Hernia: हर्निया के लक्षण, कारण और उपचार
हर्निया (Hernia) आमतौर पर पेट में होता है लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभी और कमर के आस-पास भी हो सकता है। आज इस बीमारी से लोग तेजी से ग्रसित हो रहे हैं। ऐसे में इस बीमारी को बिलकुल भी हलके में न लें।
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हर्निया क्या है? (What is Hernia)
मानव शरीर के कुछ अंग शरीर के अंदर खोखले स्थानों में स्थित है। इन खोखले स्थानों को “देहगुहा” (body cavity) कहते हैं। देहगुहा चमड़े की झिल्ली से ढकी रहती है। इन गुहाओं की झिल्लियाँ कभी-कभी मसल्स के कमजोर होने से या वहां लगातार प्रेशर पड़ने से फट जाती हैं और उस अंग का कुछ भाग उभरकर बाहर आने लगता है। ऐसी विकृति को हर्निया (Hernia) कहते हैं।
हार्निया आमतौर पर पेट में होता है लेकिन यह जांघ के ऊपरी हिस्से, नाभी और कमर के आस-पास भी हो सकता है। हर्निया अधिकांश शीघ्र घातक नही होता, मरीज आराम से अपना परीक्षण और उपचार करवा सकता है।
कब होती है एमरजेंसी? हर्निया के उभरने पर उसमें मौजूद रक्तवाहिकाओं पर दबाव पड़ता है, जिससे हर्निया में खून की सप्लाई रुक सकती है। अगर पेट की अंदरूनी परत में हर्निया से खून की सप्लाई रुक जाती है, तो यह एक आपातकालीन स्थिति हो सकती है क्योंकि ऊतक को खून के माध्यम से मिलने वाली ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। ऐसे में हर्निया के नुकसान होने से बचने के लिए शीघ्र ही ऑपरेशन करवाने की आवश्यकता होती है।
हर्निया किसी भी उम्र या जेंडर को हो सकता है– हर्निया ऐसी बीमारी है जो किसी भी उम्र और जेंडर के व्यक्ति को हो सकती है। लेकिन यह बीमारी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिक होती देखी गयी है।
हर्निया के प्रकार (Types of Hernia In Hindi)
हर्निया का निकलने वाले अंगों के अनुसार इसका वर्गीकरण किया गया है। सामान्यत: हर्निया के तीन प्रकार होते हैं-
- वेक्षण हर्निया (इंग्वाइनल हर्निया),
- नाभि हर्निया (अंबिलाइकल) तथा
- जघनास्थिक हर्निया (फीमोरल हर्निया)।
हर्निया का क्या लक्षण है? (Hernia Symptom in Hindi)
कई बार ऐसा हो सकता है कि आपको हर्निया का कोई लक्षण ही न हो, ऐसा भी हो सकता है कि आपको ज्यादा या कम दर्द हो।
हर्निया का दर्द आपको आराम करते समय या कुछ खास गतिविधियों के दौरान भी हो सकता है, जैसे चलने या दौड़ने पर।
हर्निया होने के क्या कारण है? (What is the main cause of hernia?
शरीर के किसी भी हिस्से की मसल्स के कमजोर होने और वहां लगातार प्रेशर पड़ने की वजह से हर्निया होता है। हर्निया होने के कुछ प्रमुख कारण निम्न है-
- ज्यादा मोटापा बढ़ने पर मसल्स के बीच में फैट जमा हो जाता है। इस से मसल्स पर प्रैशर पड़ता है और वे 2 हिस्सों में बंट जाती हैं।
- बहुत ज्यादा वजन उठाने वाले अथवा अधिक सीढ़ियां चढ़ते उतरते हैं, उन में हर्निया के चांस बढ़ जाते हैं।
- 60 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों में इस के पनपने की आशंका ज्यादा होती है।
- पेट के ऑपरेशन में टांके लगाए जाते हैं, इससे भी हर्निया हो सकता है।
- लंबे समय तक खांसी रहने पर भी हर्निया हो सकता है, क्योंकि खांसी से पेट पर दबाव पड़ता है।
- पेशाब करने में दिक्कत या रुकावट होने पर भी हर्निया की आशंका बढ़ जाती है।
- प्रैग्नेंसी में पोषक तत्वों की कमी के कारण मसल्स कमजोर हो जाते हैं, इस से भी हर्निया हो सकता है।
- कई बार हर्निया की समस्या जन्म से ही होती है. उसे जन्मजात का हर्निया कहते हैं।
हर्निया न हो इसके लिए क्या करें? (How to prevent hernia?)
हर्निया से बचाव के लिए निम्न बातों का ध्यान रखें-
- वजन नियंत्रित रखें।
- स्वस्थ आहार का सेवन करें और नियमित व्यायाम करें।
- पेशाब करते वक्त ज्यादा जोर न दें.
- ज्यादा भारी वस्तु न उठाएं।
- बारबार खांसी आती है, तो डॉ को दिखाए।
हर्निया का परीक्षण (Diagnosis of Hernia in Hindi)
हर्नियां का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज से दर्द, उल्टी, मल्ती आदि लक्षण जानने की कोशिश करते है। शारीरिक परिक्षण के दौरान डॉक्टर पेट की कोमलता की जाँच करते है, जिससे हर्निया के नरम और कठोर होने का पता चल जाता है।
डॉक्टर विशेष परिस्थितियों में हर्निया का एक्स-रे जिसे हर्नियोग्राफी भी कहते है। या सीटी स्कैन की भी मदत ले सकते है। हालांकि ये क्लिनिकल स्थिती पर भी निर्भर करता है।
हर्निया का इलाज (Hernia Treatment in Hindi)
हर्निया एक ऐसी बीमारी है जिस का संपूर्ण और स्थायी इलाज केवल केवल सर्जरी के जरिए ही संभव है।
यदि हर्निया का इलाज समय पर नहीं किया गया, तो इससे हर्निया की समस्या बढ़ सकती है या शरीर के अन्य भाग में भी इसका असर पड़ सकता है ऐसी स्थिति में सर्जरी करने में जटिलता बड़ जाती है। कभी कभी आपातकालीन स्थिति में मरीज को कुछ घंटों के भीतर सर्जरी से गुजरना पड़ता है।
हर्निया के ऑपरेशन में क्या किया जाता है?- हर्निया की शल्यक्रिया का मूल उद्देश्य है हर्निया की थैली से उस में मौजूद पेट के अंगों को पेट में वापस धकेल कर थैली को निकाल देना और फिर उस अप्राकृतिक मार्ग को, जिस के द्वारा हर्निया की थैली बाहर आती थी, बंद कर देना है ताकि उन अंगों के पुनः सतह पर आने की कोई गुंजाइश न रहे।
आधुनिक लैप्रोस्कोपिक तकनीक- ‘लेप्रोस्कोपिक सर्जरी’ पारंपरिक सामान्य सर्जरी की तुलना में एक मिनिमली इन्वेसिव प्रक्रिया है। इस सर्जरी में 2-3 इंच पेट की चीरा के बजाय केवल एक ¼ -1/2 इंच चीरा की आवश्यकता है।
यह सर्जरी एक छोटे से छेद के माध्यम से की जाती है। सर्जरी करने के लिए केवल 3 से 4 छोटे चीरों की आवश्यकता होती है। सर्जरी के बाद 24 घंटे के भीतर मरीज को घर जाने की अनुमति दी जाती है. मरीज इस सर्जरी के बाद जल्दी काम पर लौट सकता है।
यह एक सहज प्रक्रिया है जिस में मरीज को कोई तकलीफ नहीं होती। मरीज दो सप्ताह के भीतर ही पूर्णतया स्वस्थ हो अपनी सामान्य दिनचर्या शुरू कर सकता।
औपरेशन के बाद क्या सावधानी बरतें (precautions after Hernia surgery)
हर्निया के ऑपरेशन के बाद डॉ निम्न सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है-
- औपरेशन के बाद 3 माह तक भारी वजन न उठाएं।
- 6 से 7 दिन तक हलका खाना खाएं।
- पेट पर वजन पड़ने वाला कोई काम न करें।
यदि आपके शरीर में कहीं भी सूजन अथवा दर्द हो तो डाक्टर की सलाह अवश्य लें। समय रहते हर्निया का इलाज करवाने पर व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है।