Hormonal Weight Gain: हार्मोनल बैलेंसिंग थेरेपी से वजन कैसे कम करें?
क्या आप लंबे समय से वजन कम करने की कोशिश में जुटी हुई हैं?
- ‘हार्मोनल वैलेंसिंग’ थेरेपी वजन कम करने का एक प्रभावशाली तरीका है।
- वजन कम करने के लिए जितना जरूरी खान-पान औऱ एक्सरसाइस है, उतना ही जरूरी हार्मोन्स का संतुलित होना भी है।
- अगर डायटिंग और एक्सरसाइज करने के बाद भी आपका मोटापा कम नही हो रहा तो इसके लिए शरीर के हार्मोन्स जिम्मेदार हो सकते हैं।
- पुरुषों की तुलना में महिलाएं हार्मोनल असंतुलन के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं।
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हार्मोनल बैलेंसिंग थेरेपी क्या है? (What Is Hormonal Weight Gain?)
हमारे शरीर में करीब 600 हार्मोन होते हैं, जिनमें से इंसुलिन, थायरॉइड, कोर्टिसोल और ऐस्ट्रोजेन हारर्मोन प्रमुख रूप से वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं। इनमें से किसी एक का भी असंतुलन शरीर के तालमेल को बिगाड़ सकता है।
अगर हमें यह पता लग जाए कि आपके शरीर में कौन सा हार्मोन असंतुलित है तो वजन को आसानी से कंट्रोल किया जाता सकता है।
हार्मोनल असंतुलन भी होता है वजन बढ़ने के लिए ज़िम्मेदार
HORMONES AND WEIGHT GAIN- मोटापा बढ़ने के पीछे कई हार्मोन्स जिम्मेदार होते हैं। महिलाओं को अपने जीवन की अनेक स्टेज में हार्मोनल इंबैलेंस से गुजरना पड़ता है। इसलिए यह समस्या पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में अधिक पायी जाती है।
महामारी, प्रेग्नेंसी और मेनोपॉज आदि का शरीर के मेटाबॉलिज्म पर सीधा प्रभाव पड़ता है। जिसकी वजह से वजन बढ़ने लगता है। आप मोटापा घटाने के लिए आप चाहे जितनी डायटिंग या एक्सरसाइज कर लें, मगर जब तक आप अपने हार्मोन्स को संतुलित नहीं करेंगी तब तक आपको शत प्रतिशत रिजल्ट्स नहीं मिलेंगे।
लेकिन क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि कौन सा हार्मोन वजन को प्रभावित करते है? तो आइये जानते हैं कि कौन से हार्मोन्स महिलाओं में वजन बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं –
इंसुलिन (Insulin)
अग्न्याशय में हार्मोन इंसुलिन का उत्पादन बीटा कोशिकाओं (Beta Cells) द्वारा किया जाता है। इंसुलिन शरीर में फैट और कार्बोहाइड्रेट के रेगुलेशन के लिए जिम्मेदार होता है।
इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज ले जाने में भी मदद करता है जिसे एनर्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। रक्त में इंसुलिन का उच्च स्तर वजन बढ़ाने और टाइप 2 डायबिटीज की समस्या पैदा करता है।
टिप्स- रक्त में इन्सुलिन को कंट्रोल करने के लिए चीनी, शराब और अनहेल्दी चीजों को खाने से बचना चाहिए।
थायराइड (Thyroid)
थायरॉइड ग्रंथि तीन हार्मोन का उत्पादन करती है: टी 3, टी 4 और कैल्सीटोनिन। इसके अलावा यह हमारे शरीर के मेटाबॉलिज्म, नींद, हार्ट रेट, ग्रोथ और ब्रेन को डेवलेप करने का कार्य भी नियंत्रित करता है।
यदि थायराइड इन हार्मोन का सही मात्रा में उत्पादन नहीं करता है तो हाइपोथायरायडिज्म हो जाता है। हाइपोथायरायड कब्ज, थकान, अवसाद और अन्य लक्षणों से जुड़ा होता है। ये वजन बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार है क्योंकि हार्मोन की कमी के कारण आपका मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है
कोर्टिसोल (Cortisol Hormone)
कोर्टिसोल, स्टेरॉयड हॉर्मोन्स में से एक है। एड्रेनल ग्लैंड द्वारा इस हार्मोन (Hormone) का निर्माण होता है। शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में कोर्टिसोल रिसेप्टर्स होते हैं।
यह मुख्य रूप से तब सिक्रीट होता है जब हम स्ट्रेस, डिप्रेशन, गुस्से या शारीरिक रूप से घायल होते हैं। इसलिए इसे ‘स्ट्रेस हार्मोन’ भी कहा जाता है। कोर्टिसोल के उच्च स्तर के कारण भूख में वृद्धि होती है जो कि वजन बढ़ने का कारण है।
टिप्स- तनाव को ध्यान और व्यायाम के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।
प्रोजेस्टेरोन हार्मोन (Progesterone Hormone)
प्रोजेस्टेरोन, एक फीमेल सेक्स हार्मोन है। इसे ‘प्रेग्नेंसी हार्मोन’ भी कहा जाता है क्योंकि यह हार्मोन महिला को गर्भवती होने और भ्रूण के विकास, दोनों के लिए जरूरी है।
इसकी कमी से महिलाओं को ना सिर्फ प्रेग्नेंसी में दिक्कत होती है बल्कि यह गर्भपात, डिप्रेशन, इंफर्टीलिटी और वजन बढ़ना जैसी समस्याएं भी पैदा कर सकता है।
टेस्टोस्टेरोन (Testosterone)
यह हार्मोन मुख्यतः पुरुष से सम्बंधित है। ये हार्मोन महिलाओं में भी पाया जाता है लेकिन महिलाओं में टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन पुरुषों की तुलना में काफी कम मात्रा में होता है।
महिलाओं में अंडाशय इस हार्मोन का उत्पादन करते हैं। यह हार्मोन फैट को जलाने में मदद करता है, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है।बढ़ती उम्र, लाइफ स्टाइल, तनाव आदि टेस्टोस्टेरोन के लेवल को कम कर सकते हैं। जिससे आप मोटापे का शिकार बन सकते है।
टिप्स- टेस्टोस्टेरोन के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए आपको रोजाना एक्सरसाइज करनी चाहिए। साथ ही फाइबर युक्त भोजन खाना चाहिए।
एस्ट्रोजन हार्मोन (Estrogen Hormone)
एस्ट्रोजन फीमेल सेक्स हार्मोन होता है। अगर आपके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बहुत अधिक या बहुत कम है तो इसकी वजह से भी वजन बढ़ने लगता है।
शरीर में एस्ट्रोजन के उच्च स्तर से इंसुलिन रसिस्टेंस और ब्लड शुगर लेवल बढ़ कर वजन बढ़ सकता है। इसी प्रकार रजोनिवृत्ति के दौरान, एस्ट्रोजन का स्तर गिर जाता है जिसके कारण वजन बढ़ता है, विशेष रूप से पेट के आसपास।
ऊपर बताये गए सभी हार्मोन किसी न किसी रूप से वजन बढ़ाने के जिम्मेदार हैं। हार्मोनल असंतुलन के लक्षणों को पहचानकर आप समय रहते अपने वजन को नियंत्रित कर सकते है।
अपने शरीर में होने वाले परिवर्तनों से अवगत रहें। यदि आपको संदेह है कि आपके शरीर में हार्मोन का असंतुलि हो रहा है तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।