पीपल (Sacred Fig)

पीपल, भारत, नेपाल, श्री लंका, चीन और इंडोनेशिया में पाया जाने वाला बरगद, या गूलर की जाति का एक विशालकाय वृक्ष है। इसे भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया है अनेक पर्वों पर इसकी पूजा की जाती है।

Peepal

पीपल का विभिन्न भाषाओं में नाम (Sacred Fig Name in different Language)

वैज्ञानिक नामFicus religiosa
अंग्रेज़ी Peepal tree, Sacred fig, Ficus Religiosa, The bo tree, Bodh tree, The tree of intelligence
हिंदीपीपल
संस्कृतपिप्पल, कुञ्जराशन, अश्वत्थ, बोधिवृक्ष, चलदल, बोधिद्रुम, गजाशन
गुजरातीपीपरो (Pipro)
मराठीपीपल, पिम्पल, पिपाल
बंगाली अश्वत्था, असूद्ध
नेपालीपीपल
तेलगूराविचेट्टु, अश्वत्थामु
कन्नड़अरली
तमिलअश्वारथान, अरासमारम्, अरासन, अरासू, अरारा
असमियाअंहोत
उड़ियाजोरी, पिप्पलो, उस्टो पिपौलो
पंजाबीपीपल
कश्मीरीबाड

पीपल का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Sacred Fig in various diseases in Hindi)

घाव: 400 मि.ली. पानी में 50 ग्राम पीपल के तने के छाल को 100 मि.ली. होने तक पकाया जाता है। इस गुनगुने मिश्रण से घाव को साफ किया जाता है। यह संक्रमित तथा गैर संक्रमित घावों के तुरंत उपचार में उपयोगी होता है। जड़ के छाल के बारीक पाउडर के इस्तेमाल से त्वचा संबंधी घावों से होने वाले स्राव को रोका जा सकता है।

स्टोमेटिटीस: 5–6 कोमल टहनी के पेस्ट को मुंह में रखकर 5-10 मिनट चबाने से स्टोमेटिटीस से राहत / निजात मिलती है ।

चहरे के दाग धब्बे: सुबह-सुबह ताजा लेटेक्स इकट्ठा किया जाता है और त्वचा के घावों पर लगाया जाता है। इससे अत्यधिक रंजकता एवं चेहरे के धब्बों से राहत मिलती है ।

ल्युलोरिया: 100 मि.ली. दूध में 2 मि.ली. ताजे लेटेक्स (पौधे का दूध ) मिश्रित कर सवेरे खाली पेट सेवन किया जाता है। इससे लम्बे समय से जारी ल्यूकोरिया में 120-130 दिनों के उपचार से स्थिरता आ जाती है।

पेट दर्द: 1/2 अश्वत्थ की जड़ से बने 10 ग्राम काढ़ा (10 ग्राम छाल के पाउडर को 200 ग्राम पानी में तब तक उबाला जाए जब तक कि वह 50 मि.ली. न हो जाए) नमक और गुड़ के साथ मिश्रित कर प्रतिदिन दिन में दो बार सेवन करने से गंभीर पेट दर्द से निजात मिलती है।

पीपल (Sacred Fig) पेड़ के आयुर्वेदिक गुण | Acharya Balkrishna (Patanjali)

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