अशोक (Saraca Indica)
शोक वृक्ष (अंग्रेज़ी: Saraca asoca) को हिन्दू धर्म में काफ़ी पवित्र, लाभकारी और विभिन्न मनोरथों को पूर्ण करने वाला माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- “किसी भी प्रकार का शोक न होना”। अशोक का पेड़ 28 से 30 फुट तक ऊँचा होता है।
अशोक का विभिन्न भाषाओं में नाम (Sugar Apple Name in different Language)
वैज्ञानिक नाम | Saraca Indica |
अंग्रेज़ी | Ashok Tree |
हिंदी | अशोक |
संस्कृत | अशोक |
तेलगू | अशोकपट्टा |
कन्नड़ | अशोकदामारा, अशोकमरा, कांकलीमरा |
गुजराती, मराठी, बंगाली, असमिया उड़िया, पंजाबी, कश्मीरी, नेपाली | अशोक |
अशोक का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Ashoka in various diseases in Hindi )
अतिस्राव: 10 ग्राम अशोक की छाल को 200 मि.ली. पानी में एक चौथाई होने तक उबालें। इस काढें को छानकर रोजाना दिन में दो बार नियमित रूप से सेवन करें। आवश्यकतानुसार इसमें एक चम्मच शहद या गुड़ मिला लें। इससे अत्यधिक ऋतुस्राव (माहवारी के दौरान अतिस्राव) में लाभ मिलता है।
घाव: अशोक की छाल का काढ़ा तैयार कर इससे न भरने वाले घाव / छालों को धोएं।
मुंह के छाले: एक मुट्ठी अशोक के पुष्प तथा आधी मुट्ठी नारियल का गूदा लें तथा मिक्सर में अच्छी तरह से इसका चूर्ण बना लें। इसमें स्वादानुसार नमक, काली मिर्च करी पत्ते तथा धनिए की पत्तियाँ मिला लें। यह विधि गैस, मुँह के छाले संबंधी रोगों में लाभकारी है।
प्रदर: अशोक की छाल, आमल्की फल तथा नागकेसर पुंकेसर (Mesua ferrea) के चूर्ण को अच्छी तरह से मिला लें। 1-2 ग्राम चूर्ण का एक कप साफ धुले हुए चावल या मीठी छाछ में मिश्रण बना लें और इसका नियमित रूप से दिन में दो बार सेवन करें। इससे प्रदर में प्रभावकारी लाभ होता है।