Migraine: माइग्रेन के लक्षण, कारण और उपचार
माइग्रेन, अधकपारी या अर्द्धशीशी एक जटिल विकार है जिसमें गंभीर सिरदर्द होता है। माइग्रेन का दर्द कुछ घंटे से लेकर कई दिनों तक रह सकता है।
आमतौर पर हम सबको कभी-न-कभी सिरदर्द की शिकायत होती है। ऐसे में ये पहचाना जरूरी है कि यह साधारण सिरदर्द है या माइग्रेन के कारण होने वाला सिरदर्द?
Contents
माइग्रेन के लक्षण क्या है? | Migraine Symptoms in Hindi
अक्सर लोग माइग्रेन और सिरदर्द दोनों को ही समान समस्या समझ लेते हैं लेकिन दोनों तकलीफों में जमीन-आसमान का अंतर है।
माइग्रेन एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। माइग्रेन का मुख्य लक्षण सिरदर्द ही है लेकिन ये सामान्य रूप से होने वाले सिरदर्द से काफी भिन्न होता है। यह अक्सर आधे और कभी-कभी पूरे सिर में उठता है। इसकी पीड़ा असहनीय होती है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, मितली, उल्टी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
माइग्रेन की एक पहचान यह भी है कि इसमें रह-रहकर सिर में चुभन भरा दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रह सकता है। फिर अपने आप ठीक हो जाता है। परंतु इस प्रकार के दौरे जब-तब कभी भी उठ खड़े होते हैं।
इसके अलावा माइग्रेन में रोशनी, तेज आवाज से परेशानी महसूस होती है। इनमें से कोई एक या ज्यादा लक्षणों को पहचानकर माइग्रेन का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि यही लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हो सकते हैं।
माइग्रेन क्यों होता है? | Migraine Causes in Hindi
अभी तक माइग्रेन के एक निश्चित कारण की पहचान नहीं हो सकी है। हालांकि, कुछ ऐसे कारक हैं जो माइग्रेन के लिए उत्तरदायी माने जाते है। जो निम्न है-
पहले माना जाता था कि माइग्रेन संवहनी होता हैं, जो मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं के फैलने और सिकुड़ने के कारण होता है। लेकिन हाल में किए गए कई अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि माइग्रेन केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की गड़बड़ी के कारण होता है, जिसके कारण न्यूरोट्रांसमीटरों का संचरण प्रभावित होता है और विशेषरूप से सेरोटोनिन का असंतुलन हो जाता है।
इसके अलावा खान-पान, वातावरण में बदलाव, तनाव में बढ़ोतरी या ज्यादा सोने से भी हो सकता है।
कई बार माइग्रेन जेनेटिक होता है, महिलाओं में हार्मोनल बदलाव भी एक वजह हो सकती है. शरीर में एस्ट्रोजन का लेवल जब बिगड़ता है, तब सिरदर्द की शिकायत हो सकती है।
माइग्रेन के प्रकार (क्लासिक माइग्रेन, नॉन क्लासिक माइग्रेन) | Types of Migraine in Hind
माइग्रेन मुख्य तौर पर दो तरह के होते हैं।
- क्लासिक माइग्रेन
- नॉन क्लासिक माइग्रेन
क्लासिक माइग्रेन में बहुत सारे लक्षण संकेत देते हैं कि आपको माइग्रेन का दौरा पड़ने वाला है, जैसे सिर दर्द की शुरुआत से पहले धुंधला दिखना, कंधे में जकड़न। माइग्रेन की अवस्था में रक्तवाहिनियां सिकुड़ने लगती है।
नॉन क्लासिक माइग्रेन में समय-समय पर सिर में तेज दर्द होता है, पर अन्य लक्षण नजर नहीं आते।
आयुर्वद में माइग्रेन | Migraine in Ayurveda
आयुर्वेद के मुताबिक, शरीर में त्रिदोष (वात,पित्त और कफ) अनबैलेंस होने पर अलग-अलग तरह के लक्षणों के साथ बीमारी का कारण बनते हैं।
आयुर्वेदिक डॉक्टरों के अनुसार माइग्रेन दिमाग या चेहरे की रक्त वाहिनियों में हुई गड़बड़ी से होने वाला दर्द है।
माइग्रेन में वात दोष का संतुलन बिगड़ जाता है, जो नर्वस सिस्टम और दिमाग़ की एक्टिविटी को नियंत्रित करता है, जबकि पित्त के कारण रक्त वाहिकाएं फैलती हैं, जिसकी वजह से माइग्रेन के लक्षण नज़र आते हैं।
