कुटकी (Panicum antidotale)
कुटकी का वैज्ञानिक नाम पनिकम अन्तीदोटेल (Panicum antidotale) है। यह मुख्य रूप से पंजाब, गंगा के मैदान तथा हिमालय में पाई जाती है। कुटकी अपने औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाता है। इसलिए आजके इस लेख में हम कुटकी के औषधीय गुण और प्रयोग के बारे में जानेंगे…
Kutki image, Benefits, uses & Side Effects in Hindi
कुटकी का विभिन्न भाषाओं में नाम (Kutki Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Picrorhiza kurrooa |
अंग्रेज़ी नाम | Picrorhiza root (पिक्रोराइजा रूट) हेल्लेबोर (Hellebore) |
हिंदी नाम | कुटकी, कटुकी, कटुका |
गुजराती | बालकाडू (Balkadu), काडू (Kadu) |
मराठी | केदारकडू (Kedarkadu), काली कुटकी (Kali kutaki), कुटकी (Kutaki) |
मलयालम | कटुखुरोहणी (Katukhurohani) |
कन्नड़ | कटुकरोहिणी (Katukrohini) |
असमिया | कटकी (Katki), कुटकी (Kutaki) |
नेपाली | कुटकी (Kutaki) |
बंगाली | कटकी (Katki), कुरू (Kuru) |
तेलगू | कटुकरोगनी (Katukrogani), कटुक्कुरोहिनी (Kattukurohini) |
तमिल | कादुगुरोहिणी (Kadugurohini), कटुकुरोगनी (Katukurogini) |
कुटकी के विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Kutki in various diseases in Hindi)
फैटी लीवर: 2-3 ग्राम कटुका की जड़ के चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार, तीन महीने तक लेने से फैटी लिवर (स्पअमत) में आये परिवर्तनों को पुनः ठीक करता है।
श्वसन नली संक्रमण: कटुका की जड़ के 1 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर दिन में 4-5 बार चाटें। यह विशेषतौर से बच्चों में ऊपरी श्वसन नली संक्रमण और कफ की अधिकता जैसी स्थिति में गुणकारी है।
ईओसिनोफीलिया: 2 ग्राम कटुका चूर्ण को 100 मि.ली. पानी में एक चौथाई मात्रा होने तक उबालें यह काढ़ा ज्वर, ईओसिनोफीलिया (Eosinophilia) तथा सर्दी में लाभदायक है। शहद अथवा गुड़ को सह औषधि के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है
हायपरलिपिडिमिया: कटुका तथा हल्दी चूर्ण को समान मात्रा में अच्छी तरह मिलाकर 3 ग्राम मात्रा गुनगुने पानी के साथ दिन में दो बार लेने से हायपरलिपिडिमिया के उपचार बहुत प्रभावी पाया गया है।