Water Retention: वॉटर रिटेंशन के लक्षण, कारण और उपचार

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वॉटर रिटेंशन में शरीर के अंगों में पानी का जमाव हो जाता है। जिससे शरीर के कुई हिस्सों में सूजन आ जाती हैं।। इस लेख में हम आपको वॉटर रिटेंशन के कारण और लक्षण और निदान बताएंगे, जिससे आप इस समस्या को दूर कर सकते हैं।

Water Retention

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वॉटर रिटेंशन क्या हैं? (What is Water Retention in Hindi)

वॉटर रिटेंशन यानि शरीर के अंगो में पानी का जमाव। वॉटर रिटेंशन की समस्या से शरीर के अंगों में पानी का जमाव हो जाता है। जिससे शरीर के कुई हिस्सों में जैसे हाथ, पैर, चेहरे और पेट की मांसपेशियों में सूजन आ जाती हैं।

वाटर रिटेंशन अक्सर तभी होता है जब शरीर मिनरल के स्तर को संतुलित बिगड़ जाता है। इससे शरीर के टिशूज में पानी जमने लगता है। जिससे शरीर के कुछ हिस्सों में जैसे हाथ, पैर, चेहरे और पेट की मांसपेशियों में सूजन आ जाती हैं। कई बार तो पैरों, एड़ियों और टांगों में तेज दर्द भी होने लगता है।

महिलाओं को अधिक होती है वॉटर रिटेंशन की समस्या- वॉटर रिटेंशन की समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती हैं। महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन होने पर और गर्भावस्था में वजन बढ़ने के कारण भी यह समस्या हो सकती है।


वॉटर रिटेंशन क्यो होता है?

पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना- पानी की कमी से इलेक्ट्रोलाइट्स का लेवल बढ़ जाता है, जिससे शरीर में पानी जमा हो सकता है। साथ ही अत्यधिक नमक की मात्रा और टॉक्सिन भी यूरीन से बाहर निकल जाते हैं। इसलिए रोजाना प्रयाप्त मात्रा में पानी पिएं।

अधिक नमक और चीनी का सेवन– नमक का अधिक सेवन भी इस समस्या का बड़ा कारण है। दरसल अधिक नमक का सेवन करने से शरीर में सोडियम का स्तर बढ़ जाता है, जो पानी को ऊतकों में खींच लाता है।

अधिक शर्करा का सेवन करने से भी यही स्थिति बन सकती है। यही नहीं, अधिक शकर के सेवन से अधिक इंसुलिन का स्राव होता है, जिससे अधिक सोडियम जमा होने लगता है और यह भी पानी को जमा करता है।

हार्टफंक्शन में गड़बड़ी के कारण- जब हार्ट कमज़ोर हो जाता है और ब्लड को ठीक से पंप नहीं कर पाता तो वॉटर रिटेंशन की प्रॉब्लम हो जाती है। कभी-कभी यह गुर्दे, लीवर या लसिका ग्रंथि की गंभीर बीमारियों के कारण भी हो सकता है।

दवाओं को दुष्प्रभाव- कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव से भी वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती हैं। इसलिए दवाओं को हमेशा अपने डॉक्टर की सलाह से ही लें। वॉटर रिटेंशन होने के कुछ अन्य कारण निम्न है-

  • खून की कमी के कारण
  • दिल या लीवर की बीमारी के कारण
  • ज्यादा समय तक एक ही स्थिति में खड़े रहना
  • महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण
  • कुछ एलर्जियों के कारण भी वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है।

वॉटर रिटेंशन के लक्षण (Symptoms of water retention in Hindi)

आपका शरीर मुख्य रूप से पानी से बना है। जब आपका हाइड्रेशन स्तर संतुलित नहीं होता है, तो आपको वॉटर रिटेंशन की समस्या आ सकती हैं।

आम तौर पर, वॉटर रिटेंशन (जल प्रतिधारण) के कारण आप कम फुर्तीले या कम सक्रिय या सामान्य से अधिक भारी महसूस कर सकते हैं।वॉटर रिटेंशन के कुछ प्रमुख लक्षण निम्न है-

  • भूख न लगना।
  • पैरों, एडियों और टांगों में दर्द
  • शरीर के कुछ हिस्सों में सूजन
  • अचानक वजन बढना या कम
  • त्वाचा पर निशान पड़ना
  • पेट में भारीपन
  • खान-पान की चीजों से एलर्जी होना
  • हाइपोथायराइड की समस्या होना

अगर आपको भी अपने शरीर में ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तो घबराएं नहीं, बल्कि डॉक्टर से मिलें। साथ ही इन घरेलू उपचार को अपने दिनचर्या में शामिल करें।


वॉटर रिटेंशन के घरेलू उपाय (Home remedies for water retention)

पहली नजर में किसी को भी यही लग सकता है कि पानी का कम सेवन करने से शरीर मेंवॉटर रिटेंशन की समस्या पर काबू पाया जा सकता है लेकिन ऐसा करना लाभ के बजाए नुकसान दायक हो सकता है। कारण यह कि पानी के इस जमाव को दूर करने के लिए भी ताजे पानी की जरूरत पड़ती है।

नमक कम से कम खाएं- नमक का अधिक सेवन करने से शरीर डिहाइड्रेटेड (निर्जलीकरण) हो सकता है। वॉटर रिटेंशन से छुट कारा पाने के लिए नमक का उपयोग कम से कम करे।

फाइबर डाइट ले- फाइबर युक्त डाइट लेने पर पाचन क्रिया के दौरान जब खाना आंतों से गुजरता है तो अधिक पानी अवशोषित करता है। शरीर में पानी संग्रहित नहीं हो पाता।

हीमोग्लोबिन की मात्रा- अपने हीमोग्लोबिन की नियमित जांच करें। एनीमिया के मरीज़ों के कारण नमक व पानी अधिक समय तक शरीर में रुका रहता है। अगर आपके शरीर में खून की कमी है तो एक बी-कॉम्प्लेक्स के साथ आयरन की पूरक खुराक ले सकते हैं।

तनाव से दूर रहे- तनाव से दूर रहे। तनाव शरीर के विषैले पदार्थ को शरीर से बाहर नहीं निकलने देता, जोकि वॉटर रिटेंशन को और भी बढ़ा देता है।

थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहे- थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीते रहे। दरअसल, शरीर को जब पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिलता, तो शरीर में पानी जमा होने लगता है। इसलिए बेहतर होगा कि थोड़े-थोड़े अंतराल पर पानी पिए।

एक ही अवस्था मे ज्यादा देर तक न रहे- एक ही अवस्था में ज्यादा देर तक बैठे या खड़े न रहे। काम करते समय क्रॉस लैग करके न बैठे इससे रक्त का बहाव अवरूध होता है। लेटते समय भी आपके पैर कुछ ऊंचाई पर रहें।

मैग्नीशियम और विटामिन बी 6- अपनी डाइट में मैग्नीशियम युक्त चीजों जैसे दही, हरी सब्जियां, नट्स को शामिल करें।

आलू, अखरोट और केला का सेवन जरूर करें। दरअसल इनमें विटामिन B6 पाया जाता हैं जो वॉटर रिटेंशन को दूर करने में मददगार होते हैं। 

पोटैशियम जरूर ले- वॉटर रिटेंशन कम करने के लिए शरीर में सोडियम की मात्रा कम करना जरूरी होता है और यह काम पोटैशियम अतिरिक्त पानी को यूरीन प्रोडक्शन बढ़ाकर आसानी से करता है। संतरा, तरबूज, केला, अनार, पपीता, आम, आदि पोटैशियम के अहम स्त्रोत हैं।


क्या करे क्या न करें?

  • डिब्बाबंद, जंकफूड, कोलड्रिंक, रिफाइण्ड आइटम्स को आपने भोजन में शामिल ना करें।
  • सेब, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, हरी सब्जियां, चुकंदर आदि का सेवन करें। इससे आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई होने में मदद मिलेगी।
  • डायट में प्रोटीन युक्त चीज़ों को शामिल करें।
  • जब भी मौका मिलें पानी, नींबू पानी या संतरे का जूस पीएं। इससे शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ेगी और सूजन कम होगी।
  • अल्कोहल व धूम्रपान से बचें। एल्कोहल और धूम्रपान से शरीर डिहाइड्रेटिड होने लगता है। इसकी वजह से शरीर में मिनरल्स की कमी हो सकती है।
  • रोजाना कम से कम आधे घंटे तक एक्सरसाइज अथवा योग करें। ताकि डिटॉक्सिफिकेशन आसानी से हो सकें।
  • ज्यादा गर्म पानी से स्नान न करें।

अगर आप जानते हैं कि कोई खास चीज खाने से आपको वॉटर रिटेंशन होता है तो आपको उससे बचना चाहिए।


वॉटर रिटेंशन के लिए योग- पर्वतासन, वीरभद्रासन, हलासन और सूर्य नमस्कार जैसे योगासन करें। अथवा किसी योग एक्सपर्ट से संपर्क करें


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