बल) सौन्दर्य प्रसाधनों के उत्पादनों को बाजार में उतारने लगे है। भारत से औषधीय पौधे, वृक्ष उत्पादों का निर्यात भी जोर पकड़ रहा है।

कोरोना काल मे आयुर्वेद- जब कोरोना महामारी से सम्पूर्ण विश्व आतंकित था, तब एलोपैथी के बड़े-बड़े डॉक्टर भी योग आयुर्वेद के नुस्ख़े को अपनाने की सलाह देते दिख रहे थे। इससे आयुर्वेद की महत्ता स्वयं साबित हो जाती है।

जड़ी बूटी और वैश्विक अवसर | Indian Scenario in World Market of Herbal Products

विश्व में जड़ी-बूटियों से निर्मित औषधियों का प्रचलन जोरों पर है। जड़ी-बूटियों के चमत्कारिक औषधीय प्रभाव को वैज्ञानिक धरातल पर जाँचा परखा जा चुका है। यही कारण है कि विश्व का झुकाव जड़ी बूटियों के उपयोग की ओर बढ़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि दुनिया की करीब दो-तिहाई आबादी अब भी आंशिक या पूर्ण रूप से इलाज की इन पारंपरिक पद्धतियों पर ही आश्रित है। पारंपरिक दवाओं के साथ आधुनिक दवाओं के लिए भी करीब 80 फीसदी कच्चा माल जड़ी-बूटियों से ही आता है।

एकेडमिक जर्नल ऑफ प्लांट साइंसेज” (Academic Journal of Plant Sciences) या AJPS की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर्बल मेडिसिन की बिक्री में दुनिया भर में सालाना औसतन 6.4 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है।

एक विदेशी रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर्बल दवाओं का कारोबार करीब 70 बिलियन डॉलर (70 Billion Dollar) है। इसमें भारत का योगदान महज़ 1 बिलियन डॉलर है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत में जड़ी-बूटी वाले औषधीय उत्पादों का सालाना घरेलु कारोबार करीब 8,000-9,000 करोड़ रुपये और निर्यात बाजार में करीब 1,000 करोड़ रुपये है। यह सब आकडे COVID महामारी से पूर्व के है COVID-19 के बाद इन आकड़ो में कई गुणा वृधि होने की सम्भावना है।

यहां विचारणीय है कि कई देशों में हर्बल उत्पादों या दवाइयों को मेडिसन की श्रेणी में न रखकर, इसे ‘फूड सप्लीमेंट एंड हर्बल प्रोडक्ट’ की श्रेणी में रखा जाता है। यदि इन सब तथ्यों पर भी विचार करें तो हर्बल प्रोडक्ट का बाजार कही अधिक बढ़ा है।

भारत क्यो है खास? | Heritage of Medicinal Plant in India

भारत दुनिया में औषधीय जड़ी-बूटियों का सबसे बड़ा उत्पादक देशो में से एक है इसीलिए इसे ‘Botanical Garden of the Word’ यानी ‘विश्व का वनस्पति उद्यान भी कहा जाता है। जर्मनी, फ्रांस, इटली और नीदरलैंड जैसे देशों में भारत से बड़ी तादाद में इन उत्पादों का निर्यात किया जाता है।

जड़ी-बूटी के क्षेत्र में विश्व की प्रमुख कम्पनियाँ प्राकृतिक रूप से सम्पन्न भारत को आधार बनाना चाहती हैं। सारे विश्व की निगाहें हमारे देश की जड़ी-बूटियों पर लगी हैं। लेकिन क्यों?

क्योंकि, हमारे पास आयुर्वेद के रूप में जड़ी बूटियों का विज्ञान उपलब्ध है। हमारी जड़ी-बूटियाँ सर्वाधिक शक्ति सम्पन्न हैं। विश्व के अन्य देशों देशों के पास प्रखर सूर्य नहीं हैं तथा इतने मौसम भी वहाँ नहीं होते हैं। यही कारण है कि हमारी जड़ी-बूटियाँ दुनिया में सर्वाधिक प्रभावशाली हैं।

भारत में आयुर्वेद का भविष्य इसलिए भी उज्ज्वल माना जा रहा है, क्योंकि भारत में करीब 25 हज़ार औषधियों पेड़ पौधे है जिनमे से केवल 10 प्रतिशत को ही औषधीय कार्यो के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है। “एकेडमिक जर्नल ऑफ प्लांट साइंसेज” (Academic Journal of Plant Sciences) या AJPS की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर्बल मेडिसिन की बिक्री में दुनिया भर में सालाना औसतन 6.4 फीसदी की दर से बढ़ोतरी हो रही है।

