Kidney Disease: किडनी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याएं

kidney Disease: गुर्दे संबंधी कई प्रकार के रोगों के समूह को किडनी की बीमारी कहा जाता है। जब किडनी किसी कारण से क्षतिग्रस्त हो जाती है, या ठीक तरीके से काम नहीं कर पाती, तो इस स्थिति को किडनी की बीमारी कहा जाता है।

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किडनी से संबंधित बीमारियों की सूची | List of kidney diseases in Hindi

हम जानते है कि हमारा उत्सर्जन तंत्र (Excretory system) किडनी और ब्लैडर से सम्बंधित होता है। किडनी या गुर्दे दो बीन्स के आकार के अंग होते हैं जो रक्त से विषाक्त पदार्थों को छानने में मदद करते हैं और रक्त में समग्र तरल और खनिज संतुलन बनाए रखने में सहायता प्रदान करते हैं।

यदि आपको डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या परिवार में पहले किसी को किडनी संबंधी बीमारी हैं, तो आपको किडनी संबंधी रोग होने की संभावनाएं ज्यादा हैं। यदि समय रहते इनका इलाज ना किया जाए तो यह घातक भी हो सकती है। विभिन्न प्रकार की किडनी संबंधी बीमारी निम्न है-

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम | Nephritic syndrome in Hindi

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम (Nephritic syndrome) एक आम किडनी की बीमारी है। पेशाब में प्रोटीन का जाना, रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं।

किडनी शरीर में छन्नी का काम करती है। नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन भी पेशाब के साथ निकल जाता है, जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है।

इस बीमारी में किडनी के स्थान पर दर्द होता है, जो नीचे की तरह जाँघों में जाता प्रतीत होता है। मूत्र थोड़ा-थोड़ा और बार-बार कष्ट के साथ आता है जो दुर्गन्धयुक्त होता है। यह कई प्रकार के होते और मुख्यतः बच्चों में देखा जाता है।

रक्त में यूरिया बढ़ना (यूरीमिया) | Uremia in Hindi

जब रक्त में यूरिया नामक अपशिष्ट की मात्रा बढ़ जाती है तो उस स्थिति को यूरीमिया (Uremia) कहा जाता है।

रक्त यूरिया नाइट्रोजन (Blood urea nitrogen) एक सामान्य अपशिष्ट उत्पाद है जो भोजन के चपचाय के दौरान बनता है। दरअसल, हमारा लीवर भोजन से प्रोटीन को तोड़कर अलग कर देता है। ऐसा करते समय, यह ब्लड यूरिया नाइट्रोजन बनाता है, जिसे बन (BUN) कहा जाता है।

इसके बाद इस BUN को लीवर रक्त में छोड़ देता है जिससे वह किडनी में जाकर पेशाब के माध्यम से शरीर के बाहर निकल जाता है। लेकिन आपके गुर्दे स्वस्थ नहीं होते हैं, किडनी रक्त यूरिया नाइट्रोजन, BUN को बाहर नहीं निकाल पाएँगी और यह रक्त में ही रह जाएगा।

डिहाइड्रेशन, प्यास अधिक लगना, सिरदर्द, थकान, चक्कर, पेट में दर्द आदि रक्त में यूरिया की मात्रा ज्यादा होने के लक्षण हैं। लंबे समय तक यूरिया के रक्त में बने रहने से किडनी डैमेज हो सकती है।

गुर्दे की पथरी | Renal Calculus or stones in Hindi

गुर्दे की पथरी (Kidney stone) को नेफ्रोलिथिआरीस (Nephrolithiaris) भी कहते है। गुर्दे की पथरी एक क्रिस्टलीय खनिज पदार्थ है जो गुर्दे या मूत्र पथ में कही भी हो सकती है।

पथरी कैसे बनता है– यूरीन में मौजूद कैमिकल यूरिक एसिड, फॉस्फोरस, कैल्शियम, ऑक्जालिक एसिड मिलकर पथरी बना देते है। अहार में ऐसे रोगियों को कैल्शियम वाले पदार्थ नहीं देना चाहिए।

एक छोटा पत्थर बिना लक्षण के मूत्र के साथ बाहर निकल जाता है। लेकिन अगर पथरी 5 mm से ज्यादा का हो तो यह मूत्रमार्ग में रुकावट पैदा करता है, जिससे परिणामस्वरूप दर्द और उल्टी जैसे लक्षण उत्पन्न होते है।

