कौंच (Velvet bean)
कौंच या केवांच एक लता है। सधारान सा दिखने वाला यह पौधा आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इसलिए आजके इस लेख में कौंच के औषधीय गुण और उपयोग के बार में बता रहे है..
कौंच का विभिन्न भाषाओं में नाम (Kauncha Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Mucuna pruriens |
अंग्रेज़ी | हॉर्स आई बीन (Horse eye bean), वेल्वट बीन (Velvet bean), काउहेज (Cowhage), Common Cow itch (कॉमन कॉउ इच) |
हिंदी | केवाँच, कौंच, कौंछ, केवाछ, खुजनी |
संस्कृत | कपिकच्छू, आत्मगुप्ता, मर्कटी, अजहा, कण्डुरा, प्रावृषायणी, शूकशिम्बी, वृष्या, कच्छुरा, व्यङ्गा, दुस्पर्शा |
गुजराती | कवच (Kavatch), कौंचा (Kauncha) |
मराठी | खाज कुहिली (Khaz kuhili), कुहिली (Kuhili), कवच (Kavacha) |
बंगाली | अकोलशी (Akolshi), अलकुशा (Alkusha) |
कन्नड़ | नासुगन्नी (Nassuganni) |
तेलगू | पिल्लीयाडगु (Pilliyadagu) |
ओडिया | कचु (Kachu), अलोकुशी (Alokushi) |
तमिल | पुनैईककल्लि (Punaikkali) |
मलयालम | नेक्कुरन (Neckuran) |
नेपाली | काउसो (Kauso) |
कौंच के विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Velvet bean in various diseases in Hindi)
इस पौधे में प्राकृतिक डोपामाइन होता है। यह उच्चतम प्रबल कामोद्दीपक भी होता है। यह यौन इच्छा को बढाने, कामेच्छा में कमी, शुक्राणुओं की संख्या तथा वीर्य की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है।
कामोत्तेजक: रात को 2 माह तक – रात में बिस्तर पर जाने से पहले 100 मि०ली० गन्ने के रस के साथ 3-5 ग्राम बीजों का चूर्ण लेना एक बहुत ही शक्तिशाली कामोत्तेजक होता है।
सियाटिका: 200 मि०ली० पानी में 5 ग्राम जड़ का चूर्ण को 50 मि०ली ० होने तक उबालें। सियाटिका में एक माह तक प्रतिदिन दो बार यह छना हुआ काढ़ा लें ।
गुर्दे के रोग: कपीकचू, शतावरी और गोक्षूरा चूर्ण को बराबर मात्रा में लें। 200 मिली० पानी में 10 ग्राम मिश्रण को 50 मि०ली० होने तक उबालें । गुर्दों की समस्याओं के लिए यह काढ़ा प्रतिदिन दिन में दो बार पीयें।
पार्किन्सन: धीमी आँच पर 5 ग्राम कपीकचू चूर्णम को 5-10 मिनट के लिए दूध में पकाएं। इस में चीनी तथा एक चम्मच घी मिलाकर एक दिन में दो बार लेने से पार्किन्सन की बीमारी तथा पुरुष बांझपन के इलाज के लिए प्रयोग होता है।