सत्यानाशी (Argemone mexicana)

सत्यानाशी या घमोई  भारत में सब स्थानों पर पैदा होती है। सत्यानाशी का पौधा चिकित्सा शास्त्र में अपना विशिष्ट स्थान रखता रखता है।

Satyanashi

Contents

सत्यनाशी का विभिन्न भाषाओं में नाम (Satyanashi Called in Different Languages)

वैज्ञानिक नामArgemone mexicana
अंग्रेज़ीPrickly Poppy, Mexican Poppy, Yellow thistle
हिंदीसत्यानाशी, उजर कांटा, सियाल कांटा
संस्कृतकटुपर्णी
गुजरातीदारूडी (Darudi)
मराठीकांटेधोत्रा (Kantedhotra), दारुरी (Daruri), फिरंगिधोत्रा (Firangidhotra)
नेपालीसत्यानाशी (Satyanashi)
बंगालीस्वर्णक्षीरी (Swarnakhiri), शियाल कांटा (Shial-kanta), बड़ो सियाल कांटा (Baro shialkanta)
ओडियाकांटाकुशम (Kanta-kusham)
कन्नड़ अरसिन-उन्मत्ता (Arasina-unmatta)
तमिलपोन्नुम्मटाई (Ponnummattai), कुडियोट्टि (Kudiyotti), कुरुक्कुमचेडि (Kurukkum-chedi)
तेलगुपिची कुसामा चेट्टु (Pichy kusama chettu)
मलयालमपोन्नुम्मत्तुम् (Ponnunmattum)

सत्यानाशी का सामान्य परिचय (introduction of Satyanashi)

सत्यानाशी का पौधा छोटे कद का होता है और देखने में बड़ा सुंदर दिखाई पड़ता है। सत्यानाशी के किसी भी अंग को तोड़ने से उसमें से स्वर्ण सदृश, पीतवर्ण (पीले रंग) का दूध निकलता है, इसलिए इसे स्वर्णक्षीरी भी कहते है।

सत्यानाशी का फल चौकोर, कांटेदार, प्याले-जैसा होता है, जिनमें राई की तरह छोटे-छोटे काले बीज भरे रहते हैं, जो जलते कोयलों पर डालने से भड़भड़ बोलते हैं। इस वनस्पति के सारे अंगों पर कांटे होते है।

सत्यनाशी का विभन्न रोगों में प्रयोग (Use of satyanashi Plant in various diseases in Hindi)

सत्यानाशी के पत्ते का रस/दूध कीटाणुनाशक एवं विषाणु नाशक होता है। इसके रस को लगाने से किसी भी प्रकार का घाव ठीक हो जाता है। पुराने से पुराना घाव भी ठीक करने में यह समर्थ है।इसके अलावा आँख के रोग, सुजाक और चर्मरोग में भी यह पौधा बड़े काम का है।

पेट दर्द: सत्यानाशी की जड़ की छाल 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 पीस लेकर पानी में पीस लेने से पेट के दर्द दूर हो जाता है।

कब्ज: 1 ग्राम से 2 ग्राम तक सत्यानाशी के तेल को पानी में डालकर पीने से पेट साफ हो जाता है। अथवा सत्यानाशी की जड़ की छाल 5 से 10 ग्राम तक पानी के साथ खाने से कब्ज से मुक्ति मिलती है।

माइग्रेन: 100 मि.ली पानी में 50 ग्राम पौधे के जड़ को 25 मि.ली. होने तक उबालें। साफ कर कुछ गुड़ मिलाएं। इस काढ़े का उपभोग एनाल्जेसिक और प्रतिरोधक चाय के रूप में किया जाता है जो माइग्रेन जैसे सिरदर्द को कम करने में मदद करता है। और पढ़ें: माइग्रेन के लक्षण और उपचार

सत्यानाशी (Prickly Poppy) के आयुर्वेदिक गुण | Acharya Balkrishna (Patanjali)

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