अमरूद (Guava)
Guava in Hindi: अमरूद स्वास्थ्य की दृष्टि से एक महत्त्वपूर्ण फल है। इसमे भरपूर मात्रा में विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं, ये तत्व हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी होते हैं। जानिए अमरूद का औषधीय और व्यावसायिक महत्व..
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अमरूद का विभिन्न भाषाओं में नाम (Guava Name in different language)
वैज्ञानिक नाम | Psidium guajara |
कुल नाम | Myrtaceac |
अंग्रेज़ी | Guava |
हिंदी | अमरूद |
संस्कृत | जामफल, पेरुक, दृढ़बजती, बहुबीज |
गुजराती | जानफल, जमरुख |
मराठी | पेरू,जाम |
नेपाली | बेलोती |
बंगाली | चिचरा |
तेलगू | गोइया |
तमिल | कमसुरा |
कन्नड़ | शिवे |
फ़ारसी | |
अरबी |
अमरूद का सामान्य परिचय (introduction of Guava)
Guava production: अमरूद का पेड़ प्रायः भारत के सभी राज्यों में उगाया जाता है। दुनिया के 5 उत्पादक देशों में क्रमशः भारत, चीन, थाईलैंड, इंडोनेशिय और पाकिस्तान शामिल हैं।
बाह्य स्वरूप: अमरूद के वृक्ष बहुत ज्यादा ऊँचे नहीं होते। इसकी लंबाई 10 से 20 फिट तक होती हैं। इसकी टहनियां पतली और कमजोर होती हैं। डालियों और पत्तो के दूर दूर होने कर कारण वृक्ष की छाया अधिक घनी नही होती।
इसके पत्ते हलके हरे रंग के, खुरदरे और 3 से 4 इंच लंबे होते हैं। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली सफेद छाल से ढका रहता है। छाल के नीचे की लकड़ी चिकनी होती है।
अमरूद के प्रकार (Types of Guava)
(1) लाल अमरूद (Red Guava
(2) सफेद अमरूद (White Guava)
सफेद अमरूद, लाल अमरूद की तुलना में ज्यादा पाए जाते है। औऱ यह अमरूद अधिक मीठे भी होते हैं। लेकिन सफेद की अपेक्षा लाल रंग के अमरूद अधिक गुणकारी होते हैं। अमरूद के फल का भार आमतौर पर 30 से 450 ग्राम तक होता है।
जहाँ अन्य फल पकने पर ही खाए जाते हैं, लेकिन अमरूद कच्चा भी खाया जाता है, यह इसकी विशिष्टता है।
विशेष: लाल अमरूद सफेद की अपेक्षा जल्द पचने वाला और दस्त साफ लाने वाला होता है, शेष गुणों में दोनों समान ही हैं
अमरूद के गुण-धर्म (Ayurvedic & Unani Properties of Guava)
आयुर्वेदिक: आयुर्वेदिक मतानुसार अमरूद एक कसैला, स्वादिष्ठ, भारी, शीतल, कफकारक, अम्लीय, वात-पित्त शामक, शुक्रजनक, तीक्ष्ण, तृष्णा, कृमि, मूर्च्छा, भ्रम, उन्माद, शोव, विषम ज्वर नाशक फल है। और पढ़ें: जानें, आयुर्वेदिक दवा सेवन का सही तारिक
यूनानी चिकित्सा: यूनानी मतानुसार अमरूद में पहले दर्जे की ठंडी और दूसरे दर्जे की ऊष्ण प्रकृति होती है। यह रक्तदोष जन्य शरीर के चकत्ते, दूषित व्रण व मसूढ़ों की सूजन को दूर करने में सर्वोत्तम है।
अमरूद में पौषक तत्व (Nutritional value of Guava)
वैज्ञानिक मतानुसार अमरूद विटामिन-C का एक अच्छा स्त्रोत है इसके 100 ग्राम गूदे में 299 मिलीग्राम विटामिन-सी होता है।
अमरूद की रासायनिक बनावट में पानी 89.9, कार्बोहाइड्रेट 14.9 प्रोटीन 1.5, वसा 1.2, खनिज लवण 1.8 प्रतिशत पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमे कैल्शियम, फास्फोरस व आयरन भी पाया जाता है। अमरूद के पत्तों में राल, वसा, काप्टोज, टेनिन, उड़नशील तेल और खनिज लवण होते हैं।
अमरूद का विभिन्न रोगों में प्रयोग (Use of Guava in various diseases)
शक्तिवर्धक: पके अमरूदों को मसलकर दूध में फेंट लें और फिर छानकर इनके बीज निकाल लें। आवश्यकतानुसार शक्कर मिलाकर प्रातः नियमित रूप से 21 दिन सेवन करें।
पेट दर्द : अमरूद को काली मिर्च, काला नमक, अदरक के साथ खाने से अजीर्ण, गैस, अफारा की तकलीफ दूर होकर भूख बढ़ जाएगी।
कब्ज़: अमरूद खाने से पेट साफ रहता है। इससे कई बीमारियाँ दूर भाग जाती हैं। भोजन के पश्चात् खाने से पाचन क्रिया सुधारता है और भोजन के पूर्व खाने से अतिसार में लाभकारी है।
सूखी खांसी: गर्म रेत में अमरूद को भूनकर दिन में 3बार खाने से सूखी, कफ युक्त और कुकर खांसी में आराम मिलता है।
दांत दर्द : अमरूद के पत्तों को दांतों से चबाने से दांत दर्द में आराम मिलता हैं।
मुंह के छाले: अमरूद के पत्ते पर कत्था लगाकर पान की तरह इसे दिन में 3-4 बार चबाएं। मुंह के छालों में लाभ होता मिलेगा।
भांग का नशा: अमरूद के पत्तों का रस या केवल पके अमरूद खिलाने से भांग का नशा दूर हो जाता है।
सावधानी: अमरूद का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। बीज सहित इसका गूदा बहुत अधिक मात्रा में खाने से पेट के लिए हानिकर होता है।
अमरूद के अन्य प्रयोग: ताजा अमरूद खाने के अलावा इससे जैम, जेली, अचार आदि भी बनाए जाते हैं। अमरूद से पेय पदार्थ भी बनाते हैं। टॉफी भी इन्हीं उत्पादों में से एक है।
हानिकारक प्रभाव (Side Effects of Guava)
- शीत प्रकृति वालों के लिए अमरूद हानिकारक सिद्ध हो सकता हैं।
- बरसात के दिनों में अमरूद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफेद कृमि पैदा होने की सम्भवना रहती हैं, जिसके सेवन से पेट दर्द, हैजा जैसे योग हो सकते हैं।
- अमरूद के बीज सख्त होते है, जो आसानी से नहीं पचते। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए।