Lung Disease: फेफड़ों से संबंधित बीमारियां
Lung Diseas in Hindi: फेफड़े शरीर का एक अहम हिस्सा हैं। फेफड़े में किसी भी तरह की दिक्कत आने से सांस संबंधी समस्या (Respiratory Problems) पैदा होने का जोखिम रहता है।
आदमी भोजन के बिना हफ़्तों जीवित रह सकता है; जल के अभाव में भी कुछ दिनों तक उसका निर्वाह हो सकता है, लेकिन वायु के बिना कुछ ही क्षणों में जीवन समाप्त हो जाएगा। फिर भी ज्यादातर लोग फेफड़े के स्वास्थ के प्रति जागरूक नहीं रहते हैं। इसलिए आजके इस लेख में हम फेफड़ों से सम्बंधित रोगों (Lung Disease) के बारे में जानेंगे-
Contents
कफ | Cough in Hindi
Cough: खांसी एक सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया है जो श्वसन मार्ग की रुकावट को दूर करने में मदद करती है। अगर बलगम बनता है तो खांसी के दौरान बलगम निकलता है, जिससे व्यक्ति राहत का अनुभव करता है। अगर बलगम नही बनता तो उसे सुखी खांसी कहा जाता हैं।
अधिकांश खांसी श्वसन पथ की अल्पकालिक रुकावट के कारण होती है और आमतौर पर कुछ दिनों में ठीक हो जाती हैं। लेकिन ये ये फेफड़ों के एक गंभीर विकार का संकेत हो सकती है। जिसके लिए चिकित्सकय उपचार की आवश्यकता होती है।
हिचकी | Hiccups in Hindi
Hiccups: हिचकी आने का सबसे बड़ा कारण पेट और फेफड़े के बीच स्थित डायफ्राम और पसलियों की मांसपेशी में संकुचन है। डायफ्राम के सिकुड़न से फेफडे तेजी से हवा खींचने लगता है, जिसकी वजह से हिचकी आती है।
हिचकी आमतौर पर कुछ मिनटों से अधिक नही आती और ये स्वतः ही ठीक हो जाती है। लेकिन कभी कभी ये घण्टो, महीनों या सालों तक भी आ सकती है। कुछ दिनों से अधिक समय तक चलने वाली हिचकी बीमारी का संकेत हो सकता है। और पढ़े: हिचकी आने के कारण और उपचार
अस्थमा | Asthma
Asthma: अस्थमा (दमा) श्वसन मार्ग का एक आम जीर्ण सूजन disease वाला रोग है जिसे चर व आवर्ती लक्षणों, प्रतिवर्ती श्वसन बाधा और श्वसनी-आकर्ष से पहचाना जाता है।
what are the symptoms: इसके आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और श्वसन में समस्या शामिल हैं। इसे असाध्य रोग माना जाता हैं।
उग्र श्वसनीशोथ | Acute bronchitis in Hindi
Acute Bronchitis: एक्यूट ब्रोंकाइटिस, श्वास मार्ग की अल्पकालिक सूजन (Short-term inflammation)है, जो अक्सर जो कि विषाणु जनित रोग फ्लू या सर्दी जुकाम के होने के बाद विकसित होती है।
what are the symptoms: इसके लक्षणों में बलगम के साथ सीने में बेचैनी या वेदना, बुखार और कभी-कभी साँस लेने में तकलीफ होती है।
क्राॅनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज | Chronic obstructive pulmonary disease
Chronic obstructive pulmonary disease: क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (CPOD) फेफड़ों की बीमारी है। जो दुनियाभर में बड़ी ही तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इसके भारत मे हर साल 1 करोड़ से ज़्यादा मामले आते हैं। इसके लक्षण अस्थमा और ब्रोंकाइटिस से मिलते-जुलते हैं।
CPOD से होने वाले नुकसान को दोबारा ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसके उपचार से लक्षणों को नियंत्रित करने और आगे होने वाले नुक्सान को रोका जा सकता हैं।
निमोनिया | Pneumonia in Hindi
Pneumonia: निमोनिया फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है। निमोनिया मुख्य रूप से विषाणु या जीवाणु के संक्रमण के कारण होता है।
what are the symptoms: इसके अलावा यह बैक्टेरिया, सूक्ष्मजीव, कुछ दवाओं, और अन्य रोगों के संक्रमण से भी हो सकता है।
टीबी | Tuberculosis in Hindi
Tuberculosis: टीबी, एक गंभीर संक्रामक और बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है, जो मुख्य रूप से व्यक्ति के फेफड़ों को प्रभावित करती है। लेकिन शरीर के कई अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता हैं। इससे बच्चे और 60 साल के ऊपर के लोग अधिक संक्रमित होते है।
what are the symptoms: इसके सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, ठंड लगना, रात मे पसीना आना, भूख न लगना, वजन घटना, थकान उंगली के पोरों में सूजन आदि शामिल हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है।
काली खांसी | Pertussis in Hindi
Pertussis: काली खांसी को अंग्रेजी में पर्टुसिस (Pertussis) और वूपिंग कफ (wooping cough) कहा जाता है। यह एक संक्रमण रोग है, जो बोर्डेटेला परट्यूसिस (Bordetella pertussis) जीवाणु के कारण होती है। ये किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन 5 साल से कम उम्र में अधिक आम है।
