Sickle Cell: सिकल-सेल एनीमिया के लक्षण, कारण और उपचार
Sickle Cell Anemia (SCD): सिकल सेल एनीमिया या ड्रीपेनोसाइटोसिस यूरोप, अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्र में अधिक पायी गयी है। भारत में यह छत्तीसगढ़, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्सों में पायी जाती है।
छत्तीसगढ़ में सिकल सेल जीन की प्रारंभिक जांच से पता चला है कि यह छत्तीसगढ़ की लगभग 10 प्रतिशत फैला हुआ है। हालांकि कुछ जातियों में यह 30 प्रतिशत तक देखा गया है।
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सिकल सेल के प्रकार | Types of Sickle Cell Anemia in Hindi
सिकल सेल ग्रस्त व्यक्ति दो प्रकार के होते हैं
- सिकलसेल वाहक
- सिकलसेल एनीमिया
इसमें सिकलसेल वाहक व्यक्ति को आमतौर पर किसी प्रकार की समस्या नहीं होती इन्हें किसी इलाज की भी आवश्यकता नहीं होती और ये सामान्य जीवन व्यतीत करते है, लेकिन उनके बच्चों में सिकल की बिमारी होती है। किन्तु इसके विपरीत सिकलसेल एनीमिया ग्रस्त व्यक्ति हमेशा ही तकलीफ में रहता है।
सिकल सेल का अन्य विभाजन-
- सिकल सेल एनीमिया
- सिकल हीमोग्लोबिन-सी
- सिकल बीटा-प्लस थैलसीमिया
- सिकल बीटा-जीरो थैलसीमिया
सिकल सेल वाहक और सिकलसेल एनीमिया | Sickle Cell carriers and sickle cell anemia
हमारे शरीर में रक्त को लाल रंग देने वाला तत्व हिमोग्लोबीन होता है। सामान्य व्यक्ति के हिमोग्लोबीन में दो जीन्स A.A होते हैं. लेकिन सिकलसेल वाहक व्यक्ति में A.S जीन्स अर्थात एक A और एक S जीन्स पाया जाता है।
सिकलसेल एनीमिया व्यक्ति में दोनो जीन्स S.S रहता है। दोनो जीन्स एक माता और एक पिता से संतान में आता है। यदि माता-पिता दोनों में से एक भी सिकलसेल वाहक हो तो उनका बच्चा भी 25% सिकल सेल वाहक बन सकता है। यदि माता पिता सिकलसेल वाहक होंगे तो उनका बच्चा भी वाहक / सिकलसेल एनीमिया ग्रस्त हो सकता है।
- स्वाभाविक बच्चा – AA
- सिकलसेल वाहक – AS
- सिकलसेल एनीमिया- SS
सिकलसेल एनीमिया के लक्षण |Symptoms of sickle cell anemia in Hindi
- सिकलसेल वाहक इन व्यक्तियों में कुछ भी समस्या नहीं होती, कभी-कभी पेशाब में खून जा सकता है।
- सिकलसेल एनीमिया इन व्यक्तियों में अक्सर निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं।
- खून की कमी होना।
- सुस्त रहना, कमजोर होना, सांस में तकलीफ होना।
- जोड़ों में दर्द एवं सूजन होना।
- तिल्ली का बढ़ जाना।
- उम्र के अनुसार शारीरिक वृद्धि कम होना या रुक जाना।
- बार बार गर्भपात होना।
- पीलिया होना।
- लीवर का बढ़ जाना।
- बार बार पेट दर्द होना।
- पैर में धाव होना।
सिकलसेल की जांच | Sickle Cell Animia Test In Hindi
सिकलसेल रोग की जांच खून के जांच से की जाती है। जो स्लाइड और सेलीबिलीटी जांच द्वारा की जाती है, किन्तु हिमोग्लोबीन इलेक्ट्रोफेरोसिस जांच द्वारा ही सिकलसेल वाहक या सिकलसेल एनीमिया रोगी में फर्क किया जा सकता है।
सिकल क्राइसिस क्या है ? | What is
Sickle Cell Crisis in Hindi
सिकल क्राइसिस सिकलसेल एनीमिया पीड़ित व्यक्ति के लिए बहुत ही दर्दनाक स्थिति होती है। इस समय सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति की कोई भी समस्या जैसे: जोड़ों में दर्द, छाती में दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है। जिसके कारण बीमार व्यक्ति के लिए कुछ भी कर पाना संभव नहीं हो पाता।
सिकलसेल क्राइसिस होने के कारण | What causes a sickle cell crisis?
लाल रक्त कणों की चिपचिपाहट बढ़ जाती है जिसके कारणवश खून की विभिन्न नालियों में कणिकायें चिपक जाती है और ऑक्सीजन सभी अंगो तक पहुंच नहीं पाती जिससे दर्द, कोषों में क्षति, जोड़ों में सूजन, कभी-कभी स्ट्रोक व अन्धापन भी हो सकता है।
क्या ‘- क्या क्षति कर सकता है ?
- 1) स्ट्रोक (दिमाग या दिल में क्षति)
- 2) अचानक छाती में दर्द
- 3) बुखार, श्वांस में समस्या
- 4) शरीर के अंगों में खराबी आना
- 5) अन्धा होना
सिकल क्राइसिस रोकने के लिए क्या करें | How Can I Prevent a Scickle Cell Crisis?
- अधिक पानी पीना चाहिये।
- सिकलसेल पीड़ित व्यक्ति बहुत जल्दी संक्रमण ग्रस्त होता है। निमोनिया एवं इनफ्लूएन्जा के लिए टीका लगवाना चाहिये।
- हल्का व्यायाम करना चाहिये।
- धूम्रपान नहीं करना चाहिये।
- संतुलित एवं पौष्टिक आहार आहार लें।
- अधिक गर्मी एवं अधिक ठंड में नहीं रहना चाहिये।
- अधिक ऊंचाई में नहीं चढ़ना चाहिये।
- मानसिक तनाव से दूर रहें।
- सिकल वाहक में समस्या न के बराबर ही होती है इसलिये इलाज की जरुरत नहीं पड़ती।
- सिकलसेल बीमारग्रस्त अपने चिकित्सक की सलाह से ही दवाओं का सेवन करें।
- बीच-बीच में हीमोग्लोबीन की जांच कराते रहें।
- अस्थि मज्जा प्रतिस्थापन भी करवाया जा सकता है किन्तु यह चिकित्सा बहुत महंगी है।
निष्कर्ष- सिकलसेल एक अनुवांशिक बीमारी है, जो माता- पिता से संतान में आता है। किन्तु इसकी कोई भी दवा ऐसी नहीं है जो इसे जड़ से समाप्त कर सके। नीम हकीम के चक्कर में न आयें।