हर्बल बाजार से जुड़े विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक हर्बल प्रोडक्ट का वैश्विक कारोबार पांच खरब डॉलर (Five Trillion Doller) तक पहुंच सकता है। और भारत हर्बल उत्पाद द्वारा सबसे ज्यादा आय अजिर्त करने वाला देश हो जाएगा। लेकिन केवल आयुर्वेद की प्रामाणिकता के आधार पर विश्व बाजार हमारी जड़ी-बूटियों की ओर आकर्षित नहीं होगा। विदेशों में आकर्षण बढ़ाने हेतु प्रयोगशाला में जाँच तथा क्लिनिकल ट्रायल भी आवश्यक है। विश्व के सामने जब सप्रमाण सारी गुणवत्ता रखी जायगी तो हमारे देशकी जड़ी-बूटियोंकी माँग विश्व स्तर पर बढ़ना अवश्यम्भावी है।

भारत औषधि बाजार में विश्व गुरु कैसे बन सकता है? | How can India become a world leader in the Herbal market

भारत आयुर्वेदिक उत्पादों की न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने में, बल्कि इसके व्यापक तादाद में निर्यात में भी सक्षम है। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक बाजार में भारतीय हर्बल मेडिसिन की हिस्सेदारी आने वाले समय में बढ़ सकती है। जरूरत है तो योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ने की।

  1. विकसित देशों में यदि हम अपनी आयुर्वेदिक दवाओं को पहुंचाना चाहते हैं, तो हमें अपनी औषधी का अधिक से अधिक पेटेंट करवाना होगा।
  2. उत्पादों की क्षमता और सुरक्षा का निर्धारण करने के लिए फार्माकोलॉजिकल और क्लीनिकल अध्ययन किया जाना चाहिए।
  3. भारतीय औषध प्रणाली के तहत सभी औषधीय पौधों की समुचित बोटेनिकल पहचान कायम करनी होगी।
  4. हर्बल सामग्री के निर्माण के समय उसमें मिलायी गयी चीजों के बोटेनिकल नाम के साथ सामान्य / प्रचलित नामों को भी शामिल करना चाहिए।
  5. जड़ी बूटी का उत्पादन वैज्ञानिक तरीक़े से की जानी चाहिए, जिस प्रकार आधुनिक पद्धति आधारित दवाओं का किया जाता है।
  6. सरकार को जड़ी-बूटियों के उत्पादन तथा संरक्षण पर ध्यान देने की परम आवश्यकता है।
  7. औषधीय पौधों को रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से मुक्त रखना होगा।
  8. औषधीय पौधों का इस्तेमाल बढ़ाने और दवाओं के निर्माण के लिए गुणवत्ता नियंत्रण और मानकीकृत पैरामीटर्स को लागू किया जाना चाहिए।
  9. हमारे देश में जड़ी-बूटियाँ सर्वत्र फैली हैं। बहुत-सी दुर्लभ जड़ी बूटियों को सुरक्षित रखने की भी आवश्यकता है, ताकि उनका लोप न हो जाय।

भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदम: भारत में कई सरकारों ने वैकल्पिक दवाओं को बढ़ावा देने के कदम उठाए हैं. भारत सरकार ने 2003 में आयुर्वेदिक दवाओं की पहली अधिकृत सूची ‘फार्मोकोपोइया’ (pharmacopoeia) जारी की। 2014 में सरकार ने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, और होमियोपैथी को मिलाकर ‘आयुष’ नाम की व्यवस्था तैयार की और इसी नाम से इसका एक अलग मंत्रालय बना दिया।

लेकिन भारत को हर्बल मार्किट का विश्वगुरु बनाने के उठाएं गएँ कदम प्रयाप्त नही है। यदि हमने ध्यान नहीं दिया तो हमारी जड़ी-बूटियाँ विदेशोंसे निर्मित होकर हमारे ही देशमें आयेंगी और हमें ऊँचे मूल्यों में खरीदने के लिये विवश होना पड़ेगा। यदि ऐसा हुआ तो यह हमारा घोर निन्दनीय होगा और भावी पीढ़ी हमें कभी क्षमा नहीं करेगी।

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