Beriberi: बेरी बेरी लक्षण, कारण और उपचार

बेरीबेरी (beriberi) विटामिन बी1 की कमी से उत्पन्न कुपोषणजन्य रोग है। इसे पॉलिन्यूराइटिस इंडेंमिका, हाइड्रॉप्स ऐस्थमैटिक्स, काके, बारबियर्स आदि नामों से भी जानते हैं।

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बेरी-बेरी का अर्थ है – “चल नहीं सकता”। संसार के जिन क्षेत्रों में चावल मुख्य आहार है, उनमें यह रोग विशेष रूप से पाया जाता है।

बेरी बेरी बीमारी की खोज सन 1897 में एजर्मन ने की थी। उन्होंने बताया कि यह रोग विटामिन B1 (थायमीन) की कमी से होता है।


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बेरी बेरी क्या है? (What’s is beriberi In Hindi)

यह बीमारी सीधे-सीधे कुपोषण से जुड़ा है। इसलिए जिन देशो में कुपोषण की समस्या तथा पोष्टिक भोजन का आभाव होता है वहां के लोगो में यह बीमारी अधिक पाई जाती है।

  • यह बीमारी विटामिन ‘बी’ समूह के विटामिन बी-1 की कमी के कारण होता है।
  • जो लोग केवल सफेद चावल, सफेद ब्रेड, मैदा आदि का सेवन करते है उन्हें यह रोग होने की अधिक संभावना होती है।
  • यह दक्षिण पूर्वी एशिया में प्रायः पाई जाती है।भारत में यह 1909-10 में सर्व प्रथम कलकत्ता में व्यापक रूप में फैला था।

बेरी बेरी के लक्षण क्या है? (symptoms of Beriberi in Hindi)

विटामिन बी1 की क्षीणता आरंभ होने के दो तीन मास बाद बेरी बेरी के लक्षण प्रकट होते हैं। बेरी बेरी के कुछ प्रमुख लक्षण निम्न है-

हाथ पैरों में सूजन, भूख प्यास न लगना, थकान, घबड़ाहट, रक्ताल्पता, साधारण ज्वर, सीने में दर्द तथा धड़कन बढ़ना, श्वास कष्ट आदि लक्षण प्रकट होते हैं। हाथों की पकड़ने की शक्ति भी नहीं रहती। पिण्डलियों में अधिक दुर्बलता आ जाती है।

ऊपर दिए गए लक्षण होने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। यह हमारे नर्वस सिस्टम पर असर डालता है, जिसकी वजह से इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है। इससे दिल कमजोर होता है और शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है। इससे हार्ट फेल भी हो सकता है।

बेरी बेरी की जांच कैसे करते है?

डॉक्टर रोगी के लक्षण, पारिवारिक स्थिति, पोषण के इतिहास एवं रक्त में विटामिन बी-1 की मात्रा देखकर, बेरी बेरी का पता लगाते है।

बेरी बेरी का इलाज क्या है?

बेरी बेरी विटामिन बी-1 की कमी से होना वाला रोग है। इसलिए रोगी दवाई अथवा इंजेक्शन द्वारा विटामिन बी-1 दिया जाता है। साथ ही सूजन कम करने के लिए अधिक पेशाब जाने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं।

विटामिन बी के स्रोत (Sources Of Vitamin B-1)

थायमीन सभी वनस्पति और पशुजन्य खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। खमीर, चावल और गेहूँ की ऊपरी परत थायमीन के उत्तम स्रोत है। अंकुरित दाल, मूंगफली, सूखी फलियाँ आदि में भी यह विटामिन काफी मात्रा में होता है। अंडे की जर्दी, दूध, मछली, हरि सब्जी में यह विटामिन कम मात्रा में होता है।


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