कचनार (Mountain Ebony)
कचनार, एक सुंदर फूलों वाला वृक्ष है। जिसके वृक्ष भारतवर्ष में सर्वत्र पाए जाते हैं। कचनार अपने औषधीय गुणों के कारण भी जाना जाता है, इसलिए आजके इस लेख में हम आपको कचनार के औषधीय गुण और प्रयोग के बारे में बता रहे है…

कचनार का विभिन्न भाषाओं में नाम (Mountain Ebony Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Bauhinia variegata |
अंग्रेज़ी नाम | Mountain Ebony |
हिंदी नाम | कचनार (Kachnar), कञ्चनार,कचनाल, गोरिआल |
संस्कृत | काञ्चनार, का ञ्चनक, गण्डारि, शोणपुष्पक, युग्मपत्रक, स्वल्पकेसरी, गण्डारी |
गुजराती | चम्पाकाटी (Champakati), काञ्चनार |
मराठी | रक्त काञ्चन (Rakta-kanchan), कोरल (Koral), काञ्चन (Kanchan) |
ओडिया | बोरोडा (Boroda), कॉन्जोनी (Kanjoni) |
नेपाली | कोईरालो (Koiralo), ताकी (Taki) |
मलयालम | चुवन्नमंदरम् (Chuvannamandaram) |
कन्नड़ | केंपुमन्दरा (Kempumandara), देवकन्यानमु (Devkanyanamu) |
बंगाली | रक्तका ञ्चन (Raktakanchan), काञ्चन (Kanchan) |
तेलगू | देवकाञ्चनमु (Devakanchanamu) |
तमिल | सिगप्पुमुन्दरई (Segappumundarai) |
कचनार का आयुर्वेदिक और यूनानी गुणधर्म (Ayurvedic & Unani Properties of Kachnar in Hindi)
लीवर में वृद्धि: 10-20 मि०ली० पत्ते के रस को दिन में दो बार प्रयोग करने से, यकृत के आकार में हुई वृद्धि को घटाता है।
हार्मोन असंतुलन: 200 मि.ली. पानी में 20 ग्राम छाल को तब तक उबालते है जबतक यह घटकर 50 मि.ली. रह जाए। इसे पीने से हार्मोनल अंसतुलन के इलाज में के उपयोगी सिद्ध होता है।