गोखरू (Gokhru)
गोखरू (Gokhru) या ‘गोक्षुर’ भूमि पर फ़ैलने वाला छोटा प्रसरणशील क्षुप है जो कि आषाढ़ और श्रावण मास मे प्राय हर प्रकार की जमीन या खाली जमीन पर उग जाता है। पत्र खंडित और फूल पीले रंग के आते हैं, फल कंटक युक्त होते हैं, बाजार मे गोखरु के नाम से इसके बीज मिलते हैं। उत्तर भारत मे, हरियाणा, राजस्थान मे यह बहुत मिलता है।
गोखरू का विभिन्न भाषाओं में नाम (Gokhru Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Tribulus terrestris |
अंग्रेज़ी | Bindii, Caltrops Toot |
हिंदी | गोखरू |
संस्कृत | गोक्षुरक, त्रिकण्ट, स्वादुकण्टक, गोकण्टक, गोक्षुरक,वन शृङ्गाट, पलङकषा, श्वदंष्ट्रा, इक्षुगन्धिका, चणद्रुम |
बंगाली | गोक्षुर, गोखरी |
असमिया | गोक्षररू गुडुकंटा |
गुजराती | बेथा गोखरू, नाना गोखरु |
मराठी | सकाटे, गोखरू |
कन्नड़ | सन्ननागिलु, नेग्गिलमुल्लु |
मलयालम | नेरिंजिल |
ओडिया | गुखुरा, गोखयुरा |
तेलगू | पल्लरुलेरु |
पंजाबी | भखा, गोखा पल्लेरुलेरु तेलुगु |
तमिल | नेरिजिल, नेरुजिल |
गोखरू का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Gokhru in various Diseases in Hindi)
काम उत्तेजक: 5 ग्राम गोखरा पाउडर और 5 ग्राम अश्वगंधा पाउडर को 100 मि.ली. दूध में 50 मि.ली. होने तक उबालें। दस दिन के लिए दिन में 2 बार सेवन करें। गोखरु में सैपोनिनस रहता है, जो टेस्टोस्टेरोन के स्राव को उत्तेजित करता है और शुक्र जनन को प्रोत्साहित करता है।
यूरिक एसिड: 100 मि.ली. पानी में 10 ग्राम गोखरु के मोटे पाउडर को 25 मि.ली होने तक उबालें अथवा समान अनुपात में गोखरु, सूखी अदरक, मेथी और अश्वगंधा पाउडर के मिश्रण का प्रतिदिन दो बार नारियल पानी के साथ सेवन यूरिक एसिड को कम करता है और सुजन से राहत दिलाता हैं।
गंजापन: गोखरु और तिलफूल को समान अनुपात में शहद के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। सर के गंजे भागों में पेस्ट को लगाने से खोपड़ी को पोषित कर केश को फिर से बढ़ने में उत्तेजित करती है।