Child Malnutrition: कुपोषण कारण, निवारण और रोकथाम

child malnutrition

  • भारत मे प्रतिवर्ष 5 वर्ष तक के 9 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण से मर जाते है।
  • दुनिया के एक तिहाई से अधिक कुपोषित बच्चे भारत में रहते हैं।
  • बच्चों में अधिकांश रोगों की जड़ में कुपोषण ही होता है। सूखा रोग या रतौंधी और यहाँ तक कि अंधत्व भी कुपोषण के ही दुष्परिणाम हैं।

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कुपोषण क्या है? (What is Malnutrition)

शरीर के लिए आवश्यक सन्तुलित आहार लम्बे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं।

भारत मे प्रत्येक वर्ष कुपोषण से करीब 10 लाख बच्चे मर जाते है

एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है।

लड़कियों की मृत्यु दर अधिक – विश्वपटल पर भारत एक मात्र ऐसा बड़ा देश है जहाँ लड़कों की तुलना में लड़कियों की बाल-मृत्यु दर अधिक है। वैश्विक स्तर पर लड़कियों की तुलना में 7 प्रतिशत अधिक लड़कों की मृत्यु 5 वर्ष से कम आयु में ही हो जाती है  जबकि भारत में यह विपरीत पाया जाता है। यहाँ 5 वर्ष से कम आयु में 11 प्रतिशत से अधिक लड़कियों की मृत्यु हो जाती है।

यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, वर्ष 2017 में सबसे कम वजन वाले बच्चों की संख्या वाले देशों में भारत 10 वें स्थान पर था। इसके अलावा वर्ष 2019 में ‘द लैंसेट’ नामक पत्रिका द्वारा जारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि भारत में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की 1.04 मिलियन मौंतों में से तकरीबन दो-तिहाई की मृत्यु का कारण कुपोषण है। 

‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स चिल्ड्रन- 2019’ रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में 5 वर्ष तक की उम्र के प्रत्येक 3 बच्चों में से एक बच्चा कुपोषण की समस्या से ग्रस्त है। पूरे विश्व में लगभग 200 मिलियन तथा भारत में प्रत्येक दूसरा बच्चा कुपोषण के किसी-न-किसी रूप से ग्रस्त है।

कुपोषण के क्या कारण है? (What causes malnutrition?)

विकसित राष्ट्रों की अपेक्षा विकासशील देशों में कुपोषण की समस्या अधिक देखने को मिलती है। इसका प्रमुख कारण है गरीबी और शिक्षा का अभाव है।

धन के अभाव में गरीब लोग पर्याप्त पौष्टिक चीजें जैसे दूध, फल घी इत्यादि नहीं खरीद पाते। लेकिन गरीबी के साथ ही एक बड़ा कारण अज्ञानता तथा निरक्षरता भी है।

अज्ञानता के कारण अधिकांश लोगों में विशेषकर गाँव देहात में रहने वाले व्यक्तियों को सन्तुलित भोजन के बारे में जानकारी नहीं होती।

बड़ो को भी हो सकता है कुपोषण

ऐसा नहीं है कि देश में कुपोषण की समस्या केवल बच्चों के मध्य ही है, वर्ष 2017 के आँकड़ों पर गौर करें तो वयस्कों में देश की 23 प्रतिशत महिलाएँ और 20 प्रतिशत पुरुष कुपोषण का सामना कर रहे हैं।

किन लोगों को कुपोषण होने की सम्भवना रहती है

कुपोषण की पहचान शुरू में ही हो जानी चाहिए। क्योंकि कुपोषण का इलाज न किया जाए तो गम्भीर रोगों से ग्रसित हो सकते हैं और कई बार रोगी की जान भी जा सकती है। विशेषकर छोटे बच्चों (तीन वर्ष की आयु के) में तो कुपोषण खतरनाक होता है। अक्सर निम्न तरह की परिस्थितियों के कारण छोटे बच्चों में कुपोषण हो जाता है-

  1. बच्चा जन्म से पूर्व पैदा हुआ हो या वजन जन्म के समय सामान्य से कम हो।
  2. जब बच्चे जुड़वा पैदा होते हैं तो कोई एक या दोनों कुपोषित हो सकते हैं।
  3. जब माँ बच्चे को स्तनपान नहीं कराती या बच्चे को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिलता।
  4. बच्चों के जन्म में दो वर्ष से कम का अंतर हो।
  5. छह महीने की आयु से बच्चों को दूध के साथ हल्का आहार देना शुरू न किया गया हो।
  6. अगर बच्चा बार-बार बीमार रहता हो।
  7. बच्चे को माँ बाप का सान्निध्य न मिले अथवा माँ की मृत्यु हो जाए।
  8. परिवार में बच्चे अधिक हों और आय के स्रोत सीमित हों।

कुपोषण को कैसे पहचानें ? (How to recognize malnutrition)

यदि मानव शरीर को सन्तुलित आहार के जरूरी तत्व लम्बे समय न मिलें तो निम्नलिखित लक्षण दिखते हैं। जिनसे कुपोषण का पता लगाया जा सकता है-

  1. बच्चों में शरीर की वृद्धि रुकना।
  2. मांसपेशियों ढीली होना अथवा सिकुड़ जाना।
  3. झुर्रियों युक्त पीले रंग की त्वचा
  4. कार्य करने पर शीघ्र थकान आना।
  5. मन में उत्साह का अभाव और चिड़चिड़ापन तथा घबराहट होना।
  6. बाल रूखे और चमक रहित होना।
  7. चेहरा कान्तिहीन, आँखें धँसी हुई तथा उनके चारों ओर काला वृत्त बनना
  8. शरीर का वजन कम होना तथा कमजोरी
  9. नींद तथा पाचन क्रिया का गड़बड़ होना।
  10. हाथ पैर पतले और पेट बढ़ा होना या शरीर में सूजन आना (अक्सर बच्चों में)।

किसी व्यक्ति या बच्चे में उक्त लक्षणों में से एक या दो अधिक लक्षण दिखे तो डॉक्टर को दिखलाना चाहिए।

बच्चों में कुपोषण नापने के सरल साधन

छोटे बच्चों में ऊँचाई और वजन का माप कुपोषण पहचानने का सर्वोतम तरीका है। छोटे शिशुओं का वजन प्रत्येक माह लेना चाहिए और बड़े बच्चों का वजन 6 माह के अंतर से लेकर उसका मिलान नीचे दिए गए तालिका से पोषण या कुपोषण स्थिति पता लगा लेना चाहिए।

Age50th percentile weight for male babies50th percentile weight for female babies
Birth7.8 lbs. (3.5 kg)7.5 lbs. (3.4 kg)
0.5 months8.8 lbs. (4.0 kg)8.4 lbs. (3.8 kg)
1.5 months10.8 lbs. (4.9 kg)9.9 lbs. (4.5 kg)
2.5 months12.6 lbs. (5.7 kg)11.5 lbs. (5.2 kg)
3.5 months14.1 lbs. (6.4 kg)13 lbs. (5.9 kg)
4.5 months15.4 lbs. (7.0 kg)14.1 lbs. (6.4 kg)
5.5 months16.8 lbs. (7.6 kg)15.4 lbs. (7.0 kg)
6.5 months18 lbs. (8.2 kg)16.5 lbs. (7.5 kg)
7.5 months19 lbs. (8.6 kg)17.4 lbs. (7.9 kg)
8.5 months20.1 lbs. (9.1 kg)18.3 lbs. (8.3 kg)
9.5 months20.9 lbs. (9.5 kg)19.2 lbs. (8.7 kg)
10.5 months21.6 lbs. (9.8 kg)19.8 lbs. (9.0 kg)
11.5 months22.5 lbs. (10.2 kg)20.7 lbs. (9.4 kg)
12.5 months23.1 lbs. (10.5 kg)21.4 lbs. (9.7 kg)

 

एमयूएसी टेप क्या है? (What is MUAC Tape)

MUAC Tape

बच्चों में कुपोषण की पहचान के लिए एक विशेष तरह का फीता आता है। जिसे एमयूएसी टेप (MUAC Tape) कहते है। इस टेप में हरा, पीला और लाल रंग होता है और फीते का सिरा काला होता है। इस टेप से बच्चों में कुपोषण, अतिकुपोषण और सुपोषण का पता लगाया जाता है। कुपोषण का अन्दाजा लगाने की विधि निम्न है-

बच्चे के बाजू के मध्य भाग में इस टेप को लपेटते है। फिर वह देखते हैं कि फीते का काला सिरा किस रंग तक पहुंचा है।

  1. टेप के हरे रंग पर बच्चों में सुपोषण दर्शाता है।
  2. यदि बच्चे की बांह में टेप पीले रंग तक आता है तो उसमें कम कुपोषण होता है। ऐसे में बच्चों को अनुपूरक आहार देना चाहिए। आहार विशेषज्ञ से सलाह ले।
  3. टेप से मापने के दौरान यदि पैमाना लाल रंग में आता है तो इससे बच्चों में अतिकुपोषण की पुष्टि होती है। इसके ऐसे में बच्चे को डॉक्टर के पास इलाज के लिए भेजा जाता है।

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