चित्रक (Leadwort)
चित्रक एक सीधा और लंबे समय तक हरा-भरा रहने वाला पौधा है। इसका तना कठोर, फैला हुआ, गोलाकार, सीधा तथा रोमरहित होता है। इसके पत्ते लगभग 3.8-7.5 सेमी तक लम्बे एवं 2.2-3.8 सेमी तक चौड़े होते हैं। इसके फूल नीले-बैंगनी अथवा हल्के सफेद रंग के होते हैं। चित्रक का पौधा देखने में भले ही साधारण-सा लगता है, लेकिन यह बहुत ही उपयोगी होता है। आइए जानते है चित्रक के औषधीय गुण और उपयोग…
चित्रक या हरीतकी का विभिन्न भाषाओं में नाम (Chitrak Called in Different Languages)
वैज्ञानिक नाम | Terminalia chebula |
अंग्रेज़ी | Ceylon leadwort |
हिंदी | चित्रक हरीतकी चीत, चीता, चित्रक, चितरक |
संस्कृत | चित्रक, अग्नि, अग्निमाता, ऊषण, पाठी, वह्नि संज्ञा |
बंगाली | चिता (Chita), चित्रुक (Chitruk) |
गुजराती | चित्रो (Chitro), चित्रा (Chitra) |
मराठी | चित्रक (Chitraka), चित्तमूला (Chitramula) |
कन्नड़ | चित्रकमूल (Chitrakmoola), वाहिनी (Vaahini) |
मलयालम | वेल्लाकोटुवेरी (Vellakotuveri), कोटुबेलि (Kotubeli) |
ओडिया | चितामूला (Chitamula), चितापारू (Chitaparu) |
तेलगू | तेल्लाचित्रमूलामू (Tellachitramulamu), चित्रमूलमु (Chitramulamu) |
तमिल | चित्रकम (Chitrakam), कोदिवेली (Kodiveli) |
चित्रक या हरीतकी का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of chitrak in various diseases in Hindi)
बवासीर, सर्वाइकल लिम्फेडिनाईटिस: बवासीर, सर्वाइकल लिम्फेडिनाईटिस तथा उरुसंधीय लिम्फेडिनाईटिस के लिए चित्रक की जड़ तथा तिल के तेल के लेप का उपयोग किया जाता है।
तव्चा रोग: चित्रक तेल त्वचा के संक्रामक रोगों जैसे खुजली, फोड़े, व्रण, सूजन, तथा जोड़ों के दर्द में मददगार बाह्य उपचार है।
मोटापा: स्वास्थ्यकर भोजन लेते हुए 3 ग्राम चित्रक की जड़ शहद के साथ 3 महीने तक लेना मोटापा घटाने में उपयोगी होता है।