अपराजिता (Asian Pigeonwings)
अपराजिता, एक लता वाला पौधा है। इसके आकर्षक फूलों के कारण इसे लान की सजावट के तौर पर भी लगाया जाता है। अपराजिता को उसके औषधीय गुण के कारण भी जाना जाता है..
वैज्ञानिक नाम | Clitoria ternatea |
अंग्रेज़ी | Asian pigeonwings |
हिंदी | अपराजिता |
संस्कृत | अपराजिता |
गुजराती | गोकर्णी |
मराठी | गोकर्ण, अपराजिता |
पंजाबी | कोयल |
कन्नड़ | गिरिकर्णिका बल्ली |
तेलगू | दिन्तेना |
तमिल | कक्कानम |
मलयालम | शंखपुष्पम |
बंगाली, नेपाल, असम,ओडिया | अपराजिता |
अपराजिता पौधे का सामान्य परिचय (Introduction of Aprajita)
अपराजिता, एक लता वाला पौधा है। इसमे इकहरे फूलों वाली बेल भी होती है और दुहरे फूलों वाली भी। फूल भी दो तरह के होते हैं – नीले और सफेद। इसका पत्ता आगे से चौडा और पीछे से सिकुडा रहता है। गर्मी के कुछ समय के अलावा हर समय इसकी बेल फूलों से सुसज्जित रहती है।
इसका उपयोग काली पूजा और नवदुर्गा पूजा में विशेषरूप में किया जाता है। जहां काली का स्थान बनाया जाता है वहां पर इसकी बेल को जरूर लगाया जाता है।
अपराजिता का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Clitoria in various diseases in Hindi)
हाथीपाॅव: फाइलेरियेसिस (Filariasis या philariasis) की सूजन कम करने के लिए 5 ग्राम जड़ के मिश्रण का प्रतिदिन दो बार सेवन किया जाता है।
स्मृति बढ़ाने के लिए: स्मृति तथा बुद्धि बढ़ाने के लिए इसकी ताज़ी जड़ का मिश्रण घी के साथ 1-3 ग्राम की मात्रा में दिया जाता है। यह औषधि गलगंड में भी काफी उपयोगी सिद्ध हुई है।
आंख आना: अपराजिता के फूलों को गाय के दूध में कूट कर बंद आँखों के ऊपर लेप किया जाता है। यह आँख आने की स्थिति को कम करता है।
दांत दर्द: दाँत दर्द दूर करने के लिए इसकी जड़ को काली मिर्च के साथ मुंह में रखा जाता है।
संक्रमण से बचाव: एंटी फंगल तथा एंटी बैक्टीरियल गुणों के कारण घाव पर इसकी बारीक पत्तियों का लेप संक्रमण कम करता है तथा घाव जल्दी भरता है।