अनार (Pomegranate)
अनार (Pomegranate) स्वास्थ्य की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण फल है। अनार के फल में सैकड़ों लाल रंग के छोटे पर रसीले दाने होते हैं। जो पौषक तत्वों से भरपूर होते है।

Contents
- 1 विभिन्न भाषाओं में अनार का नाम (Pomegranate Called in Different Languages)
- 2 अनार का सामान्य परिचय (introduction of Pomegranate)
- 3 अनार के प्रकार (Types of Pomegranate)
- 4 अनार के उपयोगी भाग (Useful Parts of Pomegranate)
- 5 अनार का उत्पादन (Production of pomegranate in Hindi)
- 6 अनार में पौषक तत्व (Nutritional value of Pomegranate)
- 7 अनार का गुण धर्म (Properties of Pomegranate / Anar in Hindi)
- 8 उपलब्ध आयुर्वेदिक योग (Pomegranate Ayurvedic Medicine)
- 9 आनर का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Pomegranate in various Diseases)
- 10 अनार का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Uses Pomegranate in Hindi?)
- 11 अनार के सेवन से नुकसान (Side Effect of Pomegranate in Hindi)
- 12 अनार से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ Related to Pomegranate in Hindi)
विभिन्न भाषाओं में अनार का नाम (Pomegranate Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Punica granatum |
अंग्रेज़ी | Phonicagranate |
हिंदी | अनार |
संस्कृत | दाडिम, लोहित पुष्पक, दंत बीज |
गुजराती | दाउम |
मराठी | डालिंब |
नेपाली | अनार |
बंगाली | दालिम |
तेलगू | दानिम्मा |
तमिल | मदुलाई |
फ़ारसी | अनार, शीरी अनार |
अरबी | रुमान, हामिज |
अनार का सामान्य परिचय (introduction of Pomegranate)
बाह्य स्वरूप: अनार का पेड़ 20 फीट तक ऊंचा होता है। इसकी छाल चिकनी, पतली, पीली या गहरे भूरे रंग की होती है। पत्ते कुछ लंबे व कम चौड़े होते हैं। इसके फूल नारंगी व लाल वर्ण, कभी-कभी पीले 5-7 पंखुड़ियों युक्त एकल या 3-1 के गुच्छों में होते हैं।
अनार का फल: अनार का फल गोलाकार, लगभग दो इंच व्यास का होता है। इसका आवरण लाल या पीलापन लिए हुए काफी कड़ा और मजबूत होता है। फल का छिलका हटाने के बाद सफेद, लाल या गुलाबी आभा वाले रसीले दाने होते हैं।
अनार के प्रकार (Types of Pomegranate)
अनार की तीन किस्में पाई जाती हैं।
(1) देशी अनार: खट्टे-मीठे होते हैं।
(2) कन्धार अनार: मीठे होते हैं।
(3) काबुल अनार: काबुली अनार गुठली रहित अत्यन्त मीठा अनार होता है, जिसे बेदाना अनार कहते हैं। फल की तुलना में कली, और छिल्के में अधिक गुण पाए जाते हैं।
स्वाद की दृष्टि से भी यह फल मीठा, खट्टा-मीठा और खट्टा तीन प्रकार का होता है।
अनार के उपयोगी भाग (Useful Parts of Pomegranate)
आयुर्वेद में अनार को बहतु ही चमत्कारिक फल बताया गया है। इसका केवल फल ही नहीं, बल्कि पूरा वृक्ष ही औषधीय गुणों से भरपूर होता है। अनार का फल, फूल, बीज, पत्ते, तने, छिलके, पेड़ की छाल और जड़ सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता हैं।
अनार की कलम: अनार की डाली से बनी हुई कलम पूजा-उपासना और तांत्रिक प्रयोगों में भी इस्तेमाल की जाती है।
अनार का उत्पादन (Production of pomegranate in Hindi)
अनार के उत्पादन के लिए जलवायु: अनार दुनिया के गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। फलों के विकास एवं पकने के समय गर्म एवं शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है। आर्द्र जलवायु से फलों की गुणवत्ता प्रभावित होती है। एवं फफूॅंद जनक रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है।
भारत में अनार का उत्पादन: भारत में अनार के पेड़ अधिकतर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में पाए जाते हैं। कन्धार, काबुल और भारत के उत्तरी भाग में पैदा होने वाले अनार बहुत रसीले और अच्छी किस्म के होते हैं।
भारत में अनार का क्षेत्रफल 113.2 हजार हेक्टेयर, उत्पादन 745 हजार मैट्रिक टन एवं उत्पादकता 6.60 मैट्रिक टन प्रति हेक्टेयर है। (आंकड़े: 2012-13)
अनार में पौषक तत्व (Nutritional value of Pomegranate)
रासायनिक संघटक: वैज्ञानिकों के मतानुसार अनार में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, फास्फोरस, कैल्शियम, सोडियम, मैगनेशियम, पोटेशियम, आक्जलिक अम्ल, तांबा, लोहा, गंधक, टेनिन, शकरा, विटामिन्स और खनिज होते हैं।
अनार का गुण धर्म (Properties of Pomegranate / Anar in Hindi)
आयुर्वेद गुण धर्म: आयुर्वेद शास्त्र के मतानुसार मीठा अनार वात, पित्त और कफ तीनों का नाश करता है। यह शीतल, तृप्तिकारक, वीर्यवर्धक, स्निग्ध, पौष्टिक, हलका, संकोचक, कृमिनाशक होने के साथ-साथ प्यास, जलन, ज्वर, हृदय रोग, कंठ रोग, मुख की दुर्गंध को भी दूर करता है। और पढ़ें: जानें, आयुर्वेद की ABCD
- खट्टा-मीठा अनार: पित्त, जठराग्निवद्भक, रुचिकारी, हलका व थोड़ा पित्तकारक होता है।
- खट्टा अनार: खट्टे स्वाद का, बात, कफ़ को नाश करने वाला, पित्त को उत्पन्न करने वाला होता है।
यूनानी चिकित्सा: यूनानी चिकित्सकों के मतानुसार अनार पहले दर्जे का शीतल, स्निग्ध, हृदय और यकृत के लिए बलदायक, दाह शांत करने वाला, गले और छाती में मृदुता लाने वाला फल है। पत्तों की अपेक्षा गूदा, गूदे की अपेक्षा छाल, फूल की अपेक्षा कली और जड़ की छाल में अधिक औषधीय गुण होते हैं। और पढ़ें: वैकल्पिक चिकित्सा की सूचि
हानिकारक प्रभाव: यह फल शीत प्रकृति वालों के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
मात्रा: फल का रस 20 से 25 मिलीलीटर, बीजों का चूर्ण 6 से 9 ग्राम, छाल का चूर्ण 3 से 5 ग्राम, पुष्प कलिका 4 से 5 ग्राम।
उपलब्ध आयुर्वेदिक योग (Pomegranate Ayurvedic Medicine)
अनारदाना चूर्ण: स्वादिष्ठ, भोजन पचाने वाला और भूख बढ़ाने वाला होता है।
दाड़िमाष्टक चूर्ण: मंदाग्नि, वायुगोला, अपच, अतिसार, गले के रोग, कमजोरी और खांसी में लाभप्रद है।
आनर का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Pomegranate in various Diseases)
चेहरे का सौंदर्य: गुलाब जल और अनार के छिलकों के चूर्ण को मिलाकर लेप बनाये। इस लेप को रात को सोते समय लगाकर सुबह चेहरा धो लें।
मूत्र की अधिकता: एक चम्मच अनार के छिलकों का चूर्ण एक कप पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करें।
पेट दर्द : नमक और काली मिर्च का पाउडर अनार के दानों में मिलाकर सेवन करें। शरीर की गर्मी अनार का रस पानी में मिलाकर पीने से गर्मी के दिनों में बढ़ी शरीर की गर्मी दूर होती है।
अजीर्ण: 3 चम्मच अनार के रस में एक चम्मच जीरा और इतना ही गुड़ मिलाकर भोजन के बाद सेवन कराएं।
दांत से खून आना: अनार के फूल के चूर्ण का मंजन करने से दांतो से खून आना बंद होकर दांत मजबूत होते हैं।
खांसी: अनार के छिलकों पर सेंधानमक लगाकर चूसें।
कृमि रोग: अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ दिन सेवन करें।
वमन (उल्टी): अनार के बीज पीसकर उसमें थोड़ी सी काली मिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित्त की वमन और घबराहट में आराम मिलता है। और पढ़ें: अनेक रोगों का लक्षण है उल्टी
अनार का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Uses Pomegranate in Hindi?)
अनार का सेवन इतनी मात्रा में किया जा सकता है?
चूर्ण- 2-4 ग्राम
रस- 20-40 मिली
बीमारियों में अनार का पूरा लाभ लेने के लिए चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।
अनार के सेवन से नुकसान (Side Effect of Pomegranate in Hindi)
कई लोगों को यह मनना है कि अनार की तासीर ठंडी होती है, इसलिए सर्दी के मौसम में अनार का अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए जिन लोगों का शरीर शीत प्रकृति वाला उन्हें अनार का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।