Clay Pot Water: मटके का पानी पीने के फायदे
गर्मी के मौसम में अधिकांश चीजों को ठंडी खाना या पीना पसंद करते हैं। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि मटके का पानी और फ्रिज के पानी में सबसे ज्यादा सेहतमंद कौन है? तो चलिये हम आपको बताते हैं कि मटके का पानी और फ्रिज के पानी को पीने के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं?
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मटके का पानी ठंडा क्यों होता है? (How does clay pot cool water?)
मटके के पानी का ठंडा होना वाष्पीकरण की क्रिया पर निर्भर करता है जितना ज्यादा वाष्पीकरण होगा, उतना ही ज्यादा पानी भी ठंडा होगा। मिट्टी के घड़े में सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जिनके माध्यम से घड़े का पानी बाहर निकलता रहता है। गर्मी के कारण पानी वाष्प बन कर उड़ जाता है। जिससे मटके का तापमान कम हो जाता है, फलस्वरूप पानी ठंडा रहता है।
मटके में पानी पीने के फायदे
प्रतिरक्षा तंत्र (इम्यूनिटी) की मजबूती बढ़ायें (Immunity Booster)
मटके का पानी पीने से रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ावा मिलता है शोध से यह भी पता चला है कि घड़े के पानी का सेवन करने से शरीर में टेस्टोस्टेरेन का स्तर बढ़ जाता है। इसलिए घड़े में रखा पानी हमें स्वस्थ बनाए रखने में अहम् भूमिका निभाता है।
मिट्टी के घड़े का पानी सोखे विषैले पदार्थ (Matka Water Pots for Toxins in Hindi)
यमित रूप से मटके का पानी पीने से आपके शरीर में मिनल्स की कमी दूर होती है। मिट्टी में शुद्धि करने के गुण होते हैं। मटके में रखा पानी उसके विषाक्त पदार्थों को सोख लेता है। इससे पानी शुद्ध हो जाता है। इसे पीने के बाद आपको मिनरल वाटर की जरूरत नहीं पड़ेगी।
एसिडिटी से राहत दिलाये (Relieve Acidity)
हमारे रक्त की प्रकृति क्षारीय है मिट्टी में भी क्षारीय गुण विद्यमान होते हैं। क्षारीय पानी अम्लता साथ प्रभावित होकर, उचित पीएच संतुलन प्रदान करता है। इस पानी को पीने से एसिडिटी में लाभ मिलता है।
गले को ठीक रखें (Heal the Throat)
फ्रिज का ठंडा पानी हमारे गले एवं थायरायड व पैराथायरायड ग्रंथि पर दुष्प्रभाव डालता है। अधिक ठंडा पानी पीने से गले की कोशिकाओं का ताप अचानक गिर जाता है ग्रंथियों में सूजन आने लगती है फलस्वरूप शरीर की क्रियाओं का असंतुलन प्रारंभ हो जाता है। मटके का पानी हमें इन रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
वात दोष को संतुलित रखें (Earthen Water Pot for Vata Dosha in Hindi)
गर्मियो में लोग फ्रीज़ या बर्फ का पानी पीते हैं, लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है। यह वात भी बढ़ाता है। बर्फीला पानी पीने से अक्सर गला खराब रहता है। जबकि मटके का पानी हमें ठंडक की संतुष्टि तो देता है परन्तु वात रोगों को नहीं बढ़ाता। मटके के पानी से कब्ज, गला खराब होना आदि रोग नही होते हैं।
कब्ज से बचाए (Natural ways to relieve constipation)
बर्फ का पानी न सिर्फ हमारा गला खराब करता है बल्कि इसका प्रयोग पाचन संस्थान पर दुष्प्रभाव डालकर कब्ज एवं अन्य पाचन तंत्र के रोग उत्पन्न करता है जबकि मटके का पानी शीतलता तो प्रदान करता है पर कब्ज, गला खराब होना आदि रोग नहीं उत्पन्न करता।
घड़े का पानी रखें पीएच स्तर को संतुलित (Clay Pot for Balancing ph in Hindi)
मटके का पानी पीना से पीएच संतुलन सही रहता है। इसकी मिट्टी में क्षारीय गुण विद्यमान होते हैं। मिट्टी के क्षारीय तत्व और पानी के तत्व मिलकर उचित पीएच (PH) बेलेंस बनाते हैं। इस पानी को पीने से एसिडिटी पर अंकुश लगाने और पेट के दर्द से राहत में मदद मिलती है।
मटके का पानी ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित रखने में आपकी मदद करता है. यह बैड कॉलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करता है और हार्ट अटैक की संभावनाओं को भी कम कर देता है.
सावधानी (Precautions)
मटके के सूक्ष्म छिद्रों में विभिन्न बैक्टीरिया अपना घर बना लेते हैं। इसलिए प्रतिदिन मटके को गर्म पानी से अच्छी तरह से धोकर पानी भरना चाहिए।