Bedwetting: बिस्तर गीला करने का कारण और उपचार
Children’s Bed Wetting: बच्चा जब छोटा हो, तब रात में उसका बिस्तर गीला हो जाना स्वाभविक है। परन्तु बच्चे की उम्र बढ़ने के बाद भी रात्रि में बिस्तर गीला हो जाए, तो वह बच्चे और उसके माता-पिता के लिए संकोच एवं चिन्ता का विषय हो जाता है।
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बिस्तर गीला करना क्या है? (What is Bed Wetting)
सोते समय अनैच्छिक रूप से मूत्र का निकलना (मूत्र असंयम) को बिस्तर गीला करना (Bed wetting) कहते हैं। बच्चा जब छोटा हो, तब रात में उसका बिस्तर गीला हो जाना स्वाभविक है। 6 साल की उम्र तक बैड वैटिंग को लेकर आपको चिंता करने की जरूरत नही है। बच्चे को टॉयलेट ट्रेनिंग ठीक से न मिलने पर ऐसा हो सकता है।
यदि आपके बच्चे को 7 साल के उम्र के बाद भी रात को बिस्तर गीला करने की परेशानी हो रही है तो आपको इस समस्या को समझकर इसका इलाज करना चाहिए। महिलाओं की तुलना में पुरुषों में बिस्तर गीला करने की दोगुनी संभावनाएं होती है।
बिस्तर गीला करने के क्या कारण है? (Bed Wetting symptoms in Hindi)
- बच्चे की प्रयाप्त ट्रेनिंग या मानसिक विकास न हुआ हो।
- बच्चे को रात में टॉयलेट के लिए जाने में डर लगता हो।
- छोटो आपके बच्चे में मूत्राशय पर्याप्त विकसित न हुआ हो।
- मूत्राशय को कंट्रोल करने वाली नसें धीरे मैच्योर हो रही हैं तो पेशाब आने पर बच्चे की नींद नहीं खुलती है।
- मूत्रमार्ग में संक्रमण के कारण पेशाब रोकने में बच्चे को दिक्कत आ सकती है।
- डायबिटीज, लंबे समय से कब्ज, मूत्र मार्ग या तंत्रिका तंत्र की संरचना में दिककत की वजह से बच्चा रात में बिस्तर गीला कर सकता है।
कितने प्रतिशत बिस्तर गीला करने की बीमारी से पीड़ित होते हैं?
- 6 साल से कम उम्र के बच्चों में बिस्तर गीला करना स्वाभाविक होता है। उम्र के साथ बिस्तर गीला करने के प्रतिशत में एक अनुपातिक कमी आती है।
- 5 साल तक की उम्र के बच्चों में बिस्तर गीला करना 15 – 20 प्रतिशत होता है।
- 10 साल तक 5 प्रतिशत, 15 साल पर 2 प्रतिशत और वयस्क होने पर 1 प्रतिशत लोगो को बिस्तर गीला करना की समस्या होता है।
यह समस्या बच्चों में कब ज्यादा देखी जाती है?
- जिस बच्चे के माता-पिता को उनके बचपन में यह तकलीफ रही हो।
- लड़कों में यह समस्या लडको की तुलना में तीन गुनी ज्यादा देखी जाती है।
- जिन बच्चों का मानसिक विकास देरी से होता है।
- गहरी नींद सोने वाले बच्चों में यह समस्या ज्यादा दिखाई देती है।
कब गंभीर स्थिति माना जाता है?
