Epilepsy: मिर्गी के लक्षण, कारण और उपचार
Epilepsy Disease: अपस्मार या मिर्गी (Epilepsy) एक प्रमुख स्नायु रोग (न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर) है जिसके अन्तर्गत मस्तिष्क में पैदा होने बाली असामान्य ऊर्जा की वजह से रोगी को बार बार दौरे पड़ते है।
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- अपस्मार या मिर्गी (Epilepsy) एक न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है जिसमें रोगी को बार-बार दौरे पड़ते है।
- यह एक आम बीमारी है जो लगभग सौ लोगों में से एक को होती है।
- विश्व में पाँच करोड़ लोग और भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के रोगी हैं।
- लगभग एक प्रतिशत लोगों में ही ये रोग आनुवांशिक होता है।
- विश्व की कुल जनसँख्या के 8-10 प्रतिशत लोगों को अपने जीवनकाल में एक बार इसका दौरा पड़ने की संभावना रहती है।
- मिर्गी के प्रति जागरूक करने के लिए प्रत्येक वर्ष 8 फरवरी को विश्व मिर्गी दिवस और 17 नवम्बर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (भारत) का आयोजन किया जाता हैं।
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मिर्गी रोग क्या है ? | What is Epilepsy in Hindi
मिर्गी रोग को आयुर्वेद / संस्कृत में इसे ‘अपस्मार’ कहते हैं, जिसका अर्थ है- ‘स्मृति चली जाना’। एंग्लिश में इसे Epilepsy कहते है। इस शब्द का प्रादुर्भाव लैटिन शब्द Sucise से हुआ है जिसका अर्थ है- बेहोश होना।
हमारा मस्तिष्क शरीर का अत्याधिक जटिल एवं संवेदनशील अंग है। यह हमारे सभी कार्यकलापों का नियंत्रक एवं संचालक है। मस्तिष्क की कोशिकाएँ एक साथ मिलकर कार्य करती हैं और विद्युत संकेतों के माध्यम से परस्पर सम्पर्क करती रहती हैं।
कभी-कभी ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती हैं कि किसी कोशिका समूह से असाधारण मात्रा में विद्युत प्रवाह पैदा होता है, जिसकी परिणति दौरा पड़ने के रूप में होती है। दौरा किस तरह का है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मस्तिष्क के किस भाग से असाधारण विद्युत प्रवाह हुआ है।
मिर्गी होने के क्या कारण है | Epilepsy Causes in Hindi
मिर्गी रोग होने कर अनेक कारण हो सकते हैं, लेकिन अधिकांश मरीजों में कारण अज्ञात होता है। इस आधार पर मिर्गी को दो प्रमुख भागों में बांटा जा सकता है-
- प्राथमिक मिर्गी (Primary Epilepsy)
- द्वितियक मिर्गी (Secondary Epilepsy)
इस समूह में मिर्गी का कारण या तो ज्ञात नहीं होता था या मिर्गी का कारण अनुवांशिक होता है। यह पाया गया है कि यदि माता-पिता में किसी एक को मिर्गी है तो उनके होने वाली सन्तान में मिर्गी होने की संभावना 2.5 प्रतिशत होती है। यदि माता पिता दोनों को मिर्गी है तो इसकी संभावना 10 से 25 प्रतिशत तक बढ़ जाती है।
द्वितियक मिर्गी (Secondary Epilepsy)
वर्तमान में परीक्षणों एवं तथ्यों से मिर्गी के कारण ज्ञात किये गये हैं। उन्हें द्वितीयक मिर्गी कहते है। द्वितीयक मिर्गी के प्रमुख कारण निम्न है-
- सेरेब्रल पाल्सी (Celebral Palsy)
- सिर में चोट (Head Injury )
- जन्मजात विकृतियाँ (Congenital Malformations)
- मस्तिष्कीय गाँठ (Brain Tumor)
- मस्तिष्कीय संक्रमण (Brain Infection)
मिर्गी का परीक्षण | Diagnosis of Epilepsy in Hindi
अगर आपको संदेह है कि आपको मिर्गी का दौरा पड़ा है, तो अपने चिकित्सक को जल्द से जल्द दिखाएं। डॉक्टर आपके मेडिकल इतिहास, लक्षण के आधार पर टेस्ट निर्धारित करेंगे। आपकी शारीरिक क्षमताओं और मानसिक कार्यप्रणाली का परीक्षण करने के लिए आपकी न्यूरोलॉजिकल जाँच की जाएगी।
इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम (EEG): मिर्गी के परीक्षण में इलेक्ट्रोइन्सेफलोग्राम (Electroencephalogram) एक महत्वपूर्ण परीक्षण है क्योंकि यह मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करता है। यह सुरक्षित और दर्द रहित प्रक्रिया है।
इमेजिंग टेस्ट: ट्यूमर और अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए डॉक्टर CT Scan, MRI, Positron Emission tomography (PET) भी करवा सकते हैं।
मिर्गी का प्राथमिक उपचार | First aid for Epilepsy in Hindi
दौरा पड़ने की स्थिति में धैर्य के साथ काम लेना चाहिये तथा नीचे लिखे कुछ प्राथमिक उपचार को अपनाना चाहिए।
- मरीज को शुद्ध हवा आते रहना चाहिए, इसलिए आसपास भीड़ जमा न करें।
- रोगी के वस्त्रों को ढीला कर देना चाहिये। उसके बेल्ट, जूते तथा टाई भी उतार देना चाहिये।
- यदि रोगी को श्वास लेने में दिक्कत हो रही ही तो कृत्रिम श्वसन देना चाहिए।
- जब तक रोगी पूर्ण रूप से चेतनास्था में न आ जाए तब तक खाने पीने को कुछ नहीं देना चाहिए।
- दौरा पड़ने के दौरान जबड़े के मध्य में किसी साफ-सुथरे वस्तु को फंसा देना चाहिये। ताकि दांत से जीभ न कट जाएं।
- अगर दांत बुरी तरह से जकड़ गये हों तो जबरदस्ती किसी वस्तु को दांतों के मध्य रखने की कोशिश न करें। इससे दांत या मसूड़े में चोट लगने की संभावना रहती है।
- साधारणतया दौरा साधारणतया दो या तीन मिनट में अपने आप रुक जाता है। अगर रोगी होश में न आये और बार-बार दौरा पड़ने की आशंका हो तो बिना देर किए किसी चिकित्सक को बुलाना चाहिये।
- रोगी अगर बच्चा है तो उसे तुरन्त अस्पताल ले जाना चाहिये, क्योंकि ऐसे दौरा मेनिनजाइटिस में भी आ सकता है।
रोगी के मनोबल को बनाये रखने के लिए परिवार और मित्रों को रोगी के साथ साधारण व्यक्ति की तरह व्यवहार करना चाहिये। उनके व्यवहार से यह रोगी को कदापि नहीं होना चाहिये कि वह किसी रोग से ग्रसित है।