चूंकि काली खांसी में व्यक्ति हमेशा खांसता रहता है। इसके लिए काली खांसी को कुत्ता खांसी / कुकुर खांसी भी कहा जाता है। अगर आपको दो सप्ताह से अधिक दिनों तक खांसी है तो चिकित्स्क से संपर्क करना चाहिए।
प्लूरिसी | Pleurisy in Hindi
Inflammation of the pleura: आम तौर पर, जब हम सांस लेते हैं, तो फेफड़े या फुसफुस (pleura) की दो परतें (झिल्ली जो छाती की दीवार से फेफड़ों को अलग करती है, एक-दूसरे पर स्लाइड करती है, जिससे फेफड़े आसानी से फुलते और सिकुड़ते हैं) लेकिन प्लूरिसी में, फुफ्फुस की सूजन परतों को ऊपर जाने से रोकती है। जिससे वे एक दूसरे के खिलाफ रगड़ते हैं, जिससे सांस लेते समय तेज, तेज सीने में दर्द होता है
प्ल्यूरल इफ्यूजन | Pleural effusion in Hindi
Pleural effusion: पूर्व में बताया जा चुका है कि प्लूरा (pleura) एक पतली सी झिल्ली है। जो फेफड़ों और छाती की अंदरुनी परत के बीच होती है। साधारण स्थिति में प्लूरा के परतों के बीच खाली जगह में सिर्फ एक चम्मच जितना ही तरल पदार्थ होता है जो सांस लेने के दौरान फेफड़ों की हिलने में मदद करता है।
लेकिन प्लूरल इफ्यूजन में अधिक मात्रा में तरल पदार्थ एकत्रित होने लगता है। ऐसा इन्फेक्शन, पल्मोनरी एम्बोलिज्म, ऑर्गन में लीकेज, केंसर आदि अनेक कारणों से हो सकता हैं।
what are the symptoms: इस बीमारी के शुरुआती समय में किसी तरह के कोई लक्षण देखने को नहीं मिलते। जब व्यक्ति की स्थिति अधिक बिगड़ जाती है। तब बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत आना, छाती में दर्द आदि लक्षण दिखते है।
पल्मोनरी एम्बोलिज्म | Pulmonary Embolism in Hindi
Pulmonary Embolism: पल्मोनरी एम्बोलिज्म एक ऐसी स्थिति है, जिसमें फेफड़ों तक रक्त ले जाने वाली रक्तवाहिका में रक्त का थक्का जम जाता है। जिससे फेफड़ों में रक्तसंचार बाधित होता है। चूंकि इसमें रक्त का प्रवाह प्रभावित होता है जिससे फेफड़ों के खराब होने और खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने से अन्य अंगों को क्षति पहुंचने का खतरा रहता है।
यदि रक्त के थक्के बड़े और अधिक हो जाएं तो यह स्थिति घातक भी हो सकती है। इस रोग का समय पर इलाज लेना जरूरी है।
ब्रोन्किइक्टेसिस | Bronchiectasis in Hindi
Bronchiectasis: ब्रोन्किइक्टेसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें हमारे फेफड़ों की ब्रोन्कियल ट्यूब्स (bronchial tubes) स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त, चौड़ी और मोटी हो जाती हैं। इन क्षतिग्रस्त के कारण फेफड़ों में बैक्टीरिया और बलगम का निर्माण होता है और यह इन्फेक्शन या एयरवेज में ब्लॉकेज का कारण बनते हैं।
what are the symptoms: इससे हमें सांस लेने में भी परेशानी होती है। इससे ग्रस्त लोगों का बलगम अक्सर हरा / पीला होता है
न्यूमोथोरैक्स | Pneumothorax in Hindi
Pneumothorax: न्यूमोथोरैक्स संकुचित फेफड़ों को कहते हैं। यह तब होता है जब आपके फेफड़ों और छाती की दीवार के बीच में हवा लीक हो जाती है। यह छाती की दीवार में खुली चोट या आपके लंग्स के सेल्स में टूट फूट (बीमारी आदि से) के कारण होती है।
what are the symptoms: इसके लक्षणों में आम तौर पर सांस लेने में तकलीफ, सीने में अचानक तेज दर्द होना। कोरोना से संक्रमित रोगी में यह रोग काफी मात्रा में पाया जा रहा था।
सारकॉइडोसिस सूजन | Sarcoidosis Inflammation in Hindi
सारकॉइडोसिस कोशिकाओं में समस्याओं से संबंधित एक प्रकार का रोग है। यह वैसे तो शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन यह फेफड़े, लसिका ग्रंथि, आंखें व त्वचा मुख्य रूप से प्रभावित करता है।
सारकॉइडोसिस में प्रभावित हिस्से में सूजन युक्त कोशिकाएं एक साथ जमा हो जाती हैं और परिणामस्वरूप वहां पर गांठ बन जाती है। इसके होने का कारण अभी पूरी तरह पता नही लगाया गया है लेकिन ऐसा माना जाता है कि ये संक्रमण के कारण होता है।
what are the symptoms: कुछ लोग कोई भी लक्षण विकसित नहीं होते हैं। हालांकि, जिन्हें तीव्र सारकॉइडोसिस है, उन्हें निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है-
- खांसी, बुखार।
- रात में अत्यधिक पसीना आना।
- थकान, वजन घटना।
एक्सट्रिंसिक एलर्जिक एल्वोलिटिस | Extrinsic allergic alveolitis in Hindi
Extrinsic allergic alveolitis: कुछ लोगो में धूल, धुंए या खास रसायन से एलर्जी की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप फेफड़ों के ऊतकों की सूजन हो जाती है। इस स्थिति को एक्सट्रिनिसिक एलर्जिक एल्वोलिटिस के रूप में जाना जाता है।
what are the symptoms: इसके लक्षणो में खांसी, सांसों की कमी और बुखार शामिल है।