जब पथरी किडनी से निकलकर यूरेटर में जाने लगती है तो उस समय काफी पीड़ा और दर्द होता है। इन दिनों यूरेटर में पथरी के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं।

डाइलिसिस | Dialysis in Hindi

जब गुर्दे नियमित शरीर के कामकाज को नहीं कर पाते। और गुर्दे की विफलता अंतिम चरण में पहुँच जाती है। तब डायलिसिस की जरूरत पड़ती है।

जब हमारी किडनी बेकार पदार्थों को छानकर शरीर से बाहर निकालने की क्षमता खो देती है या कम होती है, तो विशेषज्ञ डायलिसिस की सलाह दे सकता है।

डायलसिस (Dialysis) का अर्थ है वरण करने वाली पारगम्य झिल्ली के माध्यम से बड़े और छोटे कणों को अलग करना। अनेक किडनी रोगों में रक्त डाइलिसिस की आवश्यकता होती है। आमतौर पर डायलिसिस दो प्रकार की होती है-

  1. पेरिटोनियल डायलिसिस (Peritoneal Dialysis)
  2. हीमोडायलिसिस (Hemodialysis)

आपके मामले में कौन सी डायलिसिस की जरूरत है यह विशेषज्ञ आपकी स्वास्थ्य स्थिति, रोग की गंभीरता को देखकर तय करता है।

हीमोडायलिसिस- हीमोडायलिसिस कृत्रिम रक्त शोधन करने के लिए एक विकल्प है। इसमें मरीज का खून शरीर के बाहर निकालकर नकली फिल्टरयुक्त एक डायलिसिस सर्किट से गुजारा जाता है। ये फिल्टर अपशिष्ट पदार्थों को निकालकर रक्त को वापस शरीर में पहुंचाने का कार्य करता है।

पेरिटोनियल डायलिसिस- पेरिटोनियल डायलिसिस होम (घर) डायलिसिस का एक प्रकार है। इस प्रक्रिया को अस्पताल में प्रारंभिक प्रशिक्षण लेने के बाद, घर पर ही पूरा किया जा सकता है।

पेरिटोनियल डायलिसिस में एक खास तरह का तरल पदार्थ जिसे डायलीसेट कहते हैं उसे कैथेटर के माध्यम से पेट के निचले हिस्से में डाला जाता है। डायलेसेट शरीर से अतिरिक्त अपशिष्ट उत्पादों को पेट से सोख लेता है। उसके बाद डायलिसेट को पेट से बाहर निकाल लिया जाता है।

सिस्टाइटिस | Cystitis in Hindi

सिस्टाइटिस (Cystitis) एक ऐसा रोग है जिसमें मूत्राशय (Bladder) में सूजन, असहन्य दर्द, जलन, बार- बार मूत्र आना, अकड़न, भार का प्रतीत होना तथा अंगों में शीत एवं कंपकंपी आदि लक्षण प्रकट हैं।

ज्यादातर मूत्राशय में सूजन व जलन की समस्या बैक्टीरियल इन्फेक्शन (UTI) के कारण होती है। यदि यह संक्रमण मूत्राशय से किडनी तक फैल जाए तो यह एक गंभीर समस्या बन जाती है।

गुर्दा निश्कार्यता | Kidney failure in Hindi

किडनी खराब होने की स्थिति को मेडिकल भाषा में एक्यूट किडनी फेलियर के नाम से जाना जाता है। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे अधिक रक्तदाब, मधुमेह, आघात (चोट), बैक्टीरिया द्वारा संक्रमण या किसी विषाणु (टोक्सिन) का प्रभाव आदि।

यदि केवल एक गुर्दा बेकार हो गया तो व्यक्ति का काम केवल दुसरे गुर्दे से ठीक-ठीक चलता रहता है। अन्यथा गुर्दे का प्रत्यारोपण ही विकल्प बचता है। गुर्दे का प्रत्यारोपण दो तरीके से

  1. किसी संबंधी द्वारा किडनी दान।
  2. मनुष्य के मृत्योपरान्त स्वीकृति से प्राप्त गुर्दे का प्रत्यारोपण।

निष्कर्ष- किडनी मनुष्य का तीसरा प्रमुख अंग होता है। अगर आप किडनी में किसी तरह की अनियमियता का अनुभव हो तो तुरंत उपचार करवाए। क्योंकि किडनी की समस्या को हल्के में लेने से शरीर के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

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