- यदि बच्चा दिन में भी बिस्तर गीला करता हो।
- मलत्याग (पाखाना) पर नियंत्रण न होना।
- दिन में बार-बार पेशाब करने के लिए जाना।
- पेशाब की धार पतली होना या पेशाब बूँद-बूँद कर होना।
- सात या आठ साल की उम्र के बाद भी बच्चा बिस्तर गीला कर देता है।
- छः महीने के शुष्क अवधि (जिसमें बिस्तर गीला न हो) के बाद फिर से बिस्तर गीला करना शुरू हो जाये।
बिस्तर गीला करने का उपचार (Child Bed wetting treatment in Hindi)
1. समझाना और प्रोत्साहित करना: रात को अनजाने में ही बिस्तर गीला हो जाना कोई चिंताजनक समस्या नहीं है इसलिए बच्चे को डराना-धमकाना एवं उसपर चीखना-चिल्लाना छोड़कर बच्चे को इस विषय में उचित जानकारी देना अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार बच्चे को समझाने से मानसिक तनाव कम होता है और इस समस्या को शीघ्र हल करने में सहायता मिलती है।
2. पेशाब जाने की आदत में परिवर्तन : शाम 6 बजे के बाद कैफीनवाले पेय (चाय, कॉफ़ी इत्यादि) शाम के बाद नहीं लेना चाहिए। रात को सोने से पहले हमेंशा पेशाब करने की आदत डालनी चाहिए। यदि आवश्यक हो तो रात में बच्चे को उठाकर पेशाब कराने से वह बिस्तर गीला नहीं करता है। बच्चे को ‘डाइपर’ पहनाने से रात में बिस्तर गीला होने से बचाया जा सकता है।
3. कही बच्चे को डर तो नही लगता- वहीं बाथरूम ऐसी जगह भी नहीं होना चाहिए, जहां जाने से बच्चे को डर लगे। रात को कमरे में नाईट बल्ब जलाकर रखें। अगर बच्चे को रात में उठकर पेशाब करने जाने से डर लगता है तो उसे बोलें कि वो आपको अपने साथ लेकर जाए।
4. शाम के समय पानी कम लेना-आप बच्चे को दिन में ज्यादा पीना दें। कोशिश करें कि वो सुबह के समय 40 फीसदी, दोपहर में 40 फीसदी और फिर शाम को 20 फीसदी पानी एवं तरल पदार्थ ले। सोने से 2 घंटे पहले से पानी न दें। इससे रात में पेशाब कम आएगा। शाम के बाद पानी कम लेना, रात में समय से पेशाब कराना यह बिस्तर गीला होने की समस्या का महत्वपूर्ण उपचार है।
5. दवाइँ द्वारा उपचार: बिस्तर गीला करने से रोकने के लिए दवाओं का इस्तेमाल एक अंतिम प्रयास है। इनका उपयोग सात साल और उसके ऊपर के बच्चों के लिए होता है।
बिस्तर गीला करने का घरेलू आयुर्वेदिक उपाय (Ayurvedic & Home home remedies)
अगर आपके बच्चे की रात को सोते समय बिस्तर गीला करने की आदत है तो आप आदतों में बदलाव और कुछ घरेलू नुस्खे अपनाकर इस समस्बया से झुत्च्चेकारा पा सकते है
- रोजाना सुबह खाली पेट ठंडे दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर दें। ऐसा लगातार एक सप्ताह तक करने से आपको राहत मिलेगी।
- अगर ठंड की वजह से बच्चा बिस्तर गीला करता है तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए बच्चे को सोने से 2 घंटे पहले एक गिलास गुनगुना दूध पीने का दें।
- बच्चे को रोजाना सोने से पहले तीन से चार अखरोट खिलाने से भी रात में सोते समय बिस्तर पर पेशाब करने की आदत से छुटकारा मिलता है।
- रोजाना सुबह खाली पेट भीगी हुई किश्मिश खिलाने से भी फायदा होता है।
अगर इतना सब करने पर भी बच्चे को कोई फायदा नज़र नही आता तो आपको डॉ से संपर्क करना चाहिए।
डॉक्टर क्या टेस्ट करवा सकते है?
जब डॉक्टर को संरचनात्मक समस्याओं का संदेह हो तब डॉक्टर प्रायः पेशाब और रक्त में ग्लूकोज की मात्रा, रीढ़ की हड्डी का एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, किडनी या मूत्राशय के अन्य इमेजिंग परीक्षण शामिल है।