वात के कारण सिरदर्द होने पर न्यूरोलॉजी से संबंधित समस्याएं बढ़ती है। न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सिर्फ दिमाग से ही नहीं गर्दन और कान से भी होता है। ब्रेन की MRI या सीटी स्कैन करवाने पर इसके असली कारण का पता चलता है।
माइग्रेन से बचाव के उपाय | Prevention Tips for Migraine in Hindi
माइग्रेन न हो या बार-बार होने से बचने के लिए अपने जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने की आवश्यकता है जो निम्न है-
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। समय पर सोएं और जागे।
- तापमान में अचानक बदलाव से हमेशा बचे। जैसे एक दम ठण्डे से गर्म में न निकले और तेज गर्मी से आकर बहुत ज्यादा ठण्डा पानी न पिये।
- गर्मी के मौसम में अधिक घूमने से बचे। अगर आप गर्मी के मौसम में तेज धूप में बाहर निकल रहे हैं तो सनग्लासेस या छाते का इस्तेमाल करे।
- डिहाइड्रेशन माइग्रेन की समस्या का सबसे बड़ा कारण होता है। इसलिए रोजाना 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिये।
- प्रातः नंगे पांव घास पर चले क्योंकि इससे तनाव कम होता है।
- ज़्यादा शोर व तेज़ लाइट से बचें। अपनी पसंद का मधुर और कोमल संगीत चुनें, और बैठकर सुनें।
- कई परफ्यूम्स, गंध, सिगरेट के धुएं से भी माइग्रेन का दौरा पड़ सकता है. ऐसे माहौल से दूर रहें।
माइग्रेन में क्या खाएं, क्या ना खाए | Migraine and Diet
- ज़्यादा नमक, डिब्बा बंद या प्रीज़वें टिव्सयुक्त आहार से परहेज़ करें।
- तरल पदार्थ (सूप, नींबू पानी, नारियल पानी, छाछ, लस्सी)आदि का सेवन करें।
- उमस वाले मौसम में ऐसी चीजें खाने से बचे जिसमें ज्यादा पसीना निकलता है जैसे-चाय, कॉफी आदि।
- भोजन में फल और हरी सब्जियां खूब खाएं। अधिक तेल मसाले का इस्तेमाल न करें।
- चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक, अल्कोहोल, तंबाकू आदि लेने से बचें। इन्हें लेने से माइग्रेन बढ़ सकता है।
- उपवास से या भोजन समय पर न करने से भी ये समस्या हो सकती है।
और पढ़े: माइग्रेन रोग की आहार चिकित्सा
माइग्रेन का घरेलू उपाय | Home Remedies for Migraine in Hindi
आम तौर पर माइग्रेन की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम ऐसे घरेलू उपाय बता रहे है जिनके सेवन से माइग्रेन को सामान्य अवस्था में लाने में आसानी होगी।
माइग्रेन का आयुर्वेदिक इलाज
आयुर्वेदिक इलाज के कुछ प्रकार हैं, जो प्रायः माइग्रेन के मरीज़ों को दिए जाते हैं।
- नस्य, बस्ति और शिरोधारा।
- बादाम का तेल 2-4 बूंद नाक में सुबह खाली पेट तथा सायंकाल सोते समय डालने से सिर दर्द, माइग्रेन पेन, अनिद्रा, सिर में भारीपन व साइनस में लाभ होता है। बादाम रोगन की सिर में मालिश करने से भी उपरोक्त सभी रोगों में शीघ्र लाभ होता है।
- माइग्रेन का असहनीय दर्द दूर भगाने के लिए रोजाना शुद्ध देसी घी की 2-2 बूंदें नाक में डालें।
- नाक से सौठ (अदरक का पाउडर) सूंघने से आराम मिलता है।
- एक टीस्पून शुद्ध गाय के घी में मिश्री के साथ एक ग्राम सितोपलादि चूर्ण और 250 मिलीग्राम जटामांसी चूर्ण मिलाकर खाएं।
माइग्रेन के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां और योग | Migraine Ayurvedic Medicine & Yoga
रोजाना योगासन, प्राणायाम और मेडिटेशन जरूर करें इससे आपको काफी फायदा मिलेगा। गहरी श्वासयुक्त ध्यान शरीर में अधिक ऑक्सीजन लाकर माइग्रेन को दूर करने में सहायक होता है।
माइग्रेन की कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि लक्ष्मीविलास रस, चंद्रकला रस, सूतशेखर रस है। जो डॉ की सलाह से ली जा सकती है।