काली मूसली (Black Musli)

मूसली (Musli) दो प्रकार की होती है, सफ़ेद मूसली (White Musli) और काली मूसली (Black Musli)। दोनों ही तरह की मूसली का प्रयोग औषधि प्रयोजन से किया जाता है। हम यहाँ आपको काली मूसली के औषधीय गुण और प्रयोग के बारे में बता रहे है…

Black Musli

काली मूसली का विभिन्न भाषाओं में नाम (Black Musli Called in Different Languages)

वैज्ञानिक नामCurculigo orchioides
अंग्रेज़ीblack Musli, Golden Eye Grass
हिंदीस्याह मूसली, काली मूशली, कृष्ण मूसली
संस्कृततालमूली, मूशली
गुजरातीकाली मूसली (Kalimusli)
मराठीकाली मूसली (Kalimusli)
बंगालीतालमूली (Talmuli), तालुसा (Talusa);
नेपालीकाली मुसली (Kali musali);
कन्नड़ नेलततीगड्डे (Nelatatigadde), नेलादली (Neladale), नेलताल (Neltaal)
तेलगूनेलतातीगड्डालू (Nelatatigaddalu), नेलताडी (Nelatadi)
ओडिया मूसली (Musali)
तमिलनिलधनैका (Nidhanaika), नीलप्पनईक्कीलहंगु (Nilappanaikkihangu);
मलयालमनेलप्पनकीझनन (Nelappanakizhanna)

काली मूसली के विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Black Musli in various diseases in Hindi)

काम उत्तेजक: 5 ग्राम जड़ों के चूर्ण को शहद या गुड़ के साथ दिन में दो बार लेने से महिलाओं में श्वेत प्रदर, मूत्र में जलन के अहसास तथा विशेष रूप से पुरुषों में कामलिप्सा की कमी के लिए प्रयोग होता है ।

बांझपन: मूसली की जड़, अश्वगंधा की जड़, गोक्षूरा फल, कपीकचू के बीज व आमलकी फल को बराबर मात्रा में लें । 100 मि०ली० दूध में 5 ग्राम मिश्रण लें तथा थोड़ा सा गुड़ मिलाएं। इसे बांझपन के इलाज के लिए तथा कामलिप्सा की कमी के इलाज के लिए प्रयोग करें।

श्वास रोग: श्वसन संबंधी बीमारियों जैसे खांसी, ठंडक तथा अस्थमा के लिए काली मूसली के धुएं की साँस लें।

प्रतिरोधक क्षमता: सूखा हुआ प्रकंद शरीर के लिए एक टॉनिक है तथा विभिन्न बीमारियों के विरूद्ध रक्षा तथा प्रतिरक्षा भी उपलब्ध कराता है। औषधि की मात्रा 3-5 ग्राम चूर्ण दूध के साथ लें।

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