Typhoid: टाइफाइड के लक्षण, कारण और उपचार

आंत्र ज्वर या टाइफाइड एक खतरनाक रोग है जो कि सलमोनेल्ला टायफी (Salmonella typhi) नामक बैक्टीरिया से होता है।

Typhoid

Fast facts on Typhoid Fever:-

  • टाइफाइड का बुखार सैल्मोनेला टाइफी के द्वारा होने वाली एक जीवाणु जनित रोग है।
  • यह रोग विश्व के सभी भागों में पाया जाता है।
  • दुनिया भर में हर साल टाइफाइड बुखार के लगभग 21 मिलियन मामले उत्पन्न होते हैं और 220,000 मौंतें हो जाती हैं।

चूंकि यह बैक्टेरिया जनित रोग है, इसलिए इसके मामले विकाशील देशों में अधिक देखने को मिलते है भारत में आज भी टाइफाइड एक बड़ा खतरा बना हुआ है।


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टाइफाइड क्या है (What is Typhoid)

टाइफाइड, साल्मोनेला टाईफी बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन या पानी के सेवन से होता है, या इस बैक्टीरिया से ग्रस्त व्यक्ति के निकटतम सम्पर्क में आने से भी टाइफाइड होने की संभावना रहती है।

इसे आयुर्वेद में आंत्र ज्वर या मियादी बुखार कहा जाता है। यह एक जानलेवा बीमारी है इसमें तेज बुखार आता है, जो कई दिनों तक बना रहता है। 


टाइफाइड होने के कारण (Causes of Typhoid)

आमतौर पर साल्मोनेला टाईफी बैक्टीरिया से प्रदूषित पानी व भोजन का सेवन करना टाइफाइड होने की मुख्य वजह है।

दूषित खान-पान से यह बैक्टीरिया आंत्र तक पहुंच जाता है। खून में मौजूद सफ़ेद रक्त कोशिकाएं बैक्टीरिया को खून में ले जाती हैं। जहाँ वह अपनी वृद्धि करते रहते है।

टाइफाइड एक संक्रमित रोग है- टाइफाइड एक संक्रामक रोग है। इसी कारण घर में किसी एक सदस्य को टाइफाइड होने पर घर के अन्य सदस्यों से भी इसके होने से खतरा होता है।


टाइफाइड के लक्षण (Symptoms of Typhoid)

टाइफाइड के लक्षण में बुखार आम है लेकिन ऐसा तो मलेरिया, डेंगू में भी होता है। ऐसे में आपको टाइफाइड के बुखार को समझना होगा और जानना होगा कि ये इनसे आखिर अलग कैसे है।

प्रथम सप्ताह में प्रकट होने वाले लक्षण

  1. रोग धीरे-धीरे बढ़ता है और बदन में दर्द रहता है।
  2. सिर के आगे वाले भाग (माथे) में दर्द रहता है।
  3. बुखार धीरे-धीरे बढ़ता है।
  4. उदर के ऊपरी हिस्से से परेशानी महसूस होती है।
  5. जीभ सूखी एवं पपड़ीदार।
  6. फेफड़ों के प्रकोष्ठों की सूजन।
  7. हृदय एवं नाड़ी की गति धीमी (ब्रेडिकार्डिया)
  8. स्पलीन (प्लीहा) बढ़ी हुई एवं दबाने पर दर्द।
  9. 10- 20 % रोगियों में उदर पर लाल चकत्ते जैसे पड़ जाते हैं।

द्वितीय सप्ताह में लक्षण

  1. बुखार लगातार बना रहता है।
  2. रोगी के शरीर में विष बनने लगता है।
  3. दिमाग कमजोर हो जाता है। सोचने-समझने की शक्ति धीमी पड़ जाती है।
  4. पेट फूल जाता एवं तन जाता है।
  5. दस्त (हरे-पीले रंग के) हो जाते हैं।
  6. रोगी ठीक होने लगते हैं, उनमें शरीर का तापमान कम होने लगता है और की भाभी कम हो जाती है।

टाइफाइड के घरेलू उपाय (Home remedies for Typhoid)

टायफाइड की समय सीमा 10-14 दिन होती है। सामान्यतः बीमारी के दूसरे या तीसरे सप्ताह के दौरान रोगी में सुधार आने लगता है। चलिये जानते हैं कि ऐसे कौन-कौन-से घरेलू उपाय हैं जो टाइफाइड दूर करने में सहायता करते हैं-

रोज गर्म पानी से स्नान- नहाने से मनुष्य का शरीर दृढ़ और मजबूत हो जाता है। उसे ताजगी की अनुभूति होती है। यदि रोगी स्वयं उठकर नहाने योग्य न हो तो शरीर में स्पौंजिंग करनी चाहिए। नहाने और स्पौंजिंग के लिए हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें।

डिहाइड्रेशन से बचे- टाइफाइड जैसे रोग के कारण अक्सर डिहाइड्रेशन की समस्या हो जाती है। इसलिए रोगी को कुछ-कुछ समय बाद तरल पदार्थ जैसे पानी, ताजे फल के रस आदि का सेवन करते रहना चाहिए।

तुलसी टाइफाइड के लक्षणों से दिलाये राहत-तुलसी और सूरजमुखी के पत्तों का रस निकालकर पीने से टाइफाइड में राहत मिलती है।

सेब का रस– सेब का जूस निकालकर इसमें अदरक का रस मिलाकर पिएं, इस तरह के बुखार में राहत मिलती है।

लहसुन टाइफाइड में फायदेमंद– लहसुन प्राकृतिक एंटीबायोटिक है। घी में 2 से 3 छोटे लहसुन की कलियां पीसकर तलें और सेंधा नमक मिलाकर खाएं।

ठंडे पानी की पट्टी– टाइफाइड में पीड़ित रोगी को तेज़ बुखार रहता है। ऐसे में यह जरूरी है कि रोगी के शरीर का तापमान सामान्य बनाए रखें। इसलिए रोगी के माथे, पैर और हाथों पर ठण्डे पानी की पट्टियां रखनी चाहिए।

शहद टाइफाइड में फायदेमंद- गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पीना टाइफाईड में अत्यन्त हितकारी होता है।

डॉक्टर से परामर्श ले- टायफाइड के लक्षण होने पर डॉक्टर के पास जाने में विलम्ब न करें। डॉक्टर ने जितने समय के लिए एंटीबायोटिक व अन्य दवाई दी है वे उतने समय तक लें। अन्यथा यह एक गम्भीर रोग में परिवर्तित हो सकता है, जैसे-

  • समय पर चिकित्सा न करने पर क्षत बढ़कर आंत्र में छेद कर देते हैं व उदर की कला में शोथ उत्पन्न हो जाता है।
  • अधिक क्षत बढ़ने पर कभी-कभी मल से रक्तस्राव होने लगता है।

टाइफाइड से बचाव के उपाय (How to prevent Typhoid)

आम तौर पर भोजन और जीवनशैली के असर के कारण भी टाइफाइड होता है। इसके लिए आहार और जीवनशैली में थोड़ा बदलाव लाने की जरूरत होती है। जैसे-

  • अपने हाथों को गर्म साबुन युक्त पानी से धोएं।
  • साफ उबला पानी पीएं।
  • उचित तरीके से पका भोजन खाए।
  • संक्रमित व्यक्तियें को घरेलू कार्यों से दूर रखें।
  • संक्रमित व्यक्ति की उपयोग की वस्तुओं को उचित प्रकार से स्वच्छ रखें।
  • फल को अच्छी तरह से धोकर खाएं।
  • ज्यादातर गर्म खाद्य-पदार्थों का सेवन करें।
  • संग्रहित खाद्य-पदार्थों से बचें।
  • घर की चीजों को नियमित रूप से साफ करें।
  • टाइफाइड से बचाव के के लिए वेक्सीन भी उपलब्ध हैं।

टाइफाइड में क्या करे क्या न करें ?

  • उबला पानी पिएं।
  • हल्का सुपाच्य भोजन करें।
  • रोगी को बिना तेल मसाले की दाल, दलिया, खिचड़ी आदि खाद्य पदार्थ दिए जा सकते है।
  • दूध, फलों का रस एवं पानी प्रचुर मात्रा में पिए।
  • शरीर मे पानी एवं लवणों की कमी नहीं होने दें।
  • खाने-पीने का सामान साफ और शुद्ध होना चाहिए एवं ढक कर रखना चाहिए।
  • सभी मसाले जैसे कि मिर्च, सॉस, सिरका आदि से दूर रहें।
  • बाजार की बनी हुई चीजें और भारी भोजन से परहेज़ करें।
  • पेट भरकर कुछ भी न खायें।
  • ऐसा भोजन न करे जो देर से पचता हो।
  • चाय, कॉफी, दारु-शराब, सिगरेट के सेवन न करें।

टाइफाइड का परीक्षण ( Which test is there for typhoid?)

टायफाइड की पहचान की जांच द्वारा जीवाणुओं का पता लगाया जा सकता है। इसके लिए कल्चर टेस्ट (Culture Test) कराना आवश्यक है। रोग के प्रथम सप्ताह में ही पाखाने की जांच में भी जीवाणु प्रकट हो जाते हैं।

चिकित्सक विशेष रूप से साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए मल का कल्चर या रक्त का कल्चर परीक्षण कराने की सलाह देते हैं।

टाइफाइड बुखार की पहचान के लिए किये जाने वाले अन्य परीक्षणों में एंजाइम से संबंधित इम्यूनोसोर्बेन्ट एम्से (एलिसा) और फ्लोरोसेंट एंटीबॉडी परीक्षण शामिल हैं


टाइफाइड वैक्सीन (Typhoid vaccine name and cost in india)

टाइफाइड बुखार से बचाव के लिए दो तरह की वैक्सीन आती हैं। एक वैक्सीन में इंजेक्शन दिया जाता है। ये वैक्सीन 2 वर्ष से ऊपर के आयु के व्यक्तिओ में ही दी जाती हैं।

दूसरी वैक्सीन में 4 गोलियां दी जाती हैं जो एक गोली एक दिन छोड़कर (1, 3, 5, 7) खाना होता हैं। यह वैक्सीन 6 वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों में ही दी जाती हैं। इन दोनों वैक्सीन का असर का 2 हफ्ते बाद होता है।

Typhoid vaccine in India– टाइफाइड के वायरस से बचाव के लिए देश में टाइफाइड वैक्सीन कई ब्रांड में उपलब्ध है। ये वेक्सीन आपको 250 से लेकर 2000 के बीच मिल जाएगी।

  • वैक टाइफ वैक्सीन (VacTyph Vaccine)
  • टाइफिम वी वैक्सीन (Typhim Vi Vaccin)
  • टाइफिरिक्स इंजेक्शन (Typherix 25 mcg Injection)
  • बायो टाइफ इंजेक्शन (Bio Typh 25 mcg Injection)
  • टाइपबार टीसीवी वैक्सीन (Typbar TCV Vaccine)

टीकाकरण संबंधित अधिक जानकरी के अपने डॉक्टर की संपर्क करें।


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