गिलोय (Tinospora Cordifolia)
गिलोय, एक बहुवर्षिय लगिलोय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है।
विभिन्न भाषाओं में गिलोय का नाम (Tinospora Cordifolia Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Tinospora cordifolia |
अंग्रेज़ी | इण्डियन टिनोस्पोरा (Indian tinospora), हार्ट लीव्ड टिनोस्पोरा (Heart leaved tinospora), मून सीड (Moon seed), गांचा टिनोस्पोरा (Gulancha tinospora); टिनोस्पोरा (Tinospora) |
हिंदी | गिलोय, गडुची, अमृता |
संस्कृत | वत्सादनी, छिन्नरुहा, गुडूची, तत्रिका, अमृता, मधुपर्णी, अमृतलता, छिन्ना, अमृतवल्ली, भिषक्प्रिया |
बंगाली | गुंचा (Gulancha), पालो गदंचा (Palo gandcha), गिलोय (Giloe) |
गुजराती | गुलवेल (Gulvel), गालो (Galo) |
मराठी | गुलवेल (Gulavel), अम्बरवेल (Ambarvel) |
कन्नड़ | अमृथावल्ली(Amrutavalli), अमृतवल्ली (Amritvalli), युगानीवल्ली (Yuganivalli), मधुपर्णी (Madhuparni) |
मलयालम | अमृतु (Amritu), पेयामृतम (Peyamrytam), चित्तामृतु (Chittamritu) |
नेपाली | गुर्जो (Gurjo) |
ओडिया | गुंचा (Gulancha), गुलोची (Gulochi) |
तमिल | अमृदवल्ली (Amridavalli), शिन्दिलकोडि (Shindilkodi) |
गिलोय का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Pomegranate in various Diseases)
ग्लूकोस: गिलोय के पूरे पौध को पीसा जाता है और इसका रस निकाला जाता है। प्रतिदिन 3 बार भोजन से पहले 10 मि.ली. रस ग्लूकोस के स्तर को नियंत्रित करने का एक प्रभावी उपाय है।
पिलाया: गिलोय पत्तियों के 10 ग्राम पेस्ट को छाछ के साथ दिन में दो बार एक सप्ताह पीने से पीलिया में आराम मिलता है।
बुखार: 100 मि.ली. पानी में 5 ग्राम गिलोए के तने को एक चौथाई होने तक उबालें। इस काढ़े को दिन में दो बार पीना बुखार दूर करने का एक प्रभावी उपाय है। इसके अच्छे परिणाम के लिए पारपतक, चंदन, सूखी अदरक, मुस्ठा का उपयोग काढ़े को तैयार करने के लिए किया जा सकता है।
जठर शोध: 5 ग्राम गिलोए तना, मुट्ठी भर नींबू पत्तियों, मुट्ठी भर कड़वा परवर पत्तियों को 100 मि.ली. पानी में पकाया जाता है और इसे एक चौथाई तक कम किया जाता है। इस काढ़े को शहद के साथ दिन में दो बार पीने से जठरशोथ से राहत मिलती है।
गठिया: गठिया की शिकायतों जैसे संधिशोथ के लिए रोजाना दो बार 20 मि.ली. गिलोए रस पीने का परामर्श दिया